57
तप जीवन की साधना, तपे सो पंडित होय।
तप बढ़ाता राष्ट्र को तप से सब कुछ होय।।
तप से सब कुछ होय व्यवस्था अच्छी बनती।
मानव की मानव से, तनिक नहीं ठनकती।।
ध्यान बढ़े तपसी संगत में जीवन उन्नत बनता।
सोना भट्टी में पड़कर ही सचमुच कुंदन बनता।।
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तपसी साधे राष्ट्र को , तपसी निभावे धर्म।
तपसी ही संसार में, करता है शुभ कर्म ।।
करता है शुभ कर्म ,प्रभु का सेवक बनकर ।
जीवन जीता निष्काम भाव से साधक बनकर।
त्याग भावना उसकी होती होता नहीं अनुरागी।
मानवता की सेवा करता बनकर सच्चा त्यागी।।
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मानव का श्रृंगार है, सच्चा साधक संत।
श्रेयमार्ग का है पथिक करे पाप का अंत।।
करे पाप का अंत, जीवन निर्मल करता ।
ज्ञान ज्योति जगा, पुण्य से झोली भरता।।
मानव को सिखलाता है वह शांति की बात।
शत्रु विनाशक होता है ,कभी ना करता घात।।
दिनांक : 6 जुलाई 2023
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत