राजार्य सभा ने उठाया वेद को भारत की राष्ट्रीय पुस्तक घोषित करने का बीड़ा

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ग्रेटर नोएडा। यहां सूरजपुर आर्य समाज मंदिर में राजार्य सभा की एक बैठक मैं सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभा वेद को भारत की धर्म पुस्तक घोषित करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएगी। इस संबंध में जानकारी देते हुए राजार्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य ने बताया कि भारत की ही नहीं बल्कि संपूर्ण भूमंडल की प्राचीन पुस्तक वेद है। इस बात पर संपूर्ण संसार के सभी विद्वान सहमत हैं। ऐसे में न केवल भारत की बल्कि मानवता की सेवा करने के दृष्टिकोण से भी यदि देखा जाए तो वेद को वैश्विक बौद्धिक संपदा घोषित करते हुए भारत पहल कर इसे अपनी राष्ट्रीय पुस्तक घोषित करे।
श्री आर्य ने कहा कि 1528 ईसवी में जब बाबर ने अयोध्या स्थित राम मंदिर को तोड़ा था तो उस समय से लेकर आज तक लाखों वीर बलिदानियों ने देश धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए अपने बलिदान दिए हैं। उनकी स्मृति में वहां पर एक शहीद स्तंभ बनाने के साथ-साथ शहीदों के नाम की वैसी ही ज्योति भी स्थापित करनी चाहिए जैसी दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर स्थापित की गई है। वहां इस अखंड ज्योति को यज्ञ के माध्यम से जारी रखना चाहिए। जिसमें आर्य समाज के वैदिक विद्वानों की सेवा ली जाएं और उन्हें स्थाई वेतन दिया जाए।
सभा की ओर से केंद्र सरकार से यह भी मांग की गई है कि सत्यार्थ प्रकाश की नैतिक शिक्षाओं को अलग-अलग स्कूली पाठ्यक्रम में बच्चों के मानसिक स्तर को देखते हुए लागू कराया जाए। संस्कृत को विश्व भाषा और हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करते हुए इन दोनों भाषाओं के सम्मान के लिए विशेष कोष स्थापित किया जाए और संस्कृत के विद्वानों को विशेष नियुक्तियां प्रदान की जाएं।
सभा ने यह प्रश्न भी उठाया है कि यदि दिल्ली में भेड़ और बकरी पाली जा सकती हैं तो गाय को क्यों नहीं पाला जा सकता? यह बात तब और अधिक विचारणीय हो जाती है जब केंद्र में हिंदुत्व की बात करने वाली भाजपा की सरकार है।
श्री आर्य ने बताया कि भारत निरंतर ज्ञान की साधना में रत रहने वाला देश है। इसीलिए इसका नाम भारत है। यहां वेद के विज्ञान को, वेद के गणित को और वेद की भाषा को पढ़ाया जाना अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि विश्व शांति की स्थापना वेद की शिक्षाओं के देने से ही संभव है। इसके अतिरिक्त भारत में पंथनिरपेक्षता की रक्षा भी वेद की शिक्षाओं के माध्यम से ही हो सकती है। श्री आर्य ने कहा कि हम हिंदू समाज को ही नहीं बल्कि राष्ट्रभक्ति का प्रदर्शन करने वाले प्रत्येक संप्रदाय और समुदाय के व्यक्ति को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं और इसी नीति पर आगे बढ़ते हुए अपने ऋषियों के प्राचीन भारत के आदर्शों को स्थापित करने के लिए कृत संकल्पित हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार जिस प्रकार समान नागरिक संहिता को ला रही है उसका हम स्वागत करते हैं ,परंतु साथ ही साथ हमारी मांग है कि वेद के संगठन सूक्त को भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक कर्तव्य और समान नागरिक संहिता संबंधी प्रावधानों का आधार बनाया जाना चाहिए। वेद का संगठन सूक्त किसी भी प्रकार की सांप्रदायिकता का पोषक नहीं है अपितु मानव मात्र के हित चिंतक के रूप में संविधान में स्थापित होकर वास्तविक पंथनिरपेक्ष शासन की स्थापना करने में सहायक होगा।

अवसर पर राज आर्य सभा के नेता आचार्य करण सिंह सहित आर्य जगत के विद्वान देव मुनि जी, भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज तिलपता करनवास के प्रबंधक बलवीर सिंह आर्य, महावीर सिंह आर्य, किशनलाल महाशय, रविंद्र आर्य, आर्य सागर खारी आर्य, दिवाकर नागर, विजेंद्र सिंह आर्य ,सरपंच रामेश्वर सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग विद्यमान थे।

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