अक्सर देखा गया है कि भारत में जब भी “वन्दे मातरम “या “भारत माता कि जय “कहने कि बात हो .और जब भी हिन्दुओं के महापुरुषों के जन्म स्थानों पर इमारत (मंदिर ) बनाने की बात होती है ,तो मुल्ले मौलवी मुसलमानों को ऐसा करने से रोक देते हैं .और यह कहकर मुसलमानों को भड़का देते हैं कि ऐसा करना ” शिर्क Polytheism ” है और एक प्रकार से महापाप है .जिसे अल्लाह कभी माफ़ नहीं करेगा .शिर्क के बारे में कुरान के हिंदी अनुवाद के आखिर में ” पारिभाषिक शब्दावली ” में यह बताया गया है ,
शिर्क =अल्लाह के आलावा किसी पर आदर भाव प्रकट करना ,अल्लाह के साथ किसी को शामिल करना ,प्रशंसा करना ,स्तुति ,वंदन करना .विनय भाव प्रकट करना ,अल्लाह के अतिरिक्त किसी को मदद के लिए पुकारना ,या उसे सिजदा करना भी शिर्क है ( कुरान का हिंदी अनुवाद ,फारुख खान . मकतबा अल हसनात पेज 1245 )
इस विषय को और अच्छी तरह से समझने के लिए हमें भारतीय और इस्लामी मान्यताओं में अंतर जानना होगा ,भारतीय किसी महापुरुष के जन्मस्थान को पवित्र और तीर्थ मानते हैं ,यहांतक सम्पूर्ण भारत कि भूमि को पवित्र मानकर वंदना(तारीफ़ ) करते हैं लेकिन मुसलमान अपने रसूल ,औलिया ,और सूफियों के दफ़न स्थान ( कब्र )को मुक़द्दस मानकर वहां जियारत करके मन्नत मंगाते हैं .इसी दोहरी नीति का कुरान और हदीसों के आधार पर खुलासा किया जा रहा है .ताकि एक गिरोह दुसरे पर अपने विचार जबरदस्ती नहीं थोपे ,देखिये –
1-कुरान में कबर की पूजा
कुरान की सूरा कहफ़ 18 :18 और 22 में कुछ ऐसे पवित्र व्यक्तियों का वर्णन है ,जो इसा मसीह को मानते थे ,और अपनी जन बचाने के लिए एक गुफा में बरसों तक अल्लाह की कृपा से बिना खाए पिए सोते रहे थे , और उनके साथ एक कुत्ता भी था .बाद में जब वह मर गए तो जब लोग उनके उनके ऊपर कोई ईमारत बनाना चाहते तो बहस होने लगी , इस पर कुरान में यह लिखा है ,
وَكَذَلِكَ أَعْثَرْنَا عَلَيْهِمْ لِيَعْلَمُوا أَنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ وَأَنَّ السَّاعَةَ لاَ رَيْبَ فِيهَا إِذْ يَتَنَازَعُونَ بَيْنَهُمْ أَمْرَهُمْ فَقَالُوا ابْنُوا عَلَيْهِم بُنْيَانًا رَّبُّهُمْ أَعْلَمُ بِهِمْ قَالَ الَّذِينَ غَلَبُوا عَلَى أَمْرِهِمْ لَنَتَّخِذَنَّ عَلَيْهِم مَّسْجِدًا
“जब वह आपस में विवाद कर रहे थे की यहाँ कितने लोग थे जिनके साथ एक कुत्ता था तो,एक ने कहा कि सही संख्या सिर्फ अल्लाह ही जानता है ,और उसकी बात सब से भारी पड़ी ,तब लोगों ने यह तय किया कि उनके ऊपर एक उपासना स्थल बना दिया जाये ” सूरा – कहफ़ 18 :21
इमाम इब्न जरीर ने अपनी तफ़सीर “अत तबरी ” इस आयत के बारे में लिखा है कि पहले मुशरिक उस जगह पर एक ईमारत बनाना चाहते थे , ताकि वहां इबादत कर सके . लेकिन बाद में मुसलमानों ने कहा कि वहां मस्जिद बनाना मुनासिब होगा ,ताकि मुस्लमान नमाज पढ़ सकें (उस समय वहां इसाई अधिक थे जो चर्च बनाना चाहते थे ).
“فقال الـمشركون: نبنـي علـيهم بنـياناً، فإنهم أبناء آبـائنا، ونعبد الله فـيها، وقال الـمسلـمون: بل نـحن أحقّ بهم، هم منا، نبنـي علـيهم مسجداً نصلـي فـيه، ونعبد الله فـيه
Tafsir at-Tabri (15/149)
2-काबा के पास भी 70 कबरें हैं
” अली कारी ने कुरान की सूरा कहफ़ 18 :21 की तफ़सीर में “मिरकात शरह अल मिश्कात ” में इस आयात का खुलासा करते हुए लिखा है कि मस्जिदे हराम “काबा ” के पास जो हातीम ( semicircular wall ) है और जो हजरुल अस्वद ( black stone ) और मीजाब के पास है ,उसमे हजरत इस्माइल की कब्र भी है .और उस जगह की जियारत करने और वहां पर दुआ मांगने में कोई बुराई नहीं है .
Mirqat, Sharh al Mishqaat, Volume No. 2, Page No. 202]
“इब्ने उमर ने कहा है कि रसूल ने कहा है ,सचमुच ही मस्जिदे खैफ में सत्तर 70नबियों की सामूहिक कबरें मौजूद है ,और इमाम हैसमी ने इसकी तस्दीक करते हुआ कहा कि यह हदीस सही है .
وعن ابن عمر أن النبي صلى الله عليه وسلم قال:
”في مسجد الخيف قبر سبعون نبياً”.
رواه البزار ورجاله ثقات
Imam al-Haythami in Majma az Zawaid,
Volume No. 3 Bab fi Masjid al Khayf, Hadith #5769″
3-कब्रों की जियारत जायज है
” इसी तरह प्रसिद्ध हनफी इमाम मुल्ला अली कारी ने “मिरकात शरह अल मिश्कात में ” यह भी लिखा है कि कब्रों के ऊपर पक्का निर्माण करने कि अनुमति है ( मुबाह है ) ताकि लोग आसानी से प्रसिद्ध मशायख ( शेखों का बहु वचन ) और उलेमाओं की कब्रों की जियारत कर सकें .
وقد أباح السلف البناء على قبر المشايخ والعلماء المشهورين ليزورهم الناس ويستريحوا بالجلوس فيه
Mirqaat Sharh al Misshqaat, Volume No. 4, Page No. 69]
महान शाफ़ई विद्वान् सूफी इमाम अब्दुल वहाब अल शरनी ने कहा की मेरे उस्ताद अली और उसके भाई अफजलुद्दीन कहते थे “नबियों और महान औलियाओं की कब्रों पर गुम्बद और साया बनाना चाहिए .”
“كانوا يقولون أن الأنبياء والأولياء فقط عظيمة تستحق عن القباب والأوراق
Al-Anwar al Qudsiya, Page No. 593
4-रसूल की कब्र का दर्शन करो
“अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा की रसूल ने कहा कि मेरी मौत के बाद मेरी कब्र का दर्शन करना मुझे जिन्दा देखने के समान है .
عَنِ ابْنِ عُمَرَ رضي اﷲ عنهما قَالَ : قَالَ رَسُوْلُ اﷲِ صلي الله عليه وآله وسلم : مَنْ زَارَ قَبْرِي بَعْدً مَوْتِي کَانَ کَمَنْ زَارَنِي فِي حَيَاتِي
Tibrani Volume 012: Hadith Number 406
Bayhaqi Shab ul Iman Volume 003: Hadith Number 489
“इमाम इब्न कदम ने कहा कि रसूल ने कहा है कि मेरी मौत के बाद जो भी व्यक्ति हज्ज करे ,वह मेरी कब्र कि जियारत जरुर करे क्योंकि मेरी जियारत मुझे जीवित देखने के बराबर है ,और बाजिब है.
ويستحب زيارة قبر النبي لما روى الدارقطني بإسناده عن ابن عمر قال: قال رسول الله : «من حج فزار قبري بعد وفاتي فكأنما زارني في حياتي» وفي رواية، «من زار قبري وجبت له شفاعتي
Imam Ibn Quduma in al-Mughni, Volume No. 5, Page No. 381
5-रसूल की आत्मा
“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है कि मौत के बाद अल्लाह मेरी आत्मा वापिस लौटा देगा ,और मेरी मौत के बाद जो भी मुझे सलाम करेगा ,मैं उसके सलाम का जवाब दूंगा .
t Allah returns my soul to me so that I may return his greetings.”
َنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه أَنَّ رَسُوْلَ اﷲِ صلي الله عليه وآله وسلم قَالَ : مَا مِنْ أَحَدٍ يُسَلِّمُ عَلَيَّ إِلَّا رَدَّ اﷲُ عَلَيَّ رُوْحِي، حَتَّي أَرُدَّ عَلَيْهِ السَّلَامَ
Abu Dawood- Book 4, Number 2036
https://sunnah.com/hisn:223
6-रसूल की लाश नहीं सडेगी
“अब्दुल दरदा ने कहा कि रसूल ने कहा है ,अल्लाह ने जमीन को मेरे मृतक शरीर को सड़ाने से रोक दिया है .और अल्लाह ने यह विशेष सुविधा अपने नबियों को प्रदान की है .
Allah has prohibited the earth from consuming the bodies of Prophets.
Arabic reference: Book 6, Hadith 1626
In-book reference: Book 6, Hadith 127
Sunan Ibn Maja Volume 001: Hadith Number 1626
https://gowister.com/hadith/ibnmajah/1622/
Reference : Sunan Abi Dawud 1531
In-book reference : Book 8, Hadith 116
English translation : Book 8, Hadith 1526
https://sunnah.com/abudawud:1531
Abu Dawud Book 002, Hadith Number 1526
7–रसूल को सलाम वाजिब है
काजी इलयाद ने अश शिफा में लिखा है कि रसूल कि कब्र की जियारत करना और उन पर सलाम करना बाजिब और सवाब की बात है .
في حكم زيارة قبره صلى الله عليه وسلم، وفضيلة من زاره وسلم عليه
و زيارة قبره صلى الله عليه وسلم سنة من سنن المسلمين مجمع عليها، وفضيلة مرغب فيها: روى عن ابن عمر
Qadhi Iyaad in Ash-Shifa, Volume No.2, Page No. 53]
8-कुरान कथन
अभीतक आपके सामने शिर्क मृतक लोगों की कब्रों की जियारत करने और उनसे दुआ मागने के बारे में हदीसों के विचार दिए गए हैं ,अब देखिये कि इसके बारे में कुरान क्या कहता है ,
“यह लोग अल्लाह के अलावा जिस को भी पुकारते हैं, वह उनकी किसी भी तरह जवाब नहीं दे सकते ” सूरा -रअद 13 :16
“जो लोग अल्लाह के अलावा जिस को भी पुकारते हैं ,वे केवल गुमान के पीछे चलते हैं ,और अटकल से काम लेते हैं “सूरा -युनुस 10 :66
यद्यपि हिन्दू धर्म में भी मृतकों ( भूतों )की उपासना करने को तामसी ( निकृष्ट ) बताया है और केवल इश्वर की शरण में जाने को कहा है ,देखिये
भूतान्प्रेत गणान्श्चादि यजन्ति तामसा जनाः-गीता17:4
“भूत प्रेतों की उपासना तामसी लोग करते हैं ”
तमेव शरणं गच्छ सर्व भावेन भारतः-गीता18:62
“हे भारत तुम हरेक प्रकार से ईश्वर की शरण में जाओ
फिर भी मुल्ले हिन्दुओं पर मुशरिक होने का लांछन लगा देते है मुल्ले मौलवियों की कथनी और करनी में काफी अंतर होता है ,यह मुसलमानों से कुछ और कहते हैं और कुछ और ही करवाते हैं इसे साबित करने की लिए एक विडियो लिंक दिया जा रहा है , जिसमे मुसलमान एक पीर को सिजदा कर रहे हैं
Sajdah to Mullah Tahir-ul-Qadri! Mullah Shirk مشرک ملا اور شرک
इस विडिओ में नज्म की में सिर्फ दो लाईने दी हैं ,हम चारों दे रहे हैं ,
” जिस जा नजर आते हो ,सिजदा वहीँ करता हूँ ,इस से नहीं कुछ मतलब ,काबा हो या बुतखाना ,
एक हाथ में है तस्बीह ,एक हाथ में पैमाना , कुछ होश नहीं मुझको ,मस्जिद है या मैखाना ”
अब सभी पाठकों से अनुरोध है कि पूरा लेख पढ़ने के बाद निर्णय करें कि मुशरिक कौन है .?
(200/23)
ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)
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