नवीन कुमार पाण्डेय
टूलकिट। सोशल मीडिया जमाने में मिला नया हथकंडा है यह। हथकंडा तिल को ताड़ करने का, सच को झूठ और झूठ को सच करने का, आधे सच पर पूरी कहानी बुनने का, थोड़े से सच में बहुत ज्यादा झूठ मिलाकर पेश करने का, वक्त और मौके की नजाकत भांपकर मुद्दे उछालने का। यह हथकंडा एक को हीरो और दूसरे को विलेन बना सकता है, यह बड़े को छोटा बनाकर दबा सकता है और छोटे को बड़ा बनाकर दुनियाभर में कोहराम मचा सकता है। टूलकिट इंसानों, संस्थानों और तकनीक के मिले-जुले प्रयासों का प्रतिनिधि होता है। आज यही टूलकिट मणिपुर में दो निर्वस्त्र महिलाओं के दो महीने पुराने वाकये पर ऐक्टिव है। टूलकिट के जितनी पहचान और जितने मानदंड ऊपर बताए गए हैं, मणिपुर की उस अमानवीय घटना पर हो रहा हंगामा कमोबेश उन सब पर खरा उतर रहा है। आइए टूलकिट की एक-एक कसौटी के मद्देनजर मणिपुर मामले पर नजर डालते हैं…
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें पुरुषों की भीड़ दो निर्वस्त्र महिलाओं को ले जा रही है। कहा जा रहा है कि दोनों महिलाएं कुकी समुदाय की हैं और उनके साथ हैवानियत करने वाले पुरुष मैतेयी समुदाय से हैं। वीडियो की सच्चाई पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन घटना मई महीने का बताया जा रहा है। फिर सवाल उठता है कि करीब 70-75 दिन के बाद अचानक यह वीडियो ट्विटर पर कैसे तैरने लगा? क्या यह महज संयोग है या सोचा-समझा प्रयोग? सबको पता है कि आज संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ और ट्विटर पर मणिपुर के इस दर्दनाक वाकये को लेकर ट्रेडिंग शुरू हुई बुधवार से। यानी संसद सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले। तो यह रही टाइमिंग की बात। तो क्या इसे वक्त और मौके की नजाकत देखकर मुद्दा उछालने के एक शानदार उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है? जवाब आप खुद सोचिए।
मणिपुर में तो महिलाएं खुद ही कपड़े उतारने की धमकी सैनिकों को देती हैं और उतारती भी हैं। खुद सेना ने ऐसा वीडियो शेयर करते हुए अपनी मजबूरी का इजहार किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मणिपुर में खासकर कुकी समुदाय ने महिलाओं को ढाल बनाकर इस्तेमाल किया है। सवाल है एक जगह बिना कपड़े में महिला की इज्जत चली जाती है तो फिर दूसरी जगह महिला खुद से कपड़े उतारकर आखिर किस तरह की इज्जत कमा रही होती हैं? महिला को निर्वस्त्र किया जाना अमानवीय है तो औरत के खुद से नग्न हो जाना घिनौना ही है। चूंकि टूलकिट का एक काम बात का बतंगड़ करना भी है, इसलिए स्पष्ट करना जरूरी है कि किसी भी तरह से महिला की इज्जत से खिलवाड़ का बचाव नहीं किया जा सकता या उसे जायज नहीं ठहराया जा सकता। और फिर महिला ही क्यों, किसी भी इंसान की, किसी भी परिस्थिति में इज्जत तार-तार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसलिए मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जो हुआ, वह अमानवीय है। लेकिन इस तथ्य से नजर नहीं फेरा जा सकता है कि वहां महिलाओं ने कैसे खुद की इज्जत नहीं की।
