बंदरों पर नियंत्रण को अब चाहिए नौ करोड़
शहर में बंदरों का कुनबा बढ़ा और उत्पात भी। इन पर नियंत्रण को कैसे हो, इस पर फिर माथापच्ची हो रही है। जिला प्रशासन ने इनकी रोकथाम के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव फिर शासन को भेजा है। हालांकि योजना की लागत अब 7.25 करोड़ की बजाय नौ करोड़ पहुंच गई है।
अनुमान के मुताबिक इस समय जिले में करीब 15 हजार बंदर हैं। इनमें से दस हजार शहर में ही हैं। शहर को इनसे मुक्त कराने के लिए एक कार्ययोजना बनी, जिसके तहत रेस्क्यू सेंटर बनाकर बन्दरों को पकड़कर उनका पुनर्वास होना था। इनके भोजन पर ही अकेले 60 लाख का वार्षिक व्यय आएगा। इसके साथ ही दो हेक्टेयर जमीन में उनके अनुकूल रीलोकेशन सेंटर बनाना होगा।
बंदर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल दो में सूचीबद्ध हैं। लिहाजा, इनका शिकार वर्जित है। इसकी अनुमति केवल चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ही दे सकते हैं। वह भी तब, जबकि ये हिंसक हो जाएं या फसल को क्षति पहुंचाएं। नगर निगम के वेटिनरी ऑफीसर डॉ. बीएस वर्मा ने बताया कि वन विभाग के सहयोग से प्रोजेक्ट तो पहले से ही तैयार है। क्रियान्वयन तभी होगा, जबकि धन तथा दो हेक्टेयर जमीन उपलब्ध हो।