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कविता

कुंडलियां … 30 नष्ट होता ऐसा योगी ………….

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नाश होय उस देश का , राजा माने सीख।
मेल जोल योगी करे, छोड़-छाड़ के भीख।।
छोड़-छाड़ के भीख , महल में डेरा डाले।
नष्ट होता ऐसा योगी, जब चाहे आजमा ले।।
ऐसे योगी पर कसते , शिकंजा जग के पाश।
गलत सम्मति से राजा का हो जाता है नाश।।

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लाड प्यार मत कीजिए, पुत्र भला हो जाय।
कपूत जहां पैदा भया ,कुल ही नष्ट हो जाय।।
कुल ही नष्ट हो जाय, बहुत घातक है कीड़ा।
जिस छाती पे लगे चोट, वही समझती पीड़ा।।
न जाने दुनिया में कितने, बिगड़ गए परिवार।
एक सीमा तक ही अच्छा, मात पिता का प्यार।।

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पढ़ना लिखना छोड़कर , करे पंडित उत्पात।
नाश निश्चित मानिए, समय करे ना माफ।।
समय करे ना माफ , जगत में रहे भटकता।
धर्म त्याग पछताए मन में, माथा रहे पटकता।।
पंडित नहीं जानता बंधु ! कभी धर्म से डिगना।
जनहित में काम है उसका, पढ़ना-लिखना।।

दिनांक : 9 जुलाई 2023

डॉ राकेश कुमार आर्य

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