भारत पाकिस्तान सरहद पर दोनों देशो के मध्य हुए युद्धों का साक्षी रहा जैसलमेर जिले का तनोट मंदिर भारत का संभवतया एकमात्र देवी मंदिर हें जिसके परिसर में फ़क़ीर बाबा की दरगाह बन गई हें। अक्सर देशभर में धार्मिक मान्यताओ के चलते दरगाह या मस्जिद मंदिरों में नहीं बनाई जाती। मूलत: तनौत राय माता मंदिर हें, जिसके भारत पकिस्तान के 1965 और 1971 के युद्धों के चमत्कार आज भी लोगों को रोमांचित करते हैं।
जैसलमेर से लगभग एक सौ पैंतीस किलोमीटर पकिस्तान सरहद के पास स्थित तनौत माता के मंदिर की देखभाल सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी और जवान ही करते हैं। यहां तक कि मंदिर का पुजारी भी सीमा सुरक्षा बल का है, इस मंदिर परिसर के मुख्य बरामदे में बाबा फ़क़ीर की सुंदर दरगाह बनी है जो सांप्रदायिक सद्भाव की मिशाल पेश करती है, हालांकि इस दरगाह का कोई ऐतिहासिक महत्त्व नहीं है न हीं पारम्परिक महत्त्व, इसके बावजूद सीमा सुरक्षा बल ने मात्र एक पत्थरनुमा दरगाह को मूर्त रूप देकर शानदार बना दिया। सीमा सुरक्षा बल के सूत्रों ने बताया तनौत माता का मूल मंदिर है। पूर्व में यहाँ छोटा सा मंदिर था। मंदिर के बाहर एक पत्थरनुमा आकार में हरे कपडे से लिपटा स्थान था। इस स्थान पर कभी कोई सजदा करने नहीं आता था, हां कभी कभार आस पास के लोग शुक्रवार को आते थे, मुस्लिम परिवार बड़ी संख्या में तनौत के दर्शन करने तो आते थे मगर उन्हें भी इस दरगाह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मंदिर का जब जीर्णोद्धार किया गया तो दरगाह को मंदिर परिसर में लेकर इसे खूबसूरत रूप दे दिया। तनौत माता के दर्शन करने आने वाले मुस्लिम भक्त अब इस दरगाह पर भी पूजा पाठ करते हैं। आस पास के गाँवो के मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग भी नमाज़ अदा करने आते हैं। तनोऊ के पास स्थित गाँव रणियाई निवासी रोजे खान का कहना है कि जहां हिन्दू मंदिरों में मुस्लिमो का प्रवेश तक निषेध हैं ऐसे में तनोत माता के मंदिर में दरगाह बना कर हमारे मन में सद्भावना जगा दिया है सीमा सुरक्षा बल ने। हम लोग शुक्रवार को तनौत जाकर पहले माता के दर्शन करते हें फिर दरगाह में नमाज अदा कर पूजा पाठ करते हैं। तनौत माता मंदिर आने वाला हर श्रद्धालु इस दरगाह में प्रसाद चढ़ा कर अगरबती करता है।
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