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इतिहास के पन्नों से

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर : जो रखते थे राष्ट्रहित को सर्वोपरि

अनन्या मिश्रा

आज के दिन यानी की 8 जुलाई को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का निधन हो गया था। बता दें कि राजनीतिक शख्सियत चंद्रशेखर एक ऐसा नाम थे, जो बिना किसी नफा-नुकसान की परवाह किए बिना दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए देश के हित में निर्णय लेते थे। साथ ही बेबाकी से अपनी राय लोगों के सामने रखने के लिए जाने जाते थे। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर यारों के यार थे और निजी सराकरों को निभाने में भी उनका कोई तोड़ नहीं था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में..।

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी नामक गांव में 1 जुलाई 1927 को चंद्रशेखर का जन्म हुआ था। वहीं उन्होंने भीमपुरा के राम करन इण्टर कॉलेज से स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद वह ‘पूर्व का ऑक्सफोर्ड’ कही जाने वाली इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। जिसके बाद साल 1950-51 में चंद्रशेखर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। वहीं छात्र जीवन में वह फायर ब्रान्ड नेता के तौर पर जाने जाते थे। इसी दौरान वह समाजवादी पार्टी में सक्रिय रूप से जुड़ गए।

राजनीति में सक्रिय होने के बाद साल 1995-96 में चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश के राज्य प्रजा समाजवादी पार्टी के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभाली। फिर साल 1962 में वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए। वहीं साल 1965 में चंद्रशेखर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वॉइन कर ली और साल 1967 में उनको कांग्रेस संसदीय दल का महासचिव बनाया गया। साल 1977 में चंद्रशेखर पहली बार अपने क्षेत्र बलिया से लोकसभा सदस्य चुने गए।

साल 1969 में चंद्रशेखर ने दिल्ली से प्रकाशित होने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका ‘यंग इंडियन’ के संस्थापक और संपादक पद की जिम्मेदारी संभाली। वह अपने विचारों को खुलकर और तीखे व्यक्तित्व के कारण जाने जाते थे। इसी के चलते कांग्रेस पार्टी में होने के बाद भी चंद्रशेखर को आपातकाल के दौरान जेल जाना पड़ा।

आपातकाल के बाद विपक्षी दलों के द्वारा बुलाई गई बैठक में चंद्रशेखर को जनता दल का अध्यक्ष चुना गया। साल 1977 में जब उनकी पार्टी सत्ता में आई तो चंद्रशेखर ने मंत्री पद पर रहने से इंकार कर दिया। जिसके बाद साल 1990 में उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। इस दौरान राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी द्वारा चंद्रशेखर का समर्थन किया गया था। हालांकि चंद्रशेखर सिर्फ 7 महीने के लिए ही सरकार को चला सके। दरअसल, कांग्रेस की बात मानने से इंकार करने पर राजीव गांधी ने चंद्रशेखर के पास से अपना समर्थन वापस ले लिया। जिसके कारण उनकी सरकार गिर गई थी।

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को बॉन मेरो कैंसर था। जिसके कारण उनका स्वास्थ्य दिन-प्रति-दिन गिरता जा रहा था। 3 मई 2007 को तबियत ज्यादा खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद 8 जुलाई 2007 को पूर्व पीएम चंद्रशेखर का निधन हो गया। अपने आखिरी के दिनों में वह प्लाज्मा कैंसर से पीड़ित थे।

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