Categories
राजनीति

असाम बनाम मुग्लिस्तान

एल. आर गाँधी

पाकिस्तान में बचे खुचे अल्पसंख्यकों को ‘नेस्तोनाबूद ‘ करने का खेल जारी है. सैंकड़ों हिन्दू परिवार इस्लामिक अत्याचार से दुखी हो कर पलायन कर रहे हैं ..और हमारे सेकुलर शैतान ‘ईद मुबारक ‘में मस्त हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को मुसलमान बनाने या फिर डराने धमकाने के लिए यू तो शरियत के बहुत से कानून हैं. मगर ईश निंदा का कानून ‘अल्पसंख्यकों’ के लिए एक मौत के फरमान से कम नहीं जिसके तहत किसी भी अल्पसंख्यक को बेवजह बेमौत मार दिया जाता है।

अभी ११ वर्षीया एक ईसाई लड़की को ईश निंदा के आरोप में बंदी बना लिया गया . शुक्रवार को एक मियां ने लड़की पर आरोप लगाया कि उसने कुरआन के १० पन्ने जला दिए …५००-६०० लोगों ने लड़की का घर घेर लिया …इससे पहले कि मज़हबी हुजूम उसे मौत के घाट उतार देता …पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. …३०० ईसाई परिवार अपनी जान बचा कर भागने को लाचार हैं और पुलिस उन्हें भगाने में मदद कर रही है. पिछले ६५ साल में पाक में अल्पसंख्यक २५% से घटते घटते महज़ १.६% रह गए हैं और इनमें अधिसंख्या हिन्दुओं की है।

लगभग यही हाल बंगलादेश का है. बंगलादेश के १९७१ में अस्तित्व में आने के वक्त हिन्दुओं कि आबादी ३६% थी जो अब महज़ ९ % रह गई है . अपनी ओर से तो इंदिरा जी ने बंगला देश बनाने में इस लिए मदद की थी कि पड़ोस में एक ‘सेकुलर मित्र- पडोसी’ होगा. मगर हुआ बिलकुल इसका उल्ट …बंगलादेश से करोड़ों बंगलादेशी मुसलमान आसाम , बंगाल और बिहार में आ घुसे और आज आसाम के मूल निवासिओं को ही उनकी जन्मभूमि से बेदखल करने की साज़िश चल रही है. हमारे सिंह साहेब २२ साल से आसाम के ‘घुसपैठिये’ हैं और अभी तक उन्हें असाम कि समस्या समझ में नहीं आ रही।

सिंह साहेब हम समझाते हैं आप को आसाम की मूल समस्या … यह है कश्मीर से आसाम तक ‘मुगलस्तान ‘बनाने की ‘जिन्ना’ की पुरानी योजना. . बंगलादेश में जहाँगीर नगर युनिवर्सटी में मुगलस्तान रिसर्च इंस्टीच्युट ने पाक से असाम तक मुग्लिस्तान बनाने कि योजना बनाई है. उस योजना के तहत ही देश का मुस्लिम समाज आज आसाम के घुसपैठिये मुसलमानों के साथ खड़ा नज़र आ रहा है. मुंबई, उत्तरप्रदेश ,आन्ध्र, दिल्ली और कर्णाटक की सेकुलर सरकारों को ‘लकवा’ मार गया है मुसलमानों का यह रूप देख कर …. लकवा से पीड़ित सेकुलर शैतान … अपने इन शैतानो को खुश करने के लिए टेढ़े मुंह से ही सही … ईद मुबारक का प्रलाप कर रहे हैं…… वतन के पटल पर एक और विभाजन की रेखाएं साफ़ नज़र आ रही हैं. … और हमारे ‘शिखंडी’ राज परिवार के काले कारनामों को छुपाने -बचाने को ही वतनपरस्ती मान बैठे हैं।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version