क्या अशोक गहलोत राजस्थान में बना पाएंगे दूसरी बार सरकार ?

रमेश सर्राफ धमोरा

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में जिताऊ प्रत्याशियों पर ही दांव लगाएगी। पार्टी को जो प्रत्याशी जीतने वाला लगेगा चाहे वह कितनी भी अधिक उम्र का क्यों ना हो उसे मैदान में उतारा जाएगा। कांग्रेस का प्रयास है कि राजस्थान में लगातार दूसरी बार सरकार बना कर हर बार सरकार बदलने के मिथक को तोड़ा जाए। इसीलिए पार्टी के बड़े नेता अलग-अलग एंगल से सभी 200 विधानसभा क्षेत्र में जीतने वाले प्रत्याशियों के लिए सर्वे करवा रहे हैं। जिस व्यक्ति का नाम भी सर्वे में उभर कर आएगा उसको ही इस बार कांग्रेस पार्टी टिकट देकर चुनावी मैदान में उतरेगी। कांग्रेस के बड़े नेताओं का मानना है कि आम कार्यकर्ता से लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधि तक कोई भी टिकट के लिए आवेदन कर सकता है। वरिष्ठ नेता पूरी तरह से छानबीन कर अंतिम सूची में जीतने वाले नाम पर ही मोहर लगाएंगे।

जयपुर में संपन्न हुई नवगठित प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की मौजूदगी में कहा था कि हम चुनाव जीतेंगे। हमने प्रदेश की जनता के भले के लिए बहुत से नए काम किए हैं तथा बहुत-सी नयी योजनाएं प्रारंभ की हैं। जिससे प्रदेश की अधिकांश जनता लाभान्वित हो रही है। हमारे द्वारा शुरू किए गए कामों की बदौलत ही राजस्थान के लोगों ने कांग्रेस पार्टी को फिर से जिताने का मानस बना लिया है। कांग्रेस के सभी नेता मिलजुल कर पूरी एकजुट से चुनाव मैदान में उतरेंगे। जबकि भाजपा में आज भी अलग-अलग नेताओं के अलग-अलग गुट बने हुए हैं। ऐसे में प्रदेशवासी कांग्रेस की ही सरकार बनाने की चर्चा करने लगे हैं।

गहलोत का कहना है कि बीजेपी तो हार मान चुकी है। जबकि हम चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। बीजेपी में दिल्ली से आकर नेता चुनाव लड़ेंगे तो जनता इनसे पूछेगी कि क्या हमारे फैसले भी आप दिल्ली से बैठकर करोगे। बीजेपी की यह स्थिति है कि उनके कार्यकर्ता पूछते हैं कि हमारा नेता कौन है। इनके पास चुनाव लड़ने के लिए चेहरा तक नहीं है। प्रधानमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा तो यह चुनाव से पहले हार मानने की स्थिति में आ गए हैं। जनता इस बात का एहसास कर रही है।

जयपुर में कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति की पहली बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विधानसभा चुनाव में युवा हों या बुजुर्ग हों, टिकट वितरण में केवल जिताऊ को ही देखा जाएगा। यही सबसे बड़ा क्राइटेरिया होगा। गहलोत का मानना है कि कर्नाटक चुनाव में 90 साल के व्यक्ति को भी टिकट दिया गया था जो चुनाव जीतकर आया। इसलिए जो जीत सकता है उसको ही टिकट दिया जाएगा। गहलोत के इस बयान से साफ है कि उदयपुर चिंतन शिविर के घोषणापत्र का पालन टिकटों में नहीं होगा। आगामी विधानसभा चुनाव में युवाओं को टिकटों में प्राथमिकता देने की जगह जिताऊ का मापदंड रहेगा।

कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों के टिकट जल्दी से जल्दी तय करना चाहती है। कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेता चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने से पहले प्रत्याशियों के नाम तय कर देना चाहते हैं। इसको लेकर ब्लाक कमेटियों से लेकर प्रदेश स्तर पर गठित चुनावी समितियों की बैठकों का दौर शुरू कर दिया गया है। पार्टी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों और पार्टी नेताओं ने टिकटों के पैनल पर काम शुरू कर दिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा राजस्थान के सभी 25 लोकसभा सीटों पर गुजरात, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के 25 विधायकों को पार्टी पर्यवेक्षक बनाकर जिलों में भेजा गया था। इन 25 पर्यवेक्षकों में से हर एक को लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा सीटों का फीडबैक लेने का काम दिया गया था।

