मृत्युंजय दीक्षित
प्रधानमंत्री मोदी ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि, ”भारत लोकतंत्र की जननी” है तो ”अमेरिका आधुनिक लोकतंत्र का चैपिंयन” और विश्व इन दो महान लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत होता देख रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अभूतपूर्व और ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा पूर्ण हो चुकी है। इस यात्रा और यात्रा सम्बंधित समस्त कार्यक्रमों पर पूरे विश्व की दृष्टि थी। अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत का प्रत्येक क्षण भारतवासियों के लिए गर्व का क्षण था। यह यात्रा दोनों देशों के बीच मित्रता का एक नया स्वर्णिम अध्याय प्रारम्भ करने वाली रही है। इस यात्रा से जहाँ एक ओर भारत के शत्रु देशों चीन व पाकिस्तान को कड़ा सन्देश दिया गया है वहीं दूसरी ओर उन ताकतों को भी सन्देश दे दिया गया जो अल्पसंख्यकों के हितों, मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की आजादी आदि विषयों को लेकर तथ्यहीन समाचार प्रसारित कर भारत व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ने का प्रयास करते रहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ऐतिहासिक योग सत्र का नेतृत्व करते हुए आरम्भ हुई। यहीं से अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारतीय संस्कृति की लोकप्रियता का आभास होने लगा। न्यूयॉर्क में आयोजित कार्यक्रम में मोदी जी के साथ योग करने के लिए वहां के लोगों का उत्साह अद्भुत था। योग कार्यक्रम में ॐ सहित संस्कृत श्लोकों का भी उद्घोष किया गया यह भारतीय संस्कृति व योग के लिए गौरवशाली पल थे। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का प्रतिफल है कि आज योग पूरे विश्व में छा गया है और विश्व को एक सूत्र में बाँध रहा है।
अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की कई महत्वपूर्ण हस्तियों से भेंट की, सबसे प्रमुख कार्यक्रम के रूप में अमेरिकी संसद को सम्बोधित किया तथा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता और उसके बाद आयोजित प्रेस वार्ता की। यात्रा के अंतिम चरण में उन्होंने रोनाल्ड रीगन सेंटर में अमेरिका में बसे भारतीयों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के सकारात्मक परिणाम अभी से ही सामने आने लगे हैं।
अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव में प्रधानमंत्री ने बताया कि अमेरिका ने भारत की उन 100 प्राचीन मूर्तियों व धरोहरों को वापस लौटाने का निर्णय लिया है जो विगत 70 वर्षों में किसी न किसी माध्यम से अमेरिका व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचा दी गयी थीं। इसके अतिरिक्त भारत और अमेरिका के मध्य रक्षा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण को बढ़ावा देने और औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए हुए समझौतों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के रुख में समानता है और उनके बढ़ते सम्बंध ”मेक इन इंडिया” और ”मेक फार द वर्ल्ड” से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि, ”भारत लोकतंत्र की जननी” है तो ”अमेरिका आधुनिक लोकतंत्र का चैपिंयन” और विश्व इन दो महान लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत होता देख रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय दोनों देशों के संबंध की वास्तविक क्षमता को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। यह भारत में अधिक से अधिक निवेश करने का उपयुक्त समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम साथ मिलकर न सिर्फ नीतियां और समझौते तैयार कर रहे हैं बल्कि हम जीव, सपनों और नियति को भी आकार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश बेहतर भविष्य के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं।
अमेरिका में बसे भारतीयों को संबोधित करते हुए जब प्रधानमंत्री ने बताया कि अब एच-1 बी वीजा का नवीनीकरण अमेरिका में ही हो जाएगा तो वहां पर उपस्थित जनसमुदाय प्रसन्नता से झूमा और मोदी-मोदी के गगनभेदी के नारों से गूंज उठा। अमेरिका में रह रहे भारतीयों को अब अपने कार्य हेतु वीजा एच1 बी वीजा का नवीनीकरण कराने के लिए भारत नहीं आना पड़ेगा और वह अमेरिका में ही अपनी नौकरी जारी रखकर यह कार्य करवा सकेंगे। इस निर्णय से अमेरिका के इंजीनियरिंग व दूसरे उच्च प्रौद्योगिकी में काम करने वाले भारतीयों को सुविधा होगी। आगे चलकर यह सुविधा एल वीजा धारकों के लिए भी हो सकेगी।
भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में लड़ाकू विमान के इंजन बनाने का समझौता भी भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस निर्णय से आपसी विश्वास बढ़ेगा। ”भारत माता की जय” के गगनभेदी नारे के बीच उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की के पीछे सबसे बड़ी वजह आत्मविश्वास है।
इसके अलावा, अमेरिकी संसद से नरेंद्र मोदी अपने नौ वर्ष के कार्यकाल में दो बार अमेरिकी संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता का शत्रु है, इस संकट से निपटने के लिए कोई अगर-मगर नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री का यह संबोधन ऐतिहासिक रहा जिसको सुनने के लिए भारत ही नहीं विश्व भर के लोग जागते रहे। अपनी भाषण शैली से प्रधानमंत्री ने आतंक के पोषकों पर वार तो किया ही साथ ही जो लोग विदेशों में जाकर भारतीय लोकतंत्र की आलोचना करते हैं तथा भारत के अंदर सदन की कार्यवाही को ठप करने की साजिश रचते हैं उनको कड़ा उत्तर दे दिया। अमेरिकी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू सांसदों के सिर चढ़ का बोल रहा था, वहां का हर सांसद मोदी से हाथ मिलाना चाह रहा था। भाषण के दौरान संसद में 79 बार तालियां बजीं और 15 बार लोगों ने खड़े होकर तालियाँ बजायीं। लगभग एक घंटे के उनके भाषण के पश्चात अमेरिकी सांसदों में मोदी के साथ सेल्फी और आटोग्राफ लेने के लिए होड़ लग गई। जिस तरह अमेरिकी सांसदों ने सेल्फी और आटोग्राफ लेने के लिए उन्हें घेर लिया था वह एक विलक्षण दृश्य था। इस भाषण के दौरान विश्व ने अनुभव किया कि भारत-अमेरिका के सम्बन्ध एक नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहे हैं हैं।
उपहारों की राजनीति
प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेंद्र मोदी ने वैश्विक नेताओं को भारत की सांस्कृतिक परंपरा के अनुकूल स्वदेशी उपहार भेंट करने की परम्परा चलाई और इसी कड़ी में इस बार भी उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन को विशेष उपहार भेंट किये। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रथम अमेरिकी दंपति को भगवान गणेश जी की मूर्ति, चांदी का दिया, विशेष रूप से बनाया गया दृष्टसहस्रचंद्र, गुड़ व नमक जैसे उत्पाद तथा जिल बाइडेन को एक विशिष्ट ”हरे रंग का हीरा” उपहार में दिया।
यात्रा से भारत को लाभ
राजनैतिक विश्लेषक व विदेशी मामलों के जानकार यह विश्लेषण कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से वास्तव में भारत को क्या मिला है। सभी का मानना है कि इस यात्रा से यह बात तो तय हो गयी है कि अब पूरी दुनिया भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रही है और उसके विचार सुन रही है। प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के पश्चात वहां की कई बड़ी कपंनियों व उद्योगपतियों ने भारत में भारी निवेश करने की घोषणा की है। एमेजोन, गूगल, माइक्रोन, टेस्ला जैसी कंपनिया भारत में अपना निवेश बढ़ाने जा रही हैं। अमेरिका की सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भारत में 3.15 अरब डालर के आरंभिक निवेश की घोषण की है। ग्रीन एनर्जी से जुड़ी कंपनियों ने भी नए निवेश का प्रस्ताव किया है। अंतरिक्ष क्षेत्र में अमेरिकी एजेंसी नसा ने भारतीय यात्री को 2024 तक अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा की है।
अब भारत को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए अमेरिका सहित विश्व के अनेक देशों का समर्थन मजबूती से मिल सकता है यद्यपि आतंक के खिलाफ लड़ाई में चीन अभी भी एक बड़ी बाधा बन रहा है। दूसरी महत्वपूर्ण बात हुर्ह है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत को स्थायी सीट का दावा एक बार फिर मजबूत हुआ है और अमेरिका ने उसका समर्थन भी किया है। अमेरिका में जो लोग समय-समय पर भारत विरोधी एजेंडा चलाते रहते हैं उनका स्वप्न चकनाचूर हो गया है। भारत के कुछ तथाकथित लिबरल मानसिकता वाले वामपंथी विचारधारा के लोग अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे थे लेकिन उन्हें वहां से भी निराशा ही हाथ लगी क्योंकि उन्होंने भारत में बनी कोविड वैक्सीन व पूरी दुनिया में उसके वितरण की प्रशंसा कर दी। स्पष्ट है कि आगामी समय में भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में और अधिक स्थायित्व आ सकता है।