175
श्रेष्ठ पुरुष की संगति , सबसे ऊंचा लाभ।
मूरख के संग जो रहे, जाय दुखों के धाम।।
जाय दुखों के धाम , कभी ना चैन से सोता।
मूर्ख संगत से बड़ा , कोई नहीं दुख होता।।
श्रेष्ठ पुरुष के संग से, सुधरे जीवन की गति।
प्रारब्ध के योग से , हो श्रेष्ठ पुरुष की संगति।।
176
समय करे बर्बाद जो, करता अपनी हान।
अज्ञानी जीवन रहे, अवसर खो गया जान।।
अवसर खो गया जान, घेरती बर्बादी उसको।
लोग करें उपहास, हमेशा नसीहत दें उसको।।
बन अनाड़ी पड़ा रहे, ना करे प्रभु को याद।
होता है बर्बाद स्वयं ही,जो करे समय बर्बाद।।
177
राज धर्म के खोलना,चतुराई कही जाय ।
इंद्रियों को जीत ले, महापुरुष कहलाय।।
महापुरुष कहलाय, हर क्षण सम्मान को पाता।
पाय भरोसा नाम का, जगती को राह दिखाता।।
महापुरुषों की छांव में रहकर,बने भव्य समाज।
जीवन जगत सुंदर बनें, है यही धर्म का राज।।
दिनांक: 21 जुलाई 2023