अब भाजपा में नरेन्द्र मोदी हराओ अभियान की गति बढी
आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
मैं बार-बार कह रहा हूं कि नरेन्द्र मोदी को अपने लोग ही हराना चाहते हैं, उनके अपने ही लोग उनके विरोधियों से मिले हुए हैं, विरोधियों को आर्थिक मदद करने के साथ ही साथ अन्य सूचनाएं उपलब्ध करा रहे हैं। सबसे पहले 2024 में नरेन्द्र मोदी लहर नहीं होने की बात पांचजन्य ने कह दिया है और उसने सीधे तौर पर भी कह दिया कि नरेन्द्र मोदी अब वोट के जादूगर नहीं रहे, वोटरों पर उनका जादू समाप्त हो गया है। पांचजन्य के निष्कर्ष को यही समझा जा सकता है कि 2024 में नरेन्द्र मोदी की हार निश्चित है।
आज ही एक ऐसा नजारा देखने को मिला कि जब नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने नरेन्द्र मोदी के विरोधियों को खूब खाद पानी डाला और नरेन्द्र मोदी के विरोध करने के लिए आधारशिला भी बना डाली। लाखों का लाभार्थी बनाया। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अपनी उपस्थिति में नरेन्द्र मोदी की खूब आलोचनाएं करायी, अप्रत्यक्ष तौर पर नरेन्द्र मोदी को तानाशाह और मीडिया विरोधी करार भी दिलवाया।
यह प्रकरण विजय कुमार दास और राष्टीय हिन्दी मेल अखबार से जुडा हुआ है। राष्टीय हिन्दी मेल अखबार भोपाल का है और विजय कुमार दास इस अखबार के संपादक हैं। राष्टीय हिन्दी मेल का चरित्र ही भाजपा और संघ विरोधी है। इस अखबार पर कमलनाथ और कांग्रेस की कृपा खूब बरसती है। कमलनाथ और कांग्रेस की कृपा इन पर क्यों बरसती है? इस अखबार ने मध्य प्रदेश में भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छबि को खराब करने की पूरी कोशिश की थी। कहा जाता है कि ये शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ हाथ धो के पडे थे।
शिवराज सिंह के खिलाफ विजय कुमार दास और इनका अखबार राष्टीय हिन्दी मेल इसलिए खिलाफ थे कि उन्हें कई प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल रही थी और उनकी मनोइच्छाएं पूरी नहीं हो पा रही थीं। सुविधाएं व मनोइच्छाएं पत्रकारीय भी हो सकती हैं और गैर पत्रकारीय हो सकती हैं? शिवराज सिंह सरकार इनकी बातें सुन नहीं रही थी।
प्रसंग कथित रूप से बिजली चोरी और बिजली बिल को दबा देने का था। शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने राष्टीय हिन्दी मेल की बिजली चोरी और बकाये बिल पर जांच कमेटी बनायी थी। फिर जो निष्कर्ष निकले वे चौकाने वाले थे। राष्टीय हिन्दी मेल ने लाखों रूपये के बिजली बिल दबा कर बैठा था। बिजली विभाग का कहना था कि अखबार ने ऐसा कर बिजली भुगतान का उलंघन किया है। हालांकि यह सिर्फ बिजली बिल हडपने का प्रसंग है या फिर बिजली चोरी का है, इस पर स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। लेकिन शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने बिजली कनेक्शन काट दिया था। बिजली कनेक्शन काटने पर विजय कुमार दास और राष्टीय हिन्दी मेल ने शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ खूब अभियान चलाया। इस काम में कांग्रेस, कमलनाथ और विवेक तन्खा ने उनकी खूब मदद की थी। बिजली बिल और बिजली कनेक्शन का प्रसंग अभी भी कोर्ट में लंबित है।
शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ करते-करते विजय कुमार दास और उनका अखबार नरेन्द्र मोदी विरोधी हो गया। नरेन्द्र मोदी के खिलाफ भी घृणास्पद बातें फैलाने लगा। इनके अखबार में नरेन्द्र मोदी विरोधी लेख और समाचार खूब छपने लगे। अप्रत्यक्ष तौर पर कहने लगे थे कि नरेन्द्र मोदी मीडिया की आवाज को कुचलना चाहता है, लोकतंत्र खतरे में है। व्यक्तिगत बातचीत में नरेन्द्र मोदी के लिए गालियां ही निकालता था।
आश्चर्य की बात तो अब सुनिये। जो राष्टीय हिन्दी मेल सरेआम रिपोर्टरों को मालिक बनने का प्रस्ताव देता है, यानी कि मालिक बन कर पैसे कमाओ और उसका हिस्सा हमें भी दो? अब प्रसंग यह है कि कोई रिपोर्टर मालिक कैसे बनेगा? इस तरह की सूचना विजय कुमार दास ने अपने अखबार में ही प्रकाशित की थी। जिस अखबार में सरकार के श्रम विभाग की किसी रिपोर्ट को लागू तक नहीं किया गया है, रिपोर्टरों और डेस्क पर काम करने वालों को ढंग से वेतन तक नहीं देता हो, वह अखबार अपने आप को जनपक्षीय या फिर विश्वसनीय कैसे कह सकता है?
