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इसलाम और शाकाहार

इस्लाम के प्रचार और प्रसार का तरीका* :

Dr DK Garg

इस्लाम के प्रचारक हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराने के लिए अनेक प्रकार की युक्ति अपनाते रहते हैं।इनको इस कार्य के लिए एक विशेष ट्रेनिंग दी जाती है की किस तरह कुतर्क द्वारा जलेबी बनाकर दुसरे मत मतान्तर वालो को गुमराह किया जाये । इसको ट्रेनिंग को इस्लाम में अदब अल रिजल वल दज्जल ‘( Adab Al Rijal wal Dajjal) कहा जाता हैं और इसके आगे ले जाने के काम को ये तबलीगी कहते है ,और इस कार्य को इस्लाम ने एक फर्ज बताया गया है।
इस ट्रेनिंग के तीन भाग है -
१ जब तुम संख्या में बहुत कम हो -तब अल तकैया करो यानो सेक्युलर बनजाओ , मंदिर बेशक जाओ ,कलावा पहनो ,भाई चारे की बात करके उनका विस्वास जीतो की मुस्लिम सबसे अच्छे लोग होते है।
२ जब तुम्हारी संख्या काफिर के बराबर हो जाये तो
दाई ‘ करो यानो उनको इस्लाम में आने की दावत दो। उनके साथ ईद और बकरा ईद मनाओ ,उनको समझाओ की इस्लाम शांति और अमन का मजहब है ,इस्लाम की बातो को समझाओ ,सूफियाना कलाम समझाओ आदि
३ जब तुम्हारी संख्या काफिर से ज्यादा हो जाये तो तुम मुजाहिद करो ,यानि जिहाद करो। उन पर जजिया लगाओ , उनके मदिरो को खतम करो, उनको अपने गांव ,आसपास से भगा दो और उनकी बेटियों से निकाह करो ,अलग से इस्लाम हुकूमत की मांग करो।
ये जिहाद भी तीन तरीके से बताया है -१ ताकत से वॉर करो २ ताकत ना हो तो दिमाक से आक्रमण करो । ये दोनों ना हो तो उनको दिल से बद्दुआ दो -ये हर मुस्लिम को पालन जरुरी है। और इसके आगे ले जाने के काम को ये तबलीगी कहते है ।
इसलिए ये लोग कभी सेकुलर बन कर ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की वकालत करने लगते हैं, कभी इस्लाम और हिन्दू धर्म में समानता साबित करने लगते हैं, परन्तु इनका मुलभुत उद्देश्य हिन्दुओं को दिग्भ्रमित कर के इस्लाम के पाश (चंगुल) में फँसाना ही होता है, क्योंकि अधिकांश हिन्दू इस्लाम से अनभिज्ञ और स्वधर्म ज्ञान अर्थाथ हिन्दू धर्म ज्ञान से उदासीन होते हैं इसका फायदा ये लोग लेते है , इन लोगो में(तब्लीगी दावेदारों) में जाकिर नायक का नाम सबसे ऊपर है, जिसका सम्बन्ध “सलफ़ी जिहादी (السلفية الجهادية)” गिरोह से है, यह गिरोह जिहाद में आतंकवाद और काफिरों, मुशरिकों, मुनाफ़िकों की हत्या को उचित मानता है।

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