शाहजहांपुर( विशेष संवाददाता) आर्य समाज टाउनहॉल शाहजहांपुर में शिक्षक का राष्ट्र निर्माण में योगदान विषय पर आयोजित की गई एक विशेष संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि शिक्षक ही वास्तव में राष्ट्र का निर्माता होता है। यदि शिक्षक के अंदर दुर्व्यसन हैं तो वह दुर्व्यसनी विद्यार्थियों का ही निर्माण करता है। जिससे अंत में राष्ट्र दुर्गति को प्राप्त होता है और यदि शिक्षक संस्कारित है तो संस्कारित विद्यार्थियों का निर्माण करता है। जिससे राष्ट्र उन्नति को प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि भारतीय वैदिक संस्कृति ने कई प्रकार के झंझावात झेले हैं। हमारी मजबूत इच्छाशक्ति और सांस्कृतिक विरासत के प्रति समर्पण के भाव ने हमें प्रत्येक प्रकार की कठिनाई से बाहर निकाला है । जिसमें शिक्षकों का विशेष योगदान रहा है।
डॉ आर्य ने कहा कि शिक्षा और संस्कार का गहरा मेल है। शिक्षा संस्कार के बिना सूखा वृक्ष है तो संस्कार शिक्षा के बिना असंभव है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इन दोनों का उचित समन्वय शिक्षक के हाथों में होता है। इस प्रकार शिक्षा ,संस्कार और शिक्षक तीनों ही राष्ट्र की महत्वपूर्ण धुरी हैं। भारत को समझने के लिए वेद, वैदिक संस्कृति शिक्षा, शिक्षक और संस्कार इन सबको समझने की आवश्यकता है। संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए भारत के इसी सांस्कृतिक समन्वय को स्थापित करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जी का इस देश के सांस्कृतिक गौरव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। है यदि वह नहीं होते तो यह देश कब का अपने सांस्कृतिक वैभव को खो चुका होता है। उसके बाद स्वामी दयानंद जी महाराज ने स्वामी शंकराचार्य जी की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया और अनेक गुरुकुल स्थापित कर भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को नई परिभाषा दी। आज उसी परिभाषा को क्रियान्वित कर राष्ट्र निर्माण करना हम सबके लिए जरूरी हो गया है।
भारत को समझो अभियान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षक का आदर्श चरित्र विद्यार्थियों ने और विद्यार्थियों का आदर्श चरित्र राष्ट्र के सभ्य नागरिकों में प्रकट होता है। कुल मिलाकर अध्यापक का सच्चरित्र होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे देश को मिटाने के उद्देश्य से प्रेरित होकर अंग्रेजों ने जिस शिक्षा प्रणाली को लागू किया उसने हमारा बहुत कुछ नष्ट कर दिया है पर अभी भी समय है यदि हम अब भी संभल गए तो बहुत कुछ बचाया जा सकता है। हमें मानवता के हित में काम करते हुए वैदिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना चाहिए। जबकि अभियान समिति के लीगल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्रीनिवास आर्य ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही शिक्षा और संस्कार पर बल देने वाला राष्ट्र रहा है। इसका कारण यह है कि हमारे ऋषि पूर्वजों ने अंधकार से प्रकाश की ओर चलने की गहन साधना की और उस पर चलते भी अनेक प्रकार के आविष्कार कर संसार का कल्याण किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का सफल संचालन समिति के शाहजहांपुर जिलाध्यक्ष विमलेश कुमार आर्य ने किया। उन्होंने कहा कि भारत को समझो अभियान भारत के आध्यात्मिक पक्ष के साथ-साथ भारत के राजनीतिक स्वरूप को भी समझने का एक प्रयास है। जिसके माध्यम से भारत के अतीत के गौरव को वर्तमान के साथ समन्वित करना इस अभियान का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। बैठक में राजार्य सभा के प्रदेश अध्यक्ष बलबीर सिंह आर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि भारत की दिव्यता और भव्यता को बनाए रखने के लिए हमें विदेशी संस्कृति का अंधानुकरण करने से बचना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी अपने पुरातन सनातन वैदिक मूल्यों को समझें और जीवन चर्या को उसी के अनुसार ढाले।