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Dr D K Garg यधपि भारतीय बाबाओ और उनके चमत्कारों के विषय में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। इसी श्रंखला में एक और बाबा है जो नीम करौली बाबा या नीम करौरी बाबा या महाराज के नाम से प्रसिद्द है।
इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है। बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा और इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा है और बाबा की मृत्यु सितंबर १९७३ में हुई। बाबा का धाम उत्तराखंड में नैनीताल जनपद के भवाली के निकट कैंची नामक गाँव में है। बाबा की शादी भी हुई और गृहस्थ जीवन का आनंद भी लिया उनके दो पुत्र एवं एक सुपुत्री हैं।
यहां कैंची मन्दिर में प्रतिवर्ष १५ जून को वार्षिक समारोह मनाया जाता है। इस दिन यहाँ बाबा के भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है।
शिष्य कहते है कि भगवान श्री हनुमान उनके गुरु है| शिष्य बाबा को हनुमान का अवतार भी कहते है। बाबा को स्थानीय लोगों ने हनुमानजी, चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित करते है ।
बाबा की प्रसिद्धि के लिए शिष्यों ने ३-४ चमत्कार प्रसिद्द कर रखे है जो हमेशा सुनने को मिलेंगे जिनके सहारे बाबा की दूकान चल रही है।
बानगी देखिये –
चमत्कार-१ में जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं था, पति की नौकरी नही थी और हम पैसे-पैसे को मोहताज थे, कोई सहायता भी नही मिल रही थी, बच्चे के स्कूल की फीस भी नहीं दे पा रहे थे.. पति जो काम करते उसी मे नुकसान होता था.. अपने भी मुँह मोडने लगे थे, लग रहा था जैसे अनाथ है दूनिया में, फिर किसी से एक दिन पता चला कैंची धाम जाने से सारे कष्ट दूर हो जाते है। कुछ बचे पैसे जुटाकर एक आस लेकर चल दिये कैंची धाम और बैठ गये बाबा के चरणो मे.. जैसे ही आंखे बन्द की तो लगा जैसे बाबाजी ने सिर पर हाथ रखा है, बस मेरी आंखो से अपने आप पानी बहने लगा और जब थोडी देर बाद आंखे खुली तो मन शांत हो गया जैसे किसी ने सब दे दिया हो।
वहां से आने बाद जिन्दगी फिर सही दिशा पकडने लगी, पति को और मुझे दोनों को जाॅब मिल गई और अब तो हम ने घर भी खरीद लिया… पर मेरे घर मे सबसे पहले बाबाजी ही प्रवेश करेंगे, क्योंकि ये सब उन्ही के आशीर्वाद से सम्भव हुआ है।
चमत्कार- २ ये बाबा सिद्ध पुरुष थे जिन पर बाबा पर बजरंगबली की विशेष कृपा थी। हनुमान के कारण ही उन्हें इतनी ख्याति प्राप्त हुई।
चमत्कार-३ एक बार बाबा के यहां भंडारा चल रहा था तो अचानक महाराज/रसोइया आया और बोला बाबा धी समाप्त हो गया है तब बाबा ने आदेश दिया आश्रम के निकट जो पवित्र नदी प्रवाहित हो रही है। नदी से कनस्तर में जल ले आओ। आदेश का पालन किया गया। रसोई में जब बाबा नीम जी ने जल का कनस्तर कढ़ाई में उड़ेला तो वह घी के रूप में बदल गया। सभी भक्त इस चमत्कार से आश्चर्यचकित रह गए।
चमत्कार-४ एक बार उन्हें रेलगाड़ी में बैठने की इच्छा हुई। नीम करौली के स्टेशन पर जैसे ही गाड़ी रुकी, बाबाजी रेल के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में जाकर बैठ गए। कंडक्टर गार्ड को जैसे ही ज्ञात हुआ कि बाबाजी बिना टिकट के बैठे हैं तो उन्होंने कहा कि बाबाजी,आप गाड़ी से उतर जाएँ। बाबाजी मुस्कुराते हुए गाड़ी के डिब्बे से उतरकर स्टेशन के सामने ही आसन जमाकर बैठ गए। उधर गार्ड ने सीटी बजाई, झंडी दिखाई और ड्राइवर ने गाड़ी चलाने का सारा उपक्रम किया, किन्तु गाड़ी एक इंच भी आगे न बढ़ सकी। लोगों ने गार्ड से कहा कि कंडक्टर ने बाबाजी से अभद्रता की है। इसीलिए उनके प्रभाव के कारण गाड़ी आगे नहीं सरक पा रही है। परन्तु रेल कर्मचारियों ने बाबा को ढोंगी समझा। गाड़ी को चलाने के लिए कई कोशिशें की गयीं। कई इंजन और लगाए गए परन्तु गाड़ी टस से मस तक न हुई। अन्त में बाबा की शरण में जाकर कंडक्टर, गार्ड और ड्राइवर ने क्षमा माँगी। उन्हें आदर से प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बिठाया। जैसे ही बाबा डिब्बे में बैठे, वैसे ही गाड़ी चल पड़ी। तब से बाबा ‘नीम करौली बाबा’ पड़ा।
विश्लेषण : बाबा की किसी भी शैक्षिक योग्यता का या किसी सारगर्भित उपदेश का कही कोई भी प्रमाण नहीं मिलता है।
