धर्मनिरपेक्षता के नाम पर साम्प्रदायिकता
उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार द्वारा मान्यवर कांशीराम जी उर्दू अरबी फारसी विश्व विद्यालय का नाम बदलकर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के नाम पर कर दिया गया है। स्वाभाविक रूप से कुमारी मायावती को यह बात बुरी लगनी ही थी इसलिए उन्होंने अखिलेश सरकार के इस निर्णय की तीखी आलोचना की है और इस निर्णय को दुर्भावना से प्रेरित करार देते हुए मान्यवर कांशीराम के प्रति धोखाधड़ी और एहसान फरामोशी करार दिया है।
भारत का संविधान देश में पंथ निरपेक्ष शासन की स्थापना करता है। इसका अभिप्राय है कि देश में राज्य का कोई पंथ नही होगा। उसकी दृष्टिï में सभी नागरिकों के प्रति समानता होगी। साम्प्रदायिकता राज्य की नीतियों में कतई भी नही झलकेगी। भारत के संविधान की यह पवित्र भावना है। इस पवित्र भावना को बनाये रखना उचित भी है। जब मायावती ने उक्त विश्वविद्यालय का नाम मान्यवर कांशीराम जी के नाम पर रखा था तो उसमें उनकी दलीय सोच की राजनीति तो झलकती थी लेकिन साम्प्रदायिकता नही झलकती थी। राजनीति का झलकना तो स्वाभाविक है लेकिन उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय का नाम मान्यवर कांशीराम जी के नाम हो यह पंथ निरपेक्षता की भावना के कही अनुकूल था। क्योंकि ये भाषायें सामान्यत: मुस्लिमों की भाषायें हैं। यद्यपि भाषायें साम्प्रदायिक नही होतीं लेकिन उन्हें अपनाने वाले और मेरी मेरी का शोर मचाने वाले लोग साम्प्रदायिक होते हैं। मेरी मेरी कहकर मुस्लिम यदि इन भाषाओं को अपनाते हैं तो यह साम्प्रदायिकता है। अब इन भाषाओं के विश्वविद्यालय का नाम मुइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर रखकर सरकार की ओर से भी खुली साम्प्रदायिकता का परिचय दिया है। साम्प्रदायिकता का अर्थ है सम्प्रदाय की बातें करना और किसी खास सम्प्रदाय के ही हितों का ध्यान रखना। मुईनुद्दीन चिश्ती के नाम पर उक्त विश्वविद्यालय का नामकरण करके सरकार ने स्पष्टï संकेत दिया है कि मुस्लिम भाषा का विश्वविद्यालय मुस्लिम लोगों के नाम से ही हो सकता है। यह सोच गलत है और मान्यवर कांशीराम जी के साथ सचमुच अन्याय है। पंथनिरपेक्षता का अर्थ है कि कश्मीर में मुख्यमंत्री हिंदू हो और बिहार में मुख्यमंत्री मुस्लिम हो तो कोई फर्क नही पड़ता। यह बात दोरंगी है कि कश्मीर का मुख्यमंत्री मुस्लिम हो तो पंथनिरपेक्षता जीवित रह सकती है और बिहार में मुख्यमंत्री मुस्लिम बनाया जा सके तो पंथनिरपेक्षता और भी पुष्पित पल्लवित होगी। दोरंगी बातों ने ही देश की फिजाओं को बिगाड़ कर रख दिया है। अखिलेश की मुस्लिम परस्ती भी इस दिशा में आगे आगे ही बढ़ती जा रही है। अच्छा हो मुख्यमंत्री जी अपने निर्णय पर विचार करें।