नोट -यह अति महत्त्वपूर्ण लेख 10 अगस्त 2010 को उस समय पुराने ब्लॉग में पोस्ट किया गया था ,जब धूर्त मुस्लिम ब्लॉगर अपने ब्लॉगों में मुहम्मद को अंतिम अवतार या मैत्रैय साबित करने का षडयंत्र कर रहे थे ताकि भोले हिन्दू और बौद्ध इनके झूठ से प्रभावित होकर मुस्लमान बन जाएँ , लेकिन जब हमने इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और लगातार इनका भंडा फोड़ना शुरू कर दिया तो एक एक करके मुस्लिम ब्लॉग बंद होने लगे और हमारे पाठकों की संख्या बढ़ने लगी
कुरआन अल्लाह की किताब है .अल्लाह के आदेश से एक फ़रिश्ता जिब्राइल कुरआन की आयतें मुहम्मद को भेजता था.क्योंकि मुहम्मद अल्लाह के सबसे प्यारे और आखिरी नबी थे.मुहम्मद अल्लाह के द्वारा भेजी गयी आयातों को ज्यों की त्यों लिखवा लेता था .जो बाद में कुरआन बन गयी .ऐसा मुसलमानों का दवा है .लेकिन दुनिया भर के विद्वान् इस बात को नहीं मानते . लोगों ने मुहम्मद के गुरु का पता कर लिया है .जो मुहम्मद को कुरआन दिखाता था ,और जिसने मुहम्मद को आम आदमी से अल्लाह का रसूल बनवा दिया था .
इसी लिए अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में दिनांक 11 नवम्बर 2010 विश्व स्तर पर कुरआन जलाओ दिवस मनाया जाएगा .जो कि”dove world outreach center “आयोजित कर रही है
मुहम्मद का जन्म 11 नवम्बर सन 569 को मक्का में हुआ था उसका नाम “अब्दुल्लाह -अबू अल कासिम -इब्ने इब्ने अब्दे मुत्तलिब -इब्ने हाशिम “था जन्म से पाहिले ही उसके पितागुजर गए .और आठ साल की उम्र में माँ भी मर गयी .मुहम्मद को पहिले उसके दादा और बाद में उसके चाचा ने पाला .6 सालकी आयु होने के बाद मुहम्मद को गाँव भेज दिया गया .ताकि वह अरबी सही बोलना सीख सके .क्योंकि शहर के मुकाबले गाँव की अरबी तुकबंदी में बोली जाती है ,जो शुद्ध मानी जाती थी.देखिये “कुरआन का हिंदी अनुवाद -मुहम्मद का जीवन परिचय पेज-1 प्रकाशित मकतबा अल हसनात राम पुर U .P
12 साल का होने पर मुहम्मद अपने चाचा अबूतालिब के साथ व्यापार कराने लगा .और काफिलों के साथ सीरिया और कई देशों से सामान की खरीद फरोख्त में कमाने लगा .उस समय अरब में यहूदी और ईसाई धर्म का काफी प्रभाव था .यद्यपि अरब के कुछ लोग अपने देवताओं की पूजा कृते थे ,लेकिन वे इसाई और यहूदी धर्म की कथाएं जानते थे .इन धर्मों में ऐसे लोगों की कहानियां हैं ,जो भविष्यवक्ता थे .और समय समय पर भविष्य वाणियाँ करते रहते थे .इनको हिब्रू में “नबी “और अंगरेजी में “prophet “कहा जाता है .अरब में इनका काफी आदर था .
उस समय मुहम्मद एक साधारण आदमी था .वह खरीदारी करता था .सूरा -अल फुरकान -25 :20 .उसे पता नहीं था कि आगे उसका क्या होगा सूरा -अल अहकाफ -46 :9 .उसे परोक्ष का कोई ज्ञान नही था सूरा -अल अन आम -6 :50 .
जब मुहम्मद 25 साल का हुआ तो उसने 40 साल की दो बार विधवा “खदीजा बिन्त खुवैलिद “से शादी कर ली .जिसके यहाँ मुहम्मद काम करता था.खदीजा काफी मालदार थी .उसके पिछले दोनों पति ईसाई थे .खदीजा के साथ उसका चचेरा भाई “वरका बिन नौफल बिन असद बिन अब्दुल उज्जा “भी रहता था .जो ईसाई था और मक्का का बिशप “bishop “था वरका अरबी भाषा में बाइबिल की कहानियाँ लिखा करता था .और खदीजा और मुहम्मद को सुनाया करता था .देखिये –
बुखारी -volume -1 book 1 हदीस 3
वरका बिन नौफल ने जो किताबें लिखी थी बाद में उनका लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया .यह किताबें हैं –
1-“EVANGELIUM INFANTAE ARABICUM ”
2-LIBER EVENGELIUM LUCAE “इन दोनों किताबों का अरबी से Latin में
“HIERRNYMOS “ने किया था .इन किताबों को चर्च ने अमान्य करते हुए “PSUEDOAPOCRYPHA “कहा है इनमे से पहली किताब मरयम के बारेमे आर दूसरी लुकमान के बारे में है .इन दोनों किताबों से लगभग 70 प्रतिशत आयतें कुरआन की सूरा मरियम -19 और सूरा लुकमान -31 में दी गयी हैं .