सभी पर्यवेक्षकों ने जिलों में जाकर जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक का आयोजन कर विभिन्न नेताओं से पार्टी के संभावित प्रत्याशियों के बारे में फीडबैक लिया तथा पार्टी का टिकट चाहने वालों के बायोडाटा भी एकत्रित किए हैं। सभी पर्यवेक्षकों ने जयपुर लौटकर अपनी रिपोर्ट पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को सौंप दी है। इसके अलावा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष व ब्लॉक अध्यक्षों से भी राय मांगी जाएगी। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा व उनके साथ तीन सह प्रभारी भी लगातार प्रदेश का दौरा कर विभिन्न स्तरों पर रायशुमारी कर रहे हैं। टिकट वितरण में पार्टी द्वारा उम्र का बंधन लागू नहीं करने के कारण उम्रदराज नेताओं को भी टिकट मिलने की संभावना बन गई है। कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी, दीपेंद्र सिंह शेखावत और भारत सिंह जैसे उम्रदराज नेताओं ने अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की बात कही थी। मगर उम्र का बंधन नहीं होने के चलते शायद यह लोग भी फिर से चुनावी मैदान में उतर जायें।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भी आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में एक बड़ी रैली को संबोधित कर राजस्थान में चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है। राहुल गांधी के राजस्थान दौरे के बाद कांग्रेस के नेता सक्रिय होकर चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री गहलोत भी चुनाव को लेकर पूरे आक्रामक मूड में है। पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की मीटिंग में मुख्यमंत्री ने अपने नजदीक माने जाने वाले कांग्रेस नेताओं को जमकर फटकार लगाई।

विधायक रघु शर्मा ने जब जातिगत जनगणना के फैसले पर सवाल उठाते हुए इससे चुनावों में नुकसान होने की आशंका जताई तो गहलोत ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि तुम तो नेशनल लीडर हो। राहुल गांधी से ही सीधी बात क्यों नहीं कर लेते। आपको पता है यह हमारी पार्टी का नेशनल स्टैंड है और आप इस तरह की बात कह रहे हो। कर्नाटक में राहुल गांधी ने बोला था। बाकी जगह भी कांग्रेस का यही स्टैंड है।

बैठक में पूर्व सांसद रघुवीर मीणा ने आदिवासी इलाके मानगढ़ की सभा में एसटी आरक्षण की जगह ओबीसी आरक्षण पर घोषणा करने को पार्टी के लिए नुकसानदायक बताते हुए इस पर सवाल उठाए। रघुवीर मीणा के सवाल उठाने पर गहलोत ने कहा कि मुझे पता है कहां क्या घोषणा करनी है। मुख्यमंत्री सबका होता है मेरी प्राथमिकता सब लोग हैं। कोई बात कहां रखनी है, मैं मुख्यमंत्री हूं इतना तो जानता ही हूं। अब तो सलूंबर को जिला बना दिया और आपके चुनाव जीतने का रास्ता साफ कर दिया है। फिर भी यह बात बोल रहे हो।

बैठक के दौरान खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी के आरोपों पर आक्रामक होने की सलाह दी तो गहलोत ने खाचरियावास पर भी तंज कसते हुए कहा कि खाचरियावास बोलते-बोलते पता नहीं कौन-सा ट्रैक पकड़ कर क्या बोल जाते हैं। केसी वेणुगोपाल जी अनुशासन के मामलों में कार्रवाई करने में थोड़ा वक्त लगाते हैं। अगर इनकी जगह मैं होता तो बता देता। गहलोत ने राज्यसभा सांसद नीरज डांगी पर भी तंज कसते हुये कहा कि आपको पार्टी ने दो बार मौके दिया जीते नहीं तो पार्टी ने राज्यसभा सांसद बना दिया। कम से कम अब तो एक विधानसभा सीट जितवाने की जिम्मेदारी लेनी ही चाहिए। चुनावी तैयारियों के नजरिये से कांग्रेस पार्टी प्रदेश में भाजपा से काफी आगे चल रही है। सचिन पायलट के शांत होने से पार्टी में चल रही गुटबाजी बंद हो गयी है। यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ही पूरे चुनावी अभियान का नेतृत्व करेंगे। भाजपा द्वारा गहलोत के सामने अभी तक कोई चुनावी चेहरा नहीं उतारे जाने के चलते कांग्रेस को फायदा होता नजर आ रहा है।

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