70
ज्ञान ध्यान में जो रमे, सच्चा मानुष जान।
लाख बरस की साधना, उसको हीरा मान।।
उसको हीरा मान, जगत में बने कीमती।
साधना का मोल बताता कितनी ऊंची भक्ति?
ना भरमता जग के अंदर, ना करता अभिमान।
सही राह पे चलता, तपा तपाया उसका ज्ञान।।
71
भट्टी में तपता वही, जिसे कुंदन की चाह।
जो भट्टी से बच रहा, उसका कौन सहाय?
उसका कौन सहाय, जगत भी धक्का देता।
दर-दर की खावे ठोकर हर कोई मुक्का देता।।
बड़ी साधना हेतु, जो खुद पहुंच गया भट्टी में।
मंजिल कदम चूमती, बन गया कुंदन भट्टी में।।
72
जीती बाजी हारता, जो चूके इक बार।
लक्ष्य भेदता है वही,जिस पर भूत सवार।।
जिस पर भूत सवार, वही लेता असवारी।
गाते गीत उसी के मिलकै सारे नर संसारी।।
सफलता बनती चेरी, सबकी मिलती राजी।
सारा जग अपना कहे, जिसने जीती बाजी ।।
दिनांक : 8 जुलाई 2023
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत