सिर्फ इस्लाम ही एक ऐसा मजहब है ,जिसमे आज तक कोई स्त्री नबी नहीं बन सकी , और न कोई स्त्री पीर या औलिया बन सकी , यहां तक कोई स्त्री मौलवी और मुफ़्ती बन सकी है ,आज इस लेख में इसका कारण दिया जा रहा है
इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि इस्लाम की अधिकांश मान्यताएं यहूदी और ईसाई धर्म से ली गयी हैं ,इन सबका विश्वास है कि अल्लाह अपने विशेष लोगों के माध्यम से लोगों को अपना सन्देश देता रहता , ऐसे लोगों को ‘नबी – نبي ” कहा जाता हैं , चूँकि इस शब्द का हिंदी में कोई पर्यायवाची शब्द नहीं है , लेकिन अंगरेजी में इसे prophet कहा जाता है , और हिब्रू और अरबी में “नबी נבי – ” कहा जाता है हदीस के अनुसार अल्लाह ने अबतक एक लाख चौबीस हजार नबी भेजे ,लेकिन उन में एक भी महिला नहीं थी ,जबकि इस्लाम से पहले अल्लाह महिला नबियों को भेजता रहता था , इनको .-हिब्रू में ( נביאה)अरबी में ( نبية)कहा जाता है ( prophetesses)
1-तौरेत में नबियाः के नाम
मुस्लमान तौरेत यानी बाइबिल के पुराने नियम ( Old Testament ) को अल्लाह की किताब मानते हैं ,इसमें 5 महिला नबियाः के नाम इस प्रकार हैं 1-Miriam (Exodus 15:20-21) -मरियम (हारून की बहिन )
2-Deborah (Judges 4:4) -देबोरा -लप्पीदोत की स्त्री
3-Huldah (2 Kings 22:14) -हुलदा-शल्लूम की पत्नी
4-Noadiah (Nehemiah 6:14) -नोअद्याह
5-Isaiah’s wife (Isaiah 8:3) -यशायाह की पत्नी
तौरेत में दी गयी इन महिला नबीया के आलावा यहूदी धर्मग्रंथ तलमूद में इन महिला नबीया के नाम मिलते हैं 1 .सारह ,हन्नाह ( नबी समूएल की पत्नी )
2 .अबीगेल ( नबी दाऊद की पत्नी )
3 .एस्तेर(पुस्तक एस्तेर )इनको भी नबीया माना गया है .
The Jewish Talmud counts some additional women as prophets including Sarah, Hannah (mother of Samuel), Abigail (wife of David) and Esther. However, these are not called prophets or prophetesses in the Bible.
3-इंजील में नबियाः के नाम
कुरान की तरह इंजील भी अल्लाह की कताब है इसे बाइबिल का नया नियम (New Testament ) कहा जाता है इसमें भी महिला नबियाह के नाम हैं ,
1-अन्ना -फ़नूएल की बेटी -Anna (Luke 2:36)
2-राजा फिलिप की चारों पुत्रियाँ -Philip’s four daughters (Acts 21:8-9) –
3-इसा मसीह की माता मरियम और यूहन्ना बपतिस्ती की माता एलियाबेथ भी नबूवत करती थीं
( both Mary mother of Jesus (Luke 2:46-55) and Elizabeth mother of John Baptist (Luke 2:41-45) both made prophecies.)
तौरेत और इंजील के इन प्रमाणों से सिद्ध होता है कि इस्लाम से पहले यहूदी और ईसाई धर्म में औरतें नबी हुआ करती थीं , और उनको वही सम्मान दिया जाता था जो पुरुष नबी को दिया जाता था , लेकिन जैसे ही इस्लाम मजहब बना अल्लाह ने औरतों को नबी बनाना बंद कर दिया , गौर करने की बात है कि खुद कुरान में लिखा है कि यहूदियों ,ईसाइयों और मसलमानों का अल्लाह एक ही है , तो फिर अल्लाह ने किसी औरत को नबी क्यों नहीं बनाया ,? इसके दो कारण हैं ,पहला दिखाने का कारन है , दूसरा असली कारन है
3-दिखावटी काऱण
अक्सर मुस्लिम विद्वान् तर्क देते हैं की मासिक धर्म के कारण औरतें अपवित्र होती रहती हैं और उनके पुरुषों के मुकाबले आधी बुद्धि होती है इसलिए अल्लाह के किसी स्त्री को नबी नहीं बनाया , लेकिन इस कुतर्क के कई जवाब दिए जा सकते हैं
4-असली काऱण
वासतव में मुहमद साहब सबसे बड़े महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे , पहले तो उन्होंने बिना किसी योग्यता के खुद को अल्लाह का रसूल घोषित करके खुद को अल्लाह के बराबर बना लिया , और लोगों से कहा तुम अल्लाह के साथ रसूल का हुक्म भी मनो , मुहमद चाहते थे कि उनके बाद उनकी औलादें भी क़यामत तक हुकूमत करती रहें , इसके लिए उन्होंने चालीस औरतें रख ली थी , इनमे 9 साल की बच्ची से लेकर 58 साल की बुढ़िया , विधवाएं , पकड़ी हुई औरतें खरीदी हुई और भेंट में दी गयी सभी प्रकार की औरतें थी , जिन से पारी पारी से ( turn by turn ) सहवास करते रहते थे ,लेकिन इतनी घिसाई के बाद भी खदीजा के आलावा मुहम्मद की किसी भी औरत के कोई संतान नहीं हुई ( यद् रखिये मुहम्मद ने जब खदीजा से शादी की थी वह दो बार विधवा हो चुकी थी , )महहमद को हबश के बादशाह ने एक गुलाम औरत भेंट की थी , जिस से सिर्फ लड़का हुआ था मुसलमान उसे मुहम्मद की संतान बताते हैं जबकि वह एक दासी थी अरब में जब दासी पुराणी हो जाती थी तो या तो किसी को भेंट कर देते थे या बेच देते थे , इसलिए वह लड़का मुहम्मद से पैदा था इसके शक है , अरब में संतान पैदा करने की जिम्मेदार औरत को माना जाता था , और जब मुहम्मद की किसी पत्नी की संतान नहीं हुई तो , मुहम्मद ने मुसलमानों को एक दुआ पढ़ते रहने को कहा जिसे ” दुरूद इब्राहिम ” कहा जाता है इसमें इसमें मुहम्मद की संतानों की वृद्धि और सुख की कामना है लेकिन इस पर भी जब संतान नहीं हुई तो चिढ कर मुहम्मद ने औरतों को जहन्नम के लायक बता दिया ,वासतव में मुहम्मद औरतों के कोई संतान नहीं होने की जिम्मेदार औरतें नहीं ,खुद मुहम्मद थे क्यों हो सकता है उनके वीर्य में शुक्राणु बिलकुल भी नहीं हों .
इसी लिए इस्लाम में कोई “रसूलः رسولةٌ-” महिला रसूल तो क्या कोई ‘पिरानी ” महिला पीर , और ” मौलवीयः – مولويه ” महिला मौलानी नहीं है ,
हमारे विचार से इसके आलावा और कोई दूसरा कारन नहीं हो सकता , आप लोग अपनी राय जरूर दीजिये
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ब्रजनंदन शर्मा
( लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)
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