अशोक मधुप
उत्तर प्रदेश में यह योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का दूसरा कार्यकाल है। भाजपा सरकार के पहले और वर्तमान कार्यकाल का लेखा−जोखा किया जाए तो सिर्फ इतना ही कहा जा सकता कि पहले सपा सरकार में पुलिस और प्रशासनिक तंत्र तत्कालीन मंत्री आजम खान की चोरी हुई भैंस ढूंढ़ता था, अब प्रशासनिक अमला मेरठ के कमिश्नर का खोया कुत्ता ढूंढ़ता है। इतना परिवर्तन हुआ है कि सपा-बसपा सरकारों में मंत्री हावी थे। आज अधिकारी हावी हैं। ये अधिकारी किसी की सुनते नहीं। इन पर कोई लगाम नहीं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ईमानदारी और प्रशासनिक क्षमता को कोई मुकाबला नहीं। बेईमानी उन्हें बर्दाश्त नहीं। बेईमानी की शिकायत मिलते ही वह जांच कराकर कार्रवाई करते हैं। प्रदेश में माफियाओं पर की गई कार्रवाई पूरी दुनिया के लिए नजीर बन गई है। प्रदेश में माफिया खत्म ही नहीं हुए, उनके द्वारा अर्जित संपत्ति सरकार ने जब्त कर ली, उनके अवैध रूप से बने भवन जमींदोज करा दिये गए। अपराधी उनके कार्यकाल में अपनी जान बख्शने की अपील करने के लिए खुद हाथ उठाकर थाने चले आते हैं, प्रदेश में दंगे होने बंद हो गए। कोरोना का संकट हो या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा, योगी जी के नेतृत्व में सबका बहुत अच्छे से मुकाबला किया गया है। प्रदेश के धार्मिक स्थलों से एक साथ, एक झटके में लाउडस्पीकर उतर गए। अब न सड़कों पर नमाज होती है, न हनुमान चालीसा। प्रदेश में सरकारी सुविधाओं का लाभ सबको समान रूप से मिल रहा है। कोई दुराव नहीं, कोई भेद नहीं। आजकल फ्रांस में दंगे भड़के हुए हैं। हालात सरकार के काबू से बाहर हैं। ऐसे में ट्विटर पर प्रो. एन जॉन कैम नाम के शख्स ने ट्वीट किया, “भारत को फ्रांस में दंगों की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वहां भेजना चाहिए। वह 24 घंटे के भीतर दंगों को रोक देंगे। ये ट्वीट योगी आदित्यनाथ की क्षमता और प्रशासनिक कुशलता बताने के लिए काफी है। उनकी क्षमता और कार्यप्रणाली लाजवाब है, पर अमला तो वही पुराना है। व्यवस्था सब वैसी ही है।
योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बावजूद प्रदेश में प्रशासनिक तंत्र बेकाबू है। पुलिस में संवेदनाएं नहीं हैं। भाजपा नेताओं, विधायकों और मंत्रियों पर अधिकारी हावी हैं। इसीलिए भ्रष्टाचार कम होने की जगह बढ़ा है। मेरठ की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. का साइबेरियन हस्की ब्रीड का डॉगी 25 घंटे बाद मिल गया। पशु कल्याण विभाग और नगर निगम की टीमें डॉगी की तस्वीर को लेकर घर-घर जाकर पूछताछ कर रहीं थीं। डॉगी को कमिश्नर आवास से करीब दो किलोमीटर दूर पांडव नगर से बरामद किया गया। ये कमिशनर का कुत्ता था इसलिए प्रशासनिक अमला दौड़ता रहा। आम आदमी की बेटी लापता हो जाए तो किसी को परेशानी नहीं होती, किसी को ये ख्याल नहीं आता कि वह बच्ची किस हाल में होगी। आम आदमी के घर चोरी हो जाए तो उसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती। योगी आदित्यनाथ संवेदनशील हैं। जरा सी बात को गंभीरता से लेते हैं किंतु उनका तंत्र−प्रशासनिक अमला बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। मानवीय संवेदनाएं उसमें नजर नहीं आतीं। पीलीभीत में एक नाबालिग लड़की को तीन लड़के उठा ले गए। एक लड़के ने रेप किया। बच्ची के पिता चाहते थे कि आरोपियों पर कार्रवाई हो, लेकिन पुलिस कार्रवाई की बजाय समझौते पर जोर दे रही थी। एक हफ्ते बाद युवती के पिता ने आत्महत्या कर ली। ठीक इसी तरह जालौन में बेटी के साथ रेप हुआ। वह प्रेग्नेंट हो गई। पीड़िता के मजदूर पिता केस दर्ज करवाने गए तो पुलिस ने उल्टा केस करने की धमकी दी। घर आए और आत्महत्या कर ली। एक हफ्ते पहले अमरोहा में एक किसान और लखनऊ के मलिहाबाद में एक युवक ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली से परेशान होकर सुसाइड को चुन लिया। इन चार केस के अलावा पांचवां केस सीतापुर से है। यहां रेप पीड़िता ने फांसी लगा ली। कुल मिलाकर 25 दिन के अंदर एक रेप पीड़िता, दो रेप पीड़िताओं के पिता, एक प्रतियोगी छात्र और एक किसान ने आत्महत्या की। कहीं पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा तो कहीं 50 हजार रुपए मांगने का मामला सामने आया। आमतौर पर पुलिस की कोशिश मामले को निपटाने में रहती है।
