Categories
महत्वपूर्ण लेख

अबू जुंदाल ने खोली जेहादी संरक्षकों की पोल

डॉ हरपाल सिंह

21 जून 2012 को सऊदी अरब ने, लश्करे-तोयबा के दुदांत इस्लामिक जेहादी, सैयद जबीऊद्दीन अंसारी, उर्फ आबू जुंदाल को अमेरिका की सिफारिश पर भारत को सौंप दिया। उसने, कसाब ने और डेविड कौलमेन हैडली ने 26/11 में हुए, पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई प्रायोजित और इस्लामी जेहादी संगठन एलईटी द्वारा क्रियान्वित और संचालित, भारत पर हमले की पूरी योजना, प्रशिक्षण साधन, सामान आधुनिकतम भयानक हथियार, पैसा, सूचना आदि का ब्यौरा विस्तार से बयान कर दिया। पूरे ऑप्रेशन को बड़ी कार्य कुशलता और लगन से अंजाम दिया गया। साठ घंटे तक सारा देश सांस रोके, इस तांडव से जूझता रहा। लगभग 170 निरअपराध भारतीय, यहूटी, अमेरिकी जर्मन नागरिकों की निमर्म हत्या हुई, 300 से ज्यादा घायल हुई, और भारत के एटीएस प्रमुख करकरे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त कामेत, एवं सैलासकर, सहित लगभग 30 पुलिसएसपीजी आदि सुरक्षा सैनिक, इन इस्लामिक जेहादियों से लड़ते लड़ते शहीद हो गये। अरबों रूपयों के नुकसान के साथ पूरे देश की सामरिक क्षमता, एवं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सारे विश्व में किरकिरी हुई, टूरिज्म को धक्का लगा और भारत की छवि एक कमजोर और दुर्बल इच्छाशक्तियों से ग्रस्त एक असुरक्षित देश के रूप में समूचे विश्व समुदाय में फैल गयी।
जब सारा राष्ट्र विषाद से ऊबर कर आक्रोश में, एक मन से, इन तबाही मचाने वाले जेहादियों एवं उनके सरपरस्तों को ढूंढ़ ढूंढ कर जड़ से खत्म करने को तैयार था, और विश्व समुदाय से पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने की अपील कर रहा था, ठीक उसी समय कांग्रेस के महासचिव, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और इस गरीब देश में भी असीम सुख, सुविधा, सम्मान एवं अधिकारों का भोग करने वाले राजा दिग्विजय सिंह ने तो वो कमाल किया जो पाकिस्तान और उसके जेहादियों के समर्थक भीनही कर पाये थे। उन्होंने रहस्योद्घाटन किया कि मुंबई के एटीएस चीफ हेमंत करकरे ने इस जेहादी हमले में अपनी मृत्यु से कुछ ही घंटे पहले, उन्हें फोन किया था कि हिंदू आतंकवादियों से उन्हें अपनी जान का खतरा है और उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। पाकिस्तान की और आंतरिक एवं बाहरी मजहबी देहादियों की मदद करने वाले, वह अकेले ही नही थे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री मान्यवर अब्दुल रहमान अंतुले ने भी 18 दिसंबर 2008 में जोड़ा जैसा दीखता है वैसा नही है। (पाकिस्तान प्रायोजित जेहादी हमला) करकरे की हत्या की जांच दूसरे एंगिल से भी होनी चाहिए। पूर्वाग्रह से ग्रसित होने के कारण उनका इशारा हिंदू आतंकवाद की ओर था। रोजनामा राष्ट्रीय सहारा ने अपने 5 दिसंबर 2008 के अखबार में कहानी बनाई। उसने साफ आरोप लगाया कि करकरे की हत्या मुंबई पर हमले को अंजाम, हिंदू कट्टरवादियों ने ही दिया है। उर्दू प्रेस के दूसरे अखबार अकबरे मसिरक ने भी 6 दिसंबर 2008 को साफ लिखा कि मुंबई पर हमला, हिंदू आतंकियों ने ही किया है। यहां तक कि महाराष्ट्र के एक रिटायर्ड इंसपेक्टर जनरल, पुलिस श्री मुशरिफ ने अपनी पुस्तक हूं क्लिड करकरे में सब शर्म, सच्चाई और देश हित ताक पर रख, लिखा कि