अब नरेन्द्र सिंह तोमर की करतूत सुनिये-जानिये। विजय कुमार दास ने अपने अखबार राष्टीय हिन्दी मेल को दिल्ली से निकालने की योजना बनायी। इस योजना को आधार केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने दिया। चर्चा है कि नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने मंत्रालय के अधीन नेफेड से लाखों रूपये दिलवाये। राष्टीय हिन्दी मेल के लोकार्पण समारोह का नेफेड दानकर्ता था। लोकार्पण समारोह दिल्ली के कंस्ट्टूयशन कल्ब में आयोजित हुआ था। लोकार्पण समारोह का खर्च उठाना नेफेड के लिए गैर जरूरी कार्य था, यह कोई समाजसेवा का कार्य नहीं था। अखबार का प्रकाशन अब एक उद्योग है।
नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने सामने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बोलवाया। समारोह स्थल पर लोगों की चर्चा थी कि जान बुझ कर नरेन्द्र सिंह तोमार ने मोदी के खिलाफ बुलवाया। समारोह में एक बडा पत्रकार राहुल देव ने अप्रत्यक्ष तौर पर कह दिया कि नरेन्द्र मोदी की सरकार तानाशाही सरकार है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है और अधिकतर पत्रकार नरेन्द्र मोदी के गुलामी करते हैं, राष्ट और राष्टीयता की बात करने वालों यानी भाजपा और संघ को अमानवीय करार दे दिया। मंच पर उपस्थित नरेन्द्र सिंह तोमर ने कोई प्रतिकार नहीं किया। अपने मुख्य संबोधन में भी नरेन्द्र सिंह तोमार ने नरेन्द्र मोदी का बचाव नहीं किया।
वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने विजय कुमार दास और राहुल देव को जवाब जरूर दिया और बताया कि पूर्व की सरकारों और विपक्ष की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति नजरिया क्या रही है। आलोक मेहता अप्रत्यक्ष तौर पर मंच पर बैठे सभी लोगों को अहसास जरूर करा दिया कि मोदी के कार्यकाल में मीडिया पर कोई खास खतरा नहीं है। मंच पर कांग्रेसियों की भरमार थी। छतीसगढ विधान सभा के अध्यक्ष व कांग्रेसी नेता चरण दास, कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी, विवेक तन्खा आदि उपस्थित थे।
अगर नरेन्द्र सिंह तोमार कांग्रेस में होते और मंच पर कांग्रेस के आलाकमान के प्रति इसी तरह की आवाज उठायी जाती तो फिर नरेन्द्र सिंह तोमर एक मिनट भी मंत्री पद पर नहीं बने रहते। फिर नरेन्द्र सिंह तोमर आलाकमान विरोधी अखबार राष्टीय हिन्दी मेल और विजय कुमार दास के कार्यक्रम में जाने की हिम्मत ही नहीं करते। लेकिन नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे लोगों को मालूम है कि उनकी करतूत नरेन्द्र मोदी तक पहुंचेगी ही नहीं, अगर पहुंचेगी भी तो फिर बहाना बना लिया जायेगा।
नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे शत्रु मोदी के मंत्रिमंडल में ही बैठे हुए हैं फिर राष्टीय हिन्दी मेल और वियज कुमार दास जैसों का काम और लक्ष्य आसान कैसे नहीं होगा? नरेन्द्र मोदी 2024 में हारेंगे तो फिर विजय कुमार दास और राष्टीय हिन्दी मेल जैसे अखबारों की किस्मत कैसे नहीं चमकेगी? कांग्रेस तो राष्टीय हिन्दी मेल और विजय कुमार दास को मालोमाल उसी तरह से करेगी, जैसे तीस्ता शीतलवाड़ को की थी।
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