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कविता

कुंडलियां … 42 सुख – शांति संसार में…..

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विश्व गुरु भारत बने, सबकी सोच समान ।
चमक उठे संसार में , भारत मां की शान।।
भारत मां की शान, अपने शासक होवें।
भारत का विस्तार करें, सारे पापों को धोवें।।
फिर से हो भोर हमारी, फिर से हों यज्ञ शुरू।
धरा आर्यों की होवे , भारत बने विश्व- गुरु।।

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सुख – शांति संसार में, करें वेद के गीत।
करें उन्हें खुशहाल भी, खड़े हुए भयभीत।।
खड़े हुए भयभीत , मिले जीवन की आशा।
मिले चेतना उन सबको, पसरी जहां निराशा।।
सारे भूमंडलवासी , झूमें , मस्त रहे संसार में।
यज्ञ – यागादि से फैले, सुख शांति संसार में।

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मत पंथों की आग में , जला जाय संसार।
धर्म धकेला मारकर, व्यथित हुआ संसार।।
व्यथित हुआ संसार , आग बढ़ती ही जाती।
कैसे आग बुझेगी ना बात समझ कुछ आती।।
हाहाकार मची है जग में, मची है भागम भाग।
सर्वत्र फैलती जाती है , मत पंथों की आग।।

दिनांक : 13 जुलाई 2023

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत

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