145
विरासत पर हमें गर्व है , गौरवपूर्ण अतीत।
बखान नहीं कोई कर सके,ऐसा वर्णनातीत।।
ऐसा वर्णनातीत, सुखद बड़ी अनुभूति होती।
ऋषि महात्मा माला के, मूल्यवान हैं मोती।।
ऋषियों के उद्यम को खा गई आज सियासत।
सियासत की मूर्खता से, खोई आज विरासत।।
146
आहार हमारा ठीक है, होंगे ठीक विचार।
विचार का आधार है , शुद्ध सही आहार।।
शुद्ध सही आहार , शुद्ध मानस भी होता।
मानस ठीक होने से, ठीक मानव भी होता।।
समय रहते जिसने , निज स्वास्थ्य संवारा।
उसको साधा करता है,शुद्ध आहार हमारा।।
147
मैं कुछ करता हूं नहीं, करता है कोई और।
मेरो मन पागल हुआ , मचा रहा घुड़दौड़।।
मचा रहा घुड़दौड़ , रात दिन भागा फिरता।
व्यर्थ दिखाता गर्व , स्वयं प्रशंसा करता।।
शुभ कर्मों का प्रेरक ईश, वही प्रेरणा करता।
दूर भगा इस घमंड भाव को- मैं कुछ करता।।
दिनांक : 16 जुलाई 2023
मुख्य संपादक, उगता भारत