लेखक आर्य सागर खारी 🖋️
इन दिनों उत्तर भारत चरणबद्ध तरीके से प्राकृतिक जलीय आपदा बाढ़ की चपेट में जाता हुआ दिखाई दे रहा है पर्वत से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक…… सेना व एनडीआरएफ की टीमें लगी हुई है बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर बचाव कार्य चल रहा है…. पहली प्राथमिकता मनुष्य को दूसरी प्राथमिकता पालतू जानवरों को दी जाती है बचाव कार्य में।
यह तो भली-भांति स्पष्ट है मनुष्य जन्मजात तैराक नहीं है अन्य जलचर उभयचर जलचर प्राणियों की तरह। उसे यह कौशल अर्जित करना पड़ता है स्विमिंग स्कूल स्विमिंग क्लासेस आदि में…. एक शोध के मुताबिक महज 5% इंसान ही तैरना जानते हैं….. वही एक दूसरे शोध के मुताबिक जलचर उभयचर जल और थल दोनों में रहने वाले जीव मेंढक कछुआ मछली आदि की तो बात ही छोड़िए स्थल पर रहने वाले अधिकांश सरीसृप स्तनधारी जीव जंतु तैरना जानते हैं आपदा के समय वह सर्वाइवल स्टनीक्ट दिखाते हुए तैरकर सुरक्षित स्थान की शरण में चले जाते हैं।
शुरुआत गौमाता से ही करते हैं गाय आज भी प्रकृति के शीर्ष 10 उत्तम तैराक में शामिल है इसके चार मजबूत पैर जल को तेजी से काटते हुए एक्वाटिक लोकोमोशन करते हैं। गाय मीलो तक घन्टो तैर सकती है….. हाथी जैसा भारी-भरकम एकमात्र सबसे विशाल जीवित बचा स्तनधारी जीव भी उत्तम तैराक है उसकी सूंड विशेष मदत इसमें करती है…. तैरने के मामले में कुत्ता तो सबको ही पीछे छोड़ देता है अपने अगले दो पैरों से विशेष तैराकी कौशल जन्म से ही अर्जित किया है। कुत्ते की टेक्निक को ‘डॉगी पेडल’ कहते हैं ।आज भी तैराकी की खेल व्यायाम से जुड़ी प्रतिस्पर्धा में इसे सिखाया जाता है। ऐसे ही डॉल्फिन किक है…. वह भी बेहतरीन टेक्निक्स है तैराकी खी खेर डॉल्फिन तो जलचर जीव है हम तो केवल थलचर जीवो की बात कर रहे हैं ….. आप कहेंगे उन्हें तो भगवान ने बनाया ही जल में रहने के लिए है कौशल तक उनका मानिए जो थल में रहते हैं…. तो बात सूअर की करते हैं जिसे गन्दा जानवर माना जाता है जो कि वह है नहीं सफाई करने वाला कभी गंदा हो ही नहीं सकता सूअर को भी उत्तम तैराक में शामिल किया गया है। इसका सिर थूथन इसकी तैरने में मदद करती है।
बात पालतू से लेकर जंगली बिल्लियों की करें तो वह भी तैराक है सुंदरबन के बाघ तो 18 मील प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकते हैं चीते पीछे रहना वाला नहीं है वह भी उत्तम तैराक है।
भालू तो पूरे दिन भर तैर सकता है विशेषकर ध्रुवीय भालू। वह तैरकर ही मछलियों का शिकार करता है।
दुनिया का सबसे सुस्त जानवर शलोथ भी स्विमिंग में माहिर है थल से ज्यादा उसकी गति पानी में नोट की गई है।
जंगली खरगोश हिरण नीलगाय भी जान पर पड़ने पर तैरते हैं।
निष्कर्ष यह निकलता है प्रकृति के यह मनुष्येतर जीव जंतु उत्तम दर्जे के तैराक है मकड़ी भी तैरना जानती है चींटी भी तैर सकती है सांप का तो कहना ही क्या और तो और सुक्ष्म जीवाणु बैक्टीरिया ,फंगस भी द्रव युक्त माध्यम मे तैरते हैं जिसे ‘माइक्रोस्विमिंग’ कहते हैं।
कहने को तो हम इंसान श्रेष्ठ है लेकिन कहीं ना कहीं यह जीव जंतु बहुत से जीवन क्षेत्रों में में हमसे उत्कृष्ट है।
हम सिखाने पर ही सीखते हैं ना सिखाने पर नही सीख पाते लेकिन यह जन्तु गर्भ से ही सीखकर आते है।
इनका आद्य उपदेशक शिक्षक भगवान ही है ,है तो हमारा भी लेकिन हम मानते कहां। मानते तो नदियों के किनारे उसके प्रवाह क्षेत्रों पर प्लॉटिंग अतिक्रमण ना करते नदियों के स्रोतों पर पहाड़ों पर होटल लॉज ना बनाते हैं।
आर्य सागर खारी✍