फिलहाल इन पांच मामलों में चार मामले ऐसे थे जो पुलिस की जानकारी में थे। इसके बावजूद उन्होंने समय पर कार्रवाई नहीं की। इसकी वजह से पीड़ित पक्ष ने सुसाइड किया। इन चारों मामलों में पुलिस प्रशासन की किरकिरी हुई तो संबंधित अधिकारी को निलंबित किया गया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बिजनौर जनपद के धामपुर थाना क्षेत्र के गांव सरकड़ा की एक महिला ने विद्युत निगम के जेई की हरकतों से तंग आकर जहर खाकर जान देने का प्रयास किया। इससे पहले गांव के लोगों ने कोतवाल से मिल कर आरोपी जेई सहित दो कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में नामजद तहरीर दे दी थी। पर पुलिस की ओर से आरोपियों पर रिपोर्ट कायम कर कार्रवाई नहीं हुई। बकौल ग्रामीण, ऐसे में जेई अपने लोगों को पीड़िता के घर भेज कर समझौता करने का अनर्गल दबाव बनाने का प्रयास कर रहा था। कई दिन से महिला के घर जेई के लोग जाकर जबरन दबाव बनाने का प्रयास कर रहे थे।
अभी झांसी के एक भवन में आग लगने से चार व्यक्ति जिंदा जल कर मर गए। आग इतनी जबरदस्त थी कि सेना को बुलाना पड़ा। प्रदेश के अग्निशमन के तो उपकरणों ने काम ही नहीं किया। इस भवन का एक ही द्वार था। प्रश्न यह है कि इस भवन का नक्शा कैसे पास हो गया। यदि नक्शा पास नहीं हुआ तो भवन बन कैसे गया। लखनऊ में पिछले दिनों हजरतगंज के चार सितारा होटल लेवाना सुइट्स में आग में दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई। 16 लोग घायल हो गए। बाद में जांच हुई तो पता चला कि यह होटल बिना अनुमति के बना है। ये ही नहीं कई होटल बिना अनुमति चलते मिले। कहीं भी जांच करा लीजिए। नीचे सारा घालमेल है। कोई सुनने वाला नहीं। योगी आदित्यनाथ ने जबसे अधिकारियों से कहा है कि किसी की मत सुनिए। सही करिए, तब से तो मामला और आगे बढ़ गया। पहले अधिकारी सत्ताधारी पार्टी के नेताओं, विधायक सांसद से डरता था, अब यह सब खत्म हो गया। शोर मचने पर प्रशासन और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं में समन्वय के लिए जिलों में कार्डिनेटर बनाने पड़े। पर पटरी से उतरे प्रशासनिक अमले पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
सरकार का दबाव प्रदेश के विकास पर है। उद्योग लगाने पर है। जब उद्योग लगते हैं तो अधिकारी मुंह फैलाकर खड़े हो जाते हैं। पर प्रायः एनओसी देने वाले अधिकारी सुविधा शुल्क के बिना कुछ करने को तैयार नहीं। सरकारी तंत्र की क्या हालत है, यह बताने के लिए प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की ये प्रतिक्रिया काफी है। उन्होंने बुधवार को राजस्व वसूली की कमी पर पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि ऊपर से नीचे तक विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है। सरकार की मंशा भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की है, छोटे उपभोक्ताओं व गरीबों पर वसूली एवं जांच के नाम पर एफआईआर दर्ज कराई जा रही है, जबकि बड़े बकायेदारों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने विभागीय अफसरों एवं कर्मचारियों को धृतराष्ट्र बताया।
समीक्षा के दौरान आक्रोशित ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि बिजली विभाग में कोई भी कार्य जिम्मेदारी के साथ व्यवस्थित तरीके से नहीं हो रहा है। सभी अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदारी के प्रति आंखें बंद किए हुए हैं। वे धृतराष्ट्र बने हुए हैं। ये टिप्पणी बिजली विभाग के बारे में विभागीय मंत्री की है, वैसे सभी विभागों का हाल एक ही जैसा है। सभी विभागों का ढर्रा एक-सा ही है। प्रदेश में भ्रष्टाचार रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ को रिश्वतखोर और बेइमान अधिकारियों के विरुद्ध भी वैसा ही अभियान चलाना होगा जैसा माफियाओं के विरुद्ध चलाया गया था। आय से अधिक संपत्ति मिलने पर अधिकारी के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के साथ अवैध रूप से अर्जित उनकी और उनके परिवारजनों की संपत्ति भी जब्त की जानी चाहिए। पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने आदेश किया था कि सभी अधिकारी अपनी और अपने परिवार जनों की संपत्ति घोषित करें, क्योंकि लगभग सभी इसमें फंस रहे थे, तो सब दब गया। होना यह चाहिए कि आदेश हो कि नौकरी लगने के समय सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी अपने भाई−बहन, माता–पिता की संपत्ति घोषित करें। अपने सारे बैंक खातों और उनमें जमा रकम की जानकारी दें। यही आदेश कार्यरत सभी विभागों के कर्मचारी और अधिकारी के लिए भी हो। कर्मचारी और अधिकारी की संपत्ति का सारा डाटा आनलाइन होना चाहिए ताकि कोई भी देख ले। ऐसा होता है तो कर्मचारी भ्रष्टाचार करते डरेगा। उस पर कार्रवाई करते भी आसानी होगी। नहीं तो जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहेगा। इसमें कोई अंतर नहीं आने वाला है। फंसने वाले के विरुद्ध ही कार्रवाई होगी। बाकी सब ईमानदार बने रहेंगे।
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