ऐसा नहीं है की बाबा ने कोई वैज्ञानिक खोज की हो और नया वैज्ञानिक यन्त्र और ज्ञान किसी को मिला हो। जो लोग कर्म में विस्वास नहीं करते वे ऐसे ही भटकते रहते है और बाबा से चमत्कार की उम्मीद में रहते है। जो स्वयं को शतायु नहीं रख सका और अश्वस्थ रहा ,वो किसी को कैसा आशीर्वाद द्वारा लम्बी आयु धन दे सकता है। मुस्लिम आक्रांता अकबर का नाम पर उनका गांव आज भी अकबर के नाम पर ही है। आज भी वह क्षेत्र उतना ही पिछड़ा है जितना की पहले था ,
महापुरुष राम के सेनानायक हनुमान का अवतार बताकर आप राम और हनुमान का तिरस्कार ना करे। हनुमान समुन्द्र पार करके लंका पहुँच गए और रावण को चुनौती दे डाली। बाबा तो वीर हनुमान के सामने मिटटी भर भी नहीं है।
शिष्य कहते है की जब महाराजजी 17 वर्ष के थे तो इनको इतनी छोटी सी आयु मे सारा ज्ञान था| ये ज्ञान क्या था ,किसी को नही मालूम,वैसे बचपन में विलक्षण प्रतिभा होना कोई नई बात नही है ,आपने तथागत तुलसी का नाम सुना होगा जिसने 16 वर्ष की आयु में विज्ञान में पी. जी ।कर लिया ,लेकिन बाबा के विषय में ऐसा कुछ नही मिला की बाबा की किसी अवतार के रूप में तारीफ की जा सके।
ऐसा लगता है की इस बाबा को भी साई बाबा की तरह व्यवसायिक बनाये जाने की तैयारियां चल रही हैं। मैं कई जगह ऐसे केन्द्र बनते हुए देख रहा हूॅ। कैंची धाम में हर साल 15 जून को स्थापना दिवस के मौके पर मेला लगता है। लेकिन कोविड-19 के खतरे को देखते हुए 2019 में कैंची धाम (Kainchi Dham) में स्थापना दिवस नहीं मनाया गया।
इस साल श्रद्धालु कोवीड के डर से बाबा के आश्रम नहीं गए , ये उन्होंने समझदारी का काम किया।
आपको बता दें कि बाबा नीब करौली महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।एक कहावत है”आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास।” हर कोई लालची भक्त किसी न किसी चमत्कार द्वारा लाभ के लिए बाबा से जुड़ा हुआ है।
बाबाओ के चमत्कार का सच :
पहले यह समझना आवश्यक है कि चमत्कार आप मानते किस बात को हैं।चमत्कार की एक परिभाषा है—”जो कुछ भी प्रकृति के नियमों के विरुद्ध हो,उसे चमत्कार की श्रेणी में रखा जा सकता है।”
अब दूसरी बात पर आते हैं-बाबाओं के पास चमत्कार जैसा कुछ होता है या नहीं?बाबा शब्द बेहद भ्रामक है,बाबा आप किसे समझते हैं?सनातन धर्म मे वैष्णव ,खिन्न,उदासीन सन्यासी, साधु हैं,शाक्त हैं,शैव,नाथपंथी,नागा,अघोरपंथी,गाणपत्य और अनेक प्रकार के साधक और सिद्ध हैं,और इन सबसे किसी चमत्कार की उम्मीद लगाना या इस उम्मीद में रहना सामने वाले का अपना लालच और स्वार्थ है।।चमत्कार देखना है तो विश्व के बड़े जादूगरों के खेल देखिये ,दिमाग सुन्न पड़ जायेगा।हमारे महान सनातन धर्म ने इस बात का सदा खण्डन किया है, हमारे यहाँ सिद्धों की आदर्श परम्परा रही है।जीवन में अनायास कोई संत मिल जाएं,तो उनसे आशीर्वाद लीजियेगा,चमत्कार बेहद मामूली और क्षुद्र बात है।
सच्चा संत चमत्कार नही करता है, चमत्कार करना मदारियों का काम है ,वह अपने अदभुत ज्ञान द्वारा मनोरंजन करता है।
उपरोक्त करोली बाबा के लिए जितनी कहानिया गढ़ी गयी है ये सब चमत्कार बाबा ने नहीं किये बल्कि उनके बाद आने वाले और उनके नाम पर दुकान चलाने वाले लोगों ने ने खड़े किये हैं ।ऐसे समझिए की आपके आसपास जितने भी मंदिर हैं अगर किसी मंदिर के पुजारी अपने मंदिर में चमत्कार गढ़ने में सफल हो जाते हैं तब वह आसपास के सभी मंदिरों को पीछे छोड़ जाएंगे क्योंकि आदमी अभी भी अंधविश्वासी है, वह धर्म के संबंध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं समझता है तथाकथित धर्म गुरु, पुजारी और पुरोहित आदमी की इस अज्ञानता का फायदा उठाते हैं।चमत्कार , मूर्खो की दुनिया ,कम बुद्धि की दुनिया , धर्म की दुनिया , जितने भी नीचे स्तर के बुद्धि के दर्जे के लोग है और इनका संचालन करने वाले गड़रिये ,दर्शनिक ,इनकी दुनिया मे मिलेंगे।
सिर्फ ,कर्म मुक्ति ही आत्मा का लक्ष्य है बस इसके अलावा किसी चमत्कार का मुझे ज्ञान नहीं है इसके बाद ही बुद्धि स्थिर हो जाती है
इसलिए सांसारिक सुख भोग कर आत्मा ,कर्म मुक्ति को प्राप्त करके , मोक्ष को समझे ,बस ,यही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है और उद्देश्य चमत्कार से नहीं , एक दूसरे से ज्ञान लेकर या मिलकर पूरे होते हैं, बाबाओं के चक्कर में ना पड़कर अपना ज्ञान वर्धन करे ,कर्म करें और सत्य पर ध्यान दे।