कुंडलियां … 33 विषधर मजहब होत है…….
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देश ,न्याय ,सत् धर्म से, करो सत्य सरोकार।
शुद्धि करके खोजिए, जीवन का आधार।।
जीवन का आधार , मनुष्यता खोज रही।
दुर्गुणी मनुज दानव होता, इतना ही सोच रही।।
सड़ गया व्यक्तित्व , आती दुर्गंध इनके कर्म से ।
क्या समझे ऐसा मानव, देश, न्याय ,सत धर्म से ?
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विषधर मजहब होत है, करे देश का नाश।
लोगों को है बांटता, मिटा देत विश्वास।।
मिटा देत विश्वास , कराता दंगम – दंगा।
चौराहे बीच मानव , दानव बन होता नंगा।।
करे मजहब नाश मनुज का, शत्रु भी होत है।
मक्कारी गद्दारी वाला, विषधर मजहब होत है।।
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देश के कारण छोड़िए, मजहब की हर बात।
बड़ा हीन विचार है, सिखलाता है घात।।
सिखलाता है घात, उसे मत उत्तम जानो।
खून कराता मानव से, उसे तुम हंता मानो।।
मजहबी ठेकेदारों ने देश का किया विभाजन।
आज इन्हें पहचानो बंधु ! फिर देश के कारण।
दिनांक : 10 जुलाई 2023
Dr Rakesh Kumar Arya
sampadak ugata Bharat
मुख्य संपादक, उगता भारत