जब तुम किसी को ठगते हो, झूठ बोलते हो,
चोरी करते हो, हिंसा करते हो,
रिश्वत लेते हो, किसी को सताते हो,
तो याद रखो भगवान देख रहा है।
तुम्हें कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ेगा,
तुम दुखी होते हो, चिंतित होते हो,
परेशान हो तथा परिवार की सुख शांति नष्टï करते हो। ऊपर बताये ये सब दुख तुम्हारे ही पाप कर्मों का फल है। भगवान ने तुमको आनंद स्वरूप बनाया है। यदि तुम्हें किसी प्रकार भी दुख है तो तुम्हारे ही किये हुए पाप कर्मों का फल है। अब किसी प्रकार का पाप कर्म मत करो जिससे आगे तुम्हें दु:ख भोगना पड़े। सुख चाहते हो तो किसी को दु:ख मत दो।
स्वर्ग की सीढ़ी
मारना चाहते हो तो बुरी इच्छाओं को मारो।
जीतना चाहते हो तो क्रोध और तृष्णाओं को जीतो।
खाना चाहते हो तो गुस्से को खाओ।
पीना चाहते हो तो ईश्वर भक्ति का शर्बत पीओ।
देना चाहते हो तो नीची निगाह करके दो और भूल जाओ।
लेना चाहते हो तो माता-पिता और गुरू का आशीर्वाद लो।
जाना चाहते हो तो सत्संगों एवं स्वास्थ्य प्रद स्थानों पर जाओ।
छोडऩा चाहते हो तो पाप, घमण्ड और अत्याचार को छोड़ो।
बोलना चाहते हो तो सत्य और मीठे वचन बोलो।
खरीदना चाहते हो तो प्रेम का सौदा खरीदो।
तोलना चाहते हो तो बात को तोलो और ठीक बोलो।
देखना चाहते हो तो अपनी बुराई को देखो।
सुनना चाहते हो तो ईश्वर की प्रशंसा और दुखियों की पुकार को सुनो। भागना चाहते हो तो पराई निंदा और पराई स्त्रियों से भागो।
संकलन : रामकुमार वर्मा

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