आईबी और हिंदू कटरपंथियों ने ही मिलकर श्री करकरे की हत्या की है। लेकिन देश के साथ गद्दारी और हर हाल में हिंदुओं को ही बदनाम करने की कोई मौकाा न छोडऩे वाली उर्दू प्रेस, दिग्गी राजा, अंतुले आदि की कुटिल सोच की भी तब तो हद ही हो गयी जब रोजनामा राष्ट्रीय सहारा गु्रप संपादक अजीज बर्नी ने 12 जनवरी 2009 को लिखा, सीआईए (अमरीकन खुफिया एजेंसी) मोशाद (ईजरायली एजेंसी) नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुंबई पर हमला किया। मुंबई पुलिस ने भारतीय सेना की मदद से करकरे की हत्या की, और मुंबई पुलिस ने ही मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन पर गोलाबारी की।
पाकिस्तान समर्थक, इस्लामी जेहादियों के हिमायती और अपने ही देश भारत के इन गद्दारों के इन बयानों से पाकिस्तान बहुत खुश हुआ। वह इन तत्वों का अहसान कभी नही भूलेगा।
भारत को तबाह करने वाले बाहरी एवं अंदरूनी जेहादियों के हौसले बुलंद हुए और निरअपराध हिंदुओं को प्रताडि़त एवं बदनाम करने का एक सुनहरा मौका केन्द्रिय एवं महाराष्ट्र सरकार को मिल गया। पाकिस्तान को बेकसूर तथा भारत को हर ब्लास्ट में उसे ही दोषी प्रचारित करने की आदत का प्रभावी आधार इन पाकिस्तान परस्त एवं जेहादी संरक्षक समर्थक भारतीय एवं स्वयूभू सेकुलर बुद्घिजीवियों ने दे दिया।
इस परिपेक्ष में आबूजुंदाल हेडली एवं कसाब का खुलासा चौंकाने से कहीं ज्यादा भयभीत करने वाला है। आबू जुंदाल ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सैल को बताया कि साजिश मुंबई को तबाह करने और उसके लिए हिंदू आतंकवाद का हव्वा खड़ाकर, पाकिस्तान को साफ बचाने की थी। आईएसआई एलईटी ने जेहादियों को (1) अरूणोदया कालिज, हैदराबाद के आईडीकार्ड (पहचान पत्र) दिये (2) एलईटी साजिसकार, हेडली ने मुंबई के सिद्घिविनायक मंदिर से, दसों जेहादियों की कलाईयों पर बांधने के लिए पवित्र कलावे/मौली खरीदी (3) इस्लामी जेहादी फहादुल्ला ने टीवी चैनल को बताया कि हम हैदराबाद से हैं, क्या तुम यह भी नही जानते कि हैदराबाद भारत में है। (4) एलईटी के जरारशाह ने सब आतंकियों को इंडियन सिम कार्ड दिये। (5) जुंदाल ने जेहादियों को हिंदी सिखाई हिंदी पत्रिकाएं दी और हिंदी में उनसे बात की। (6) हिंदू नाम रखे अब्दुल कसाब शमीर चौधरी, ईशमाईल खान नरेश वर्मा, खड़क सिंह आदि बन गये, और नमस्ते प्रशासन आदि शब्दों का अभ्यास और प्रयोग कराया।
नेहत्वविहीन, दिशा भ्रमित और मुस्लिम वोट बैंक की लालची और नितांत कमजोर, मजबूर सरकार को मौका मिल गया, हिंदू आतंकवाद का झूंठ फैलाकर, हिंदुओं को बदनाम और मुस्लिमों को खुश करने का। पाकिस्तान परस्त और जेहादी समर्थक जिनका जिक्र ऊपर किया जा चुका है, ऐसे मौके की तलाश में थे ही, खुलकर कूद पड़े। आरएएस, मौशाद, सीआईए, हिंदू कट्टïरपंथियों को, नरीमन प्वाइंट सहित मुंबई आक्रमण का दोषी ठहराया। अलकायदा के लिए सुरक्षित देश पाकिस्तान और ये जेहादी अपने इन मददगारों का सदा ऋणी रहेंगे, आभारी रहेंगे। आबू जुंदाल, डेविड कौलमेन और कसाब का साफ खुलसा भारत देश और उसकी सर्वे भवंतु सुखिना, सर्वे भवंतु निरामया। संस्कृति को मानने वाले, सहिष्णु बहुसंख्यक हिंदू समाज के द्रोहियों को शर्मशार करने के लिए बहुत है बशर्ते इन तत्वों में कहीं, कुछ भी शर्म, स्वाभिमान, देशप्रेम बचा हो?

Comment:Cancel reply

Exit mobile version