अध्याय … 65 , संत शांत आगे बढ़ें …..
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जब तक स्वस्थ शरीर है, और बुढ़ापा दूर।
इंद्रियां शक्ति से भरी, नाम जपो भरपूर ।।
नाम जपो भरपूर ,होगा कल्याण बहुत ही।
आग लगे पे कुआं खोदें, कहलाते मूरख ही ।।
भूलो बिगाड़ हुए को , हो लिया जो अब तक।
सुधारो इस जीवन को, प्राण बचे हैं जब तक।।
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भोग भोगते जा रहे, काया हो रही क्षीण।
जन्म मरण के चक्कर में, फंसे हुए मतिहीन।।
फंसे हुए मतिहीन , भोगों ने हम को है घेरा।
दलदल बढ़ती जा रही , जीव धंसा है गहरा।।
जब से बनी है दुनिया, ना जाने सच को लोग।
रोग भोग में फंस गए,उल्टे भोग रहे हैं भोग।।
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गाली खाय संसार की, पत्थर की बरसात।
संत शांत आगे बढ़ें, ना देखें उत्पात।।
ना देखें उत्पात , करते बस ध्यान साधना।
ना ध्यान हटाना लक्ष्य से,रखते यही धारना।।
सही समय पर सराय को कर जाते हैं खाली।
संसारी जन परस्पर यूं ही, देते रहते गाली।।
दिनांक : 22 जुलाई 2023