देखिये -“तावारीखे मसीही कलीसिया और दीन की “पेज 93
.लेखक “PG PFENDER ”
कहा जाता हा कि मुहम्मद अक्सर एक गुफा में आराम करता था .जिसका नाम “गारे हिराँ”है यह सन 610 कीबात है .मुहम्मद को बुखार था.जब वह घर आया तो उसने कहा की मुझे गुफा में किसी ने कहा की “पढो “लेकिन मैं डरकर भाग आया.वरका चालाक आदमी था .उसने खदीजा से कहा गुफा में आने वाला जिब्राईल होगा ,जो नबियों को खुदा का सन्देश देता है.वरका ने मुहम्मद से कहा कि अगता है कि अल्लाहने तुम्हें नबी बना दिया है .कहा जाता है कि उसी समय कुरआन की पहली सूरत लिखी गयी,सूरा -अलक -96 .उसके बाद छे महीने तक कोई सूरत नहीं उतरी.फिर सूरा 68 उतरी .
वरका मुहम्मद को एक नबी से बढाकर कुछ और बनाना चाहता था.उसे पता था कि ईसा मसीह ने अपना सन्देश लोगों तक बजाने के लिए 12 शिष्यों को चुना था .जिन्हें बाइबिल में “APOSTELS ‘कहा गया है -बाइबिल नया नियम -लूका -6 :6 से 17 तक .
.और कुरआन में इनको अरबी में “हवारी “कहा गया है
सूरा -अस सफ्फ 61 :14 .
पाहिले तो मुहम्मद खुद को नबी कहाता रहा- हिब्रू और अरबी में नबी का अर्थ “भविष्यवक्ता (Prophet ) होता है , यह शब्द कुरान में कई जगह आया है , उदहारण के लिए
सुरा -अन फाल 8 :64 -65 ,सूरा तौबा 9 ;73 ,सूरा अहजाब 33 ;28 ,33 :45 ,33 :50 और सूरा अत तलाक 65 ;1 .
चूंकि इसा मसीह ने कहा था कि यदि मैं कभी बाहर चला जाऊंगा तो मैं किसी सहायक को भेज दूँगा जो मेरे भक्तों का मार्गदर्शन करता रहेगा .देखिये बाइबिल -यूहन्ना 14 :16 और 15 :26 .इस सहायक ,या तसली देने वाले को ग्रीक भाषामे “PERAKLETOS “कहा गया है अभी तक यह शब्द हिब्रू और ग्रीक बाइबिल में ऐसा ही लिखा है .वर्का तो यह बात पता थी .उसने बड़ी चालाकी से इस शब्द का अर्थ अरबीमें “अहमद” “करदिया .यानी तारीफ़ किया गया .”praised one “सूरा अस सफ-61 :6 .
उस समय लोग मुहम्मद को “काहिन”यानी भविष्यवक्ता मानते थे
सूरा अत तूर-59 :29
मुहम्मद साधारण नबी बल्कि अल्लाह का संदेशवाहक नही बनाना चाहता था इसके लिए उसने इथोपियन भाषा के शब्द “रसूल “का प्रयोग किया .इसका भी वही अर्थ है जो फारसी में पैगम्बर का और अंग्रेजी में “MESSAANGER “का है लेकिन मुहम्मद ने लोगों को बताया कि रसूल वह होता है जो अल्लाह कि खबरें लाता है.
इसके बाद मुहम्मद ने अपने नाम के आगे “रसूलुल्लाह “लगाना शुरू कर दिया सूरा -अल अह्जाब 33 :40 .गौर करने की बात यह है कि सूरा अल अह्जाब से पाहिले 89 सूरतें लिख चुकी थीं .इससे पहले मुहम्मद खुद को रसूल नहीं कहता था .
बाद में मुहम्मद ने अपने नाम का कलमा भी बनवा लिया .जो दो हिस्सों में अलग अलग कुरआन की सूरतों से लेकर बना है .कलमा दो भागो में है .पूरा कलमा कुरआन में कहीं नहीं है यह दो भाग इस तरह है –
1 – ला इलाह इल्लल्लाह -सूरा -आले इमरान -3 :62
2-मुहम्मदुर्रसूलल्लाह -सूरा अल अहज़ाब -33 :40
मुहम्मद के गुरु वरका बिन नौफल ने जिस तरह से बाइबिल का सहारा लेकर मुहम्मद को चालाकी से नबी की जगह रसूल बना दिया .और अल्लाह का दूत बना दिया ,उसी तरह मुहम्मद के वकील हिन्दुओं ,बौद्धों और दूसरे धर्म की किताबों का सहारा लेकर मुहम्मद को अंतिम अवतार ,कल्कि अवतार और मैत्रेय बुद्ध साबित करने में लगे रहते हैं .इन प्रमाणों से सिद्ध हो जाता है कि मुहम्मद को अल्लाह का रसूल बनाने वाला अल्लाह नहीं बल्कि मुहम्मद का उस्ताद वर्का बिन नौफल था ,जो मुहम्मद का रिश्ते में साला भी था , वास्तविकता तो यह है कि न तो अल्लाह ने मुहम्मद को अपना रसूल नियुक्त किया था और न कोई फरिश्ता ही था जो आसमान से कुरान लाया करता था , अगर ऐसा है तो अब कोई फरिश्ता किसी को क्यों नहीं दिखाई दिया
.लेकिन 11 नवम्बर 2010 सारी दुनिया के सामने कुरआन और मुहम्मद का भंडा फूट जाएगा .
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( लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं )
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