‘ग्लोबल पीस फाउंडेशन’ और ‘संभावना’ संगठन की ओर से ‘विश्व एक परिवार’ पर हुई संगोष्ठी संपन्न : भारत की संस्कृति को मिल रही है विश्व स्तर पर मान्यता: नवाब सिंह नागर परिवार जैसी संस्था को अपनाने के लिए भूमंडल के सभी देश ऋणी हैं भारत के : डॉ राकेश कुमार आर्य

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नोएडा। ( विशेष संवाददाता ) जीना उत्सव पूर्वक वसुधैव कुटुंबकम मानवीय परिवार ग्लोबल पीस फाउंडेशन इंडिया की ओर से आयोजित आज एक विशेष कार्यक्रम में विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए भारतीय संस्कृति के मानवीय पक्ष पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और भारत का मानवतावाद ही एक वैश्विक परिवार के महान विचार को क्रियान्वित कर सकता है । यह कार्यक्रम 431 सेकेंड फ्लोर नोएडा मीडिया क्लब गंगा शॉपिंग कॉन्प्लेक्स सेक्स 29 नोएडा उत्तर प्रदेश में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे नवाब सिंह नागर जी पूर्व मंत्री एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष उपस्थिति रही। उन्होंने कहा कि योग को इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हो चुकी है। जिसके माध्यम से वैश्विक परिवार की हमारे महान विषयों की परिकल्पना को साकार करने में काफी सहायता मिली है। श्री नागर ने कहा कि भारत के बारे में यह सत्य है कि इसकी संस्कृति बहुत पवित्र और मानवीय रही है । उन्हीं पवित्र और मानवीय शिक्षा संस्कारों के आधार पर हम विश्व शांति स्थापित कर सकते है और विश्व को एक परिवार की संकल्पना देने में सफल हो सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुरेंद्र पाठक सलाहकार ग्लोबल पीस फाउंडेशन इंडिया द्वारा किया गया। स्वागत वक्तव्य सुश्री आशा मोहिनी (अध्यक्ष संभावना सामाजिक कल्याणकारी समिति ) द्वारा किया गया। डॉ सी के भारद्वाज ( विज्ञान और अध्यात्म विशेषज्ञ सावन आध्यात्मिक सत्संग सोसायटी नई दिल्ली) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भरत की विश्व संस्कृति को देश से बाहर के लोगों की द्वारा भी तेजी से स्वीकार किया जा रहा है जो कि एक उत्साहजनक पक्ष है। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से मानवीय मूल्यों के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करता आया है ,आज भी ऐसी अपार संभावनाएं हैं जिन्हें अपनाकर विश्व का कल्याण हो सकता है।
आचार्य प्रेम भाटिया संस्थापक अध्यक्ष भारतीय योग संस्थान दिल्ली, श्री सर्वेश मित्तल राष्ट्रीय सलाहकार राष्ट्रीय सैनिक संस्था, द्वारा अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि बच्चों को बचपन में ही ऐसे पवित्र संस्कार दिए जाने चाहिए जो उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायता करें। उन्होंने कहा कि रोजगार परक शिक्षा प्रणाली को बदलकर संस्कार पर शिक्षा प्रणाली लागू करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत की सामाजिक व्यवस्था और विश्व चंदन मनुष्य मात्र का नहीं प्राणी मात्र का कल्याण करता है। इसी को अपनाकर भारत की परिवार परंपरा विश्व परंपरा में परिवर्तित हो सकती है।
डॉ राकेश कुमार आर्य (सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता) ने इस अवसर पर कहा कि भारत ही वह देश है जिसने विश्व को एक परिवार की अवधारणा वेद के माध्यम से कृण्वंतो विश्वमार्यम् के माध्यम से दी। हमारे ऋषियों ने ही वसुधैव कुटुंबकम का विचार दुनिया में फैलाया। इसी विचार को लेकर यूएनओ जैसी संस्था का निर्माण हुआ, परंतु वह आधी अधूरी संस्था है। क्योंकि उसका चिंतन इतना व्यापक नहीं है जितना हमारे विषयों का चिंतन व्यापक होता था। उन्होंने कहा कि संसार को परिवार की सबसे उत्तम व्यवस्था भारत ने ही प्रदान की। जिसके लिए समस्त भूमंडल के देश भारत के ऋणी हैं। इसी प्रकार सामाजिक व्यवस्था को एक परिवार के रूप में भी भारत ने ही स्पष्ट किया । अंत में वैश्विक परिवार की कल्पना कर भारत के ऋषियों ने अपने चिंतन के माध्यम से समस्त वसुधा को एक परिवार मानने का उत्तम विचार और चिंतन संसार को दिया । हमारे लिए अपेक्षित है कि हम ऋषियों के द्वारा दिखाए इस चिंतन को उस समस्त संसार के लिए प्रस्तुत करें।


वरिष्ठ पत्रकार श्री राम गोपाल शुक्ला ने कहा कि भारत अपने सांस्कृतिक वैभव को घूम पराकाष्ठा पर पहुंचाकर ही विश्व गुरु बना था आज हमारे लिए अपेक्षित है कि हम उसी सांस्कृतिक वैभव की पुनः स्थापना करें। इस अवसर पर श्री अनिरुद्ध कुमार पॉलीमर एंड टैक्सटाइल साइंटिस्ट समाजसेवी और अध्यात्म श्रीमती मोना मेहरा फाउंडेशन सर्च एक्सपर्ट हैप्पी होम नोएडा आदि की विशेष उपस्थिति रही।
श्री सुरेंद्र पाठक ने बताया कि उनका यह संगठन भारत के परिवार को विश्व परिवार में परिवर्तित करने के लिए कार्य कर रहा है। भारत की परिवार संस्कृति विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त करें और जिस प्रकार के मानवीय और पवित्र संस्कार और संबंध प्राचीन भारत में हुआ करते थे उन्हें हम फिर से स्थापित करने में सफल हो सके। उन्होंने कहा कि वह अब तक ऐसे 100 से अधिक कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं।

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