खैर, यह भी जानते हैं कि कुकी समुदाय है कौन? क्या वह सच में मणिपुर हिंसा का पीड़ित है या फिर मूल उत्पाती? मणिपुर के इतिहास से लेकर सभ्यता-संस्कृति तक, एक-एक चीज मैतेयी समुदाय से जुड़ी है। मैतेयी समुदाय ने ही मणिपुरी इतिहास और संस्कृति को संजोकर रखा है। कुकी के बारे में कहा जाता है कि आबादी में 35% की हिस्सेदारी वाले इस समुदाय का 90% जमीन पर कब्जा है। इसने हिंदू धर्म छोड़कर इसाइयत अपना ली है और अफीम धंधे में लिप्त है। कुकी के संप्रदाय का जिक्र करना इसलिए जरूरी है कि हिंदू बनाम अन्य की स्थिति बनती है तो देश-विदेश का टूलकिट कैसे बिहेव करता है, यह याद दिलाई जा सके। प्रॉपगैंडा के मामले में कुकी को भी इसाई समुदाय के होने का फायदा मिल रहा है। हिंदू मैतेइयों पर उसी मणिपुर में खूब अत्याचार हुए- कुकी समुदाय के लोगों ने मैतेई महिलाओं के रेप किए, बस्तियां जलाईं, बच्चे-बजुर्ग सबको बेरहमी से मारा, लेकिन तब कोई हो-हंगामा नहीं हो रहा था। सोशल मीडिया पर कुकी अत्याचार के सबूत आ रहे थे, लेकिन तब उसे मणिपुर हिंसा के बड़ी चादर के नीचे ढक दिया जा रहा था।
टूलकिट की जादुई शक्ति समझिए- महीनों से अत्याचार और हिंसा की एक से बढ़कर एक अमानवीय घटनाओं को अंजाम देनेवाला कुकी समुदाय रातोंरात दुनिया की नजर में पीड़ित बन गया और मार खाने वाला मैतेई की छवि हिंसक और आततायी की हो गई। ये है प्रॉपगैंडा की ताकत, ये है मौका भुनाने का नायाब नमूना। जिस कुकी समुदाय ने मणिपुर के मैतेई समुदाय पर कहर ढाता रहा, वो आज दुनिया की नजर में बेचारा बन गया और असल में भुगतने वाला विलेन। टूलकिट ऐसे ही काम करता है। देश में हजारों दंगे हुए, लेकिन सबको सिर्फ गुजरात दंगा याद है। शायद ही कोई दिन बीत रहा हो जब देश के किसी ना किसी कोने में मुसलमान, किसी ना किसी हिंदू लड़की का रेप नहीं कर रहा है, लेकिन सबको याद है तो कठुआ रेप कांड। मुसलमानों के हाथों दर्जनों हिंदू मारे गए, लेकिन अखलाक की हत्या ही याद रहेगी।
अक्सर वीडियोज आते हैं कि कैसे मुसलमान खाने में थूक रहा है, पेशाब कर रहा है और पता नहीं कैसे-कैसे घिनौने काम कर रहा है, लेकिन यह सब ऐसे आया-गया हो जाता है जैसे सामान्य बात हो। हिंदू लड़कियों को धोखे से फांसकर रेप करने, धर्म परिवर्तन करवाने, उनकी हत्या करने की घटनाएं अक्सर हो रही हैं, लेकिन कल्पना कीजिए किसी एक मुस्लिम लड़की के साथ ऐसी बात हो जाए फिर क्या होगा? टूलकिट की यही ताकत है। मणिपुर में नग्न महिलाओं के साथ दिख रही भीड़ हैवानों की है, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन सत्य सिर्फ इतना नहीं है। आप अगर सच में इंसान हैं तो किसी भी दुखद सत्य पर आपका कलेजा दहलना चाहिए। अगर आपको मैतेई समुदाय की पीड़ा से फर्क नहीं पड़ रहा तो आप टूलकिट का हिस्सा हैं- दो नग्न महिलाओं का पैरेड देखकर छलका आपका दर्द, उमड़ती आपकी भावना, हिलोरें मारतीं आपकी इंसानियत बनावटी हैं।
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं