लगता है मोदी ने फिर फसल बो दी है
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से स्पष्ट हो रहा है कि गुजरात चुनाव में अपने को पुन: सत्ता में स्थापित करने के लिए मोदी ने फिर फसल बो दी है। उनके साथ विकास और शांतिपूर्ण सामाजिक परिवेश के नाम पर प्रदेश की जनता साथ लग रही है। एबीपी न्यूज नील्सन सर्वेक्षण के अनुसार 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में भाजपा की वर्तमान 124 सीटें बढ़कर 131 होने जा रही हैं। जबकि कांग्रेस को मात्र 51 सीटों पर ही सिमटना पड़ सकता है। बिना किसी बारीक सर्वेक्षण के और बिना किसी गुणाभाग के यदि जनता जनार्दन की आवाज को भयंकर भी अनुमान लगाया जाए तो भी नरेन्द्र मोदी सत्ता में आते दीख रहे हैं। इसमें उनके लिए एक प्लस प्वाइंट ये है कि प्रदेश की जनता उन्हें देश का भावी प्रधानमंत्री भी मान रही है। उनकी भाव भंगिमा भी बता रही है कि वह गुजरात फतह से तो निश्चिंत हैं पर देश की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए तैयारी कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का सितारा मोदी के सामने आभाहीन हो चुका है, यद्यपि नीतिश ने मोदी को चुनौती देने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें जल्दी ही अपनी सीमाओं का ज्ञान हो गया और उन्होंने फिलहाल बिहार को बचाए रखने में ही अपना भला समझा है। मोदी को बाहर से खतरा नही है, उन्हें भीतरी शत्रुओं से ही अधिक खतरा है। गुजरात चुनाव की शानदार फतह के बाद मोदी निश्चित रूप से अपने भीतरी शत्रुओं से निपटेंगे। नितिन गडकरी की सीट को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी अध्यक्ष के विवाद को इसीलिए नही गहराने दिया है कि गुजरात चुनाव के परिणामों के बाद ही देखा जाएगा। केन्द्रीय नेतृत्व यह भली प्रकार समझ रहा है कि ये चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में न आकर मोदी के पक्ष में आ रहे हैं। इसलिए मोदी के विशाल व्यक्तित्व की छाया को भूत मानकर भाजपा के कई बड़े नेताओं की रातों की नींद उड़ गयी है। सारी भाजपा में घमासान है पर फिर भी एक शांति सी छायी लग रही है। इसका कारण भी यही है कि सबका ध्यान इस समय राष्ट्रीय नेता के रूप में मान्यता पाते जा रहे नरेन्द्र मोदी की ओर है। गुजरात ने देश को महर्षि दयानंद दिये जिनका व्यक्तित्व गुजरात की ही देन गांधी के लिए सदा ईष्र्या का कारण रहा। इसी गुजरात ने सरदार पटेल दिये जो गांधी के साथ रहकर भी गांधी से समानांतर दूरी बनाकर चले। अब प्रदेश की राजधानी गांधीनगर में बैठकर सारी राजनीति से एक समानांतर दूरी बनाकर चलने का शानदार इतिहास नरेन्द्र मोदी लिख रहे हैं। देखते हैं कि इस इतिहास को शानदार ढंग से वह देश की राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका के माध्यम से कैसे लिख पाएंगे?
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