" शेर "
ऐ ख़ुदा ! तहेदिल से,
तुझे आद़ाब करता हूँ ।
तेरे नायाब रूतबे को,
ज़हन में ध्यान रखता हूँ,
गिर न जाऊँ तेरी नजरो में कहीं,
इस बात का हमेशा ख़याल रखता हूँ ।
ये सितारो की महफिल सजी है,
ये महफिल है सितारो की,
नयारो की बहारो की,
मुनव्वर कम न हो जाये,
इस लिए सदा तुझे,
मैं याद करता हूँ॥2384॥
आत्मविश्वास के संदर्भ में :-
यकीन हो तो रास्ता,
निकलता है।
हवा की ओट ले,
चिराग जलता है॥2385॥
संयोग और वियोग के संदर्भ में:-
जो मिला संसार मे,
मात्र क्षणिक संयोग।
नियम अटल है विसर्ग का,
एक दिन होय वियोग॥2386॥
मन के संदर्भ मे-
मन बूढ़ा होता नही ,
तन बूढ़ा हो जाए।
कभी गिरे पाताल में,
कभी वियोम छुआए॥2387॥
"ओ३म् की महिमा"
वाणी होय पवित्र तब,
जब उच्चारै ओ३म् ।
ओ३म् ही ओ३म् का जाप कर,
भव से तारे ओ३म् ॥2388॥
आध्यात्मिक तेज की महिमा :-
दिव्य गुणों से चित्त जब,
होता है लवरेज।
तब चेहरे पर भासता,
आध्यात्मिक है तेज॥2389॥
भक्ति जब परवान चढ़ती है :-
तेरा दर सूना नही,
अतुलित हैं भण्डार।
भक्ति चढै परवान तो ,
छूटें सभी विकार॥2390॥
'शेर'
सितारा जब बुलन्दी पै पहुंचा,
तो सबकी नज़रो में आ गया।
ये तेरी रहमत का कमाल था,
जो हर दिल पें छा गया॥2391॥
जीना है तो साधक की तरह जीओ :-
आलोचक संसार हैं,
करना ‘नहीं गुरेज।
संयम, साहस साधना,
नया निखारे तेज॥2392॥
क्रमशः