वृष्टि यज्ञ अमोघ अस्त्र है*____

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लेखक आर्य सागर खारी 🖋️

हमारे पूर्वज इस आर्यवर्त की महान भूमि पर नाना प्रकार के यज्ञ का अनुष्ठान करते थे| इनमें सर्वाधिक प्रचलित वृष्टि यज्ञ था| वृष्टि यज्ञ के अनुष्ठान से इच्छा अनुसार वर्षा कराई जाती थी| तब तब बारिश कराई जाती थी जब जब वर्षा की आवश्यकता होती थी|

आज हम आपको वैज्ञानिक आधार पर इस यज्ञ की क्रियाविधि बतलायेंगे जिससे लोगों को विश्वास हो कि हमारे पूर्वज कितने बड़े अनुसंधानकर्ता ,वैज्ञानिक थे| हमारी बहुत सी विज्ञान सम्मत परंपराएं लुप्त हो गई है हमारे अज्ञान पाखंड आलस्य के कारण| आज लोग मजाक उड़ाते हैं जब हम यज्ञ से से बारिश होने की बात करते हैं| वह इसे टोना टोटका समझते हैं लेकिन यह टोना टोटका नहीं है मौसम विज्ञान के नियमों पर आधारित आदर्श सफल प्रयोग है वृष्टि यज्ञ|

सबसे पहले हमें समझना होगा बारिश के लिए जरूरी उपस्थित भौतिक कारक जो निम्न है…..
1 वायुमंडल
2 जल
3 तापमान

यह तीनों सहज सुलभ उपलब्ध हैं भूमंडल पर| वर्षा से पूर्व की जो महत्वपूर्ण प्रक्रिया है वह है जल तथा ताप का संयोग जो महासागरीय क्षेत्रों में सौर विकिरण के कारण होता है| जिससे फलस्वरुप वाष्पीकरण की भौतिक रासायनिक प्रक्रिया तेजी से घटित होने लगती है|

वायु का आधारभूत महत्वपूर्ण गुणधर्म यह है कि यह उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है |जब महासागरीय क्षेत्रों में उच्चतर वायुदाब होता है वाष्पीकृत वायु स्थल भूभाग की ओर प्रवाहित होने लगती है| वायु में वाष्पीकृत जल की मात्रा आद्रता कहलाती है| ध्यान रहे आद्रता के 100प्रतिशत होने पर ही वर्षा होती है आद्रता एक भौतिक अनुपात है वायु के द्रव्यमान व जलवाष्प की मात्रा का|

जब हम यज्ञ में नाना जड़ी बूटियां को डालते हैं तो यज्ञ की अग्नि उन्हें छिन्न-भिन्न कर कोलाइडी विलियन का निर्माण करती है|
जो गैस में सूक्ष्म कणों का मिश्रण होता है | यह मिश्रण तेजी से वायुमंडल के सबसे निचले आवरण जहां मेघों का निर्माण होता है जिसे मेघ मंडल भी कहते हैं का निर्माण होता है जिसकी मोटाई 2 किलोमीटर है उसकी ओर तेजी से प्रवाहित होता है| वर्षा से संबंधित सभी मौसमी घटनाक्रम वायुमंडल के इसी आवरण में घटित होता है|
जब यज्ञ का कोलाइडी गैसीय मिश्रण इस आवरण में पहुंचता है तो वह शीतल प्रभाव पैदा करता है जिससे संघनन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया घटित होती है|

संघनन वाष्पीकरण के ठीक विपरीत क्रिया है| यज के द्वारा निर्मित गैसीय पदार्थ ऊपरी वायुमंडल में तापमान को dew_point तक गिरा देते हैं . यह वह तापमान होता है जिस पर जल वाष्प संघनित होने लगती है जिनसे नन्ही-नन्ही बूंदों का निर्माण होता है जिन्हें मेघ सीकर कहते हैं| #मेघ_सीकर से बादलों का निर्माण तथा बादलों से *जल सीकर* का निर्माण होता है| जल सीकर का निर्माण होते ही 5 मिलीमीटर की बूंद का निर्माण हो जाता है |रही सही कसर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण पूरा कर देता है जल की बूंद का यह निश्चित आयतन भौतिक शास्त्र के नियमों के अनुसार आकाश में स्थित नहीं रह सकता जो वर्षा 🌧🌧🌩💧💧💦के रूप में नीचे गिरता है|

अब आप समझ गए होंगे यज्ञ से बादलों 🌨🌨🌨का निर्माण होता है जो बारिश होने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है| आशा करता हूं आप समझ गए होंगे वृष्टि विज्ञान को | यज्ञ की महिमा औरों को भी बतलायेंगे| इस वर्षा के जल में घी जैसी ताकत होती थी बूंदों के केंद्र में घी के सूक्ष्म कण होते थे| यह देश रोगों से रहित सुखों से युक्त था|

आर्य सागर खारी☁❄💧🌈☀🌈☀✒✒✒

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