महाराष्ट्र के घटनाक्रम को देखकर अखिलेश की सपा में बेचैनी ?
अजय कुमार
महाराष्ट्र की तरह उत्तर प्रदेश में भी तेजी से सियासी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी, बीजेपी का मुखर होकर विरोध नहीं कर रही है इसलिए बीजेपी ने भी फिलहाल उसकी तरफ से नजरें फेर रखी हैं लेकिन समाजवादी पार्टी के बीजेपी को लेकर तेवर सख्त हैं, इसलिए बीजेपी भी समाजवादी पार्टी को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। सपा के सहयोगियों को भी उसी की तकनीक के सहारे अपनी ओर आकर्षित किया जा रहा है।
इसी का नतीजा है कि सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की नजदीकियां एक बार फिर से भाजपा के साथ बढ़ रहीं हैं। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ओम प्रकाश राजभर फिर से एनडीए में शामिल हो सकते हैं। महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद राजभर ने दावा भी किया है कि सपा में भी ऐसी ही टूट हो सकती है। उन्होंने कहा है कि सपा के विधायकों को पार्टी में कोई भविष्य नहीं दिख रहा है। जल्द ही कई विधायक पार्टी से अलग होकर सरकार में शामिल हो सकते हैं।
इसके अलावा पश्चिमी यूपी में सपा को मजबूत बनाने वाले जयंत चौधरी के भी एनडीए में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी इसका दावा तक कर चुके हैं। गौरतलब है कि जयंत 23 जून को पटना में हुई विपक्ष की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। पिछले कुछ वर्षों में जयंत की पार्टी का प्रदर्शन भी काफी अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में जयंत अपनी पार्टी के भविष्य के लिए दूसरी संभावनाएं तलाश रहे हैं। देखा जाये तो गठबंधन से समाजवादी पार्टी को तो फायदा मिला लेकिन जयंत चौधरी के हाथ कुछ खास नहीं लगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में एनडीए गठबंधन में पहले से ही अपना दल (एस) और निषाद पार्टी जैसे दल शामिल हैं। लोकसभा चुनाव से पहले जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी का भी साथ एनडीए को मिल सकता है। बसपा पर भी बीते कुछ वर्षों से अंदरखाने भाजपा से समझौते के आरोप लगते रहे हैं। अखिलेश की पार्टी अक्सर बसपा को भाजपा की बी टीम बताती रही है। हालांकि, बसपा भी यही आरोप सपा पर लगाती है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि विपक्ष की एकजुटता से भाजपा की चुनौती बढ़ेगी। अगर विपक्ष की पार्टियों में इस तरह से टूट होती है तो विपक्षी एकजुटता का असर कम हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में अगर भाजपा ऐसा करने में सफल हो गई तो उसकी केंद्र में सत्ता वापसी की राह काफी आसान हो जाएगी।
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