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जो करना उत्तम कर्म, कर डालो तुम आज।
मौत शिकंजा कस रही,पूरण कर लो काज।।
पूरण कर लो काज , ना फिर समय मिलेगा।
जो कुछ भी पैदा किया ,सब कुछ यहीं रहेगा।।
उत्तम कर्म ही संसार में , कहलाता है धर्म।
याद धर्म को राखिए, जो करना उत्तम कर्म।।
167
गीता ने समझा दिया , ना काट सके हथियार।
आत्मा गले न नीर से, जला सके नहीं आग।।
जला सके नहीं आग , वायु भी सुखा न पावे ।
गीता का उपदेश अमर, मूरख को कौन बतावे?
वेदों की गूढ़ ऋचाओं पर , कौन रखेगा फीता ?
सार तत्व यही वेदों का, बता रही हमको गीता।।
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धर्म करो संसार में,यही सयानो काम ।
गाड़ी निकली जा रही, ना कोई सकेगा थाम।।
ना कोई सकेगा थाम ,शरीर यह मिटने वाला।
क्षणभंगुर जीवन तेरा,धन भी धोखा देने वाला।।
भवसागर को पार उतरना, जीवन में सत्कर्म करो।
समझा गए ऋषि हमारे, जीवन में तुम धर्म करो।।
दिनांक : 20 जुलाई 2023
मुख्य संपादक, उगता भारत