ऋषियों का बहुत बड़ा उपहार है योग
कमलेश पांडे |
योग भारतीय मनीषियों द्वारा विश्व मानवता को प्रदान किया गया एक अमूल्य उपहार है, जिसका जितना अनुकरण-अनुशरण किया जाएगा, मानव तन-मन उतना ही स्वस्थ और सुंदर बनेगा। योगियों-मुनियों की राय है कि योग के माध्यम से जो श्रम साध्य परिश्रम किया जाता है वो कदापि निरर्थक नहीं जाता। बल्कि योग सम्पूर्ण दुखों का निवारण कर देता है। योग से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। यह उत्तम स्वास्थ्य, सुख, शांति, समृद्धि और सबके पारस्परिक समन्वय का माध्यम है।
प्रारंभ से ही योग हमारी सनातन परंपरा का अभिन्न अंग रहा है। योग भारतीय मनीषियों का विश्व मानवता को प्रदान किया गया एक बेहतरीन और अमूल्य उपहार है जिसे नए भारत के निर्माता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत करके मानवता के सम्पूर्ण कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है, जिसका अनुकरण-अनुशरण शेष दुनिया के प्रगतिशील विचारों के लोग भी कर रहे हैं। यह वाकई महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्थक पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत की परंपरागत विरासत योग को मान्यता प्रदान करते हुए प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। ततपश्चात 21 जून 2015 को प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
इसी कड़ी में 21 जून 2023 को नौवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इसका बढ़ता प्रचार-प्रसार सम्पूर्ण मानव समुदाय के लिये इसकी उपयोगिता और उपादेयता दोनों को प्रदर्शित करता है। तभी तो काल प्रवाह वश दुनिया के अधिकांश देशों ने योग के महत्व को स्वीकार करते हुए भारत की ऋषि परंपरा के प्रति अपनी अपनी कृतज्ञता प्रकट की और इसका अनुशरण-अनुकरण करते रहने के लिए भारत से तकनीकी व अभ्यास गत मदद हासिल किया। आपको पता होना चाहिए कि आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा इस वर्ष इसकी थीम ‘हर आंगन योग’ रखी गई है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक परिवार को योग से जोड़ते हुए कल्याण एवं स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति है। इसलिए देश-प्रदेश के अलावा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में व्यापक रूप से योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इसलिए सभी लोग योग अवश्य अपनाएं, ताकि वे स्वस्थ रहें, सानंदित रहें।
सच कहा जाए तो किसी भी देश की पूंजी, सुख-शांति-समृद्धि से भरे-पूरे उसके सभ्य, सुशील और सद्भावी नागरिक होते हैं, उसके बाद प्रचुर प्राकृतिक संसाधन, जिसमें भूमि, वन, जलराशि, खनिज संपदा आदि। अमूमन इन दोनों के सदुपयोग से ही विभिन्न संस्थानों, सरकारों और रुपये-डॉलर का निर्माण होता है, जिसका प्रचलन परिवर्तित समय के सापेक्ष बढ़ता-घटता रहता है। वहीं, किसी भी देश की शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाओं, जीवन-यापन के प्रचलित तौर तरीके, आवागमन के समुचित साधनों, संचार व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था आदि से उसकी सम्पूर्ण व्यवस्था का मूल्यांकन किया जाता है। चूंकि भारतीय सभ्यता और संस्कृति बसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवन्तु सुखिनः का आह्वान करती है, इसलिए भारत में घटित होने वाली घटनाओं का देर-सबेर विश्वव्यापी असर पड़ता है।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सबको स्वस्थ रखने और योग के लाभ से अवगत करवाने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के तुरंत बाद ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरुआत कर दी, जिसका नौंवा सालाना दिवस 21 जून 2023 को मनाया जा रहा है। इन नौ वर्षों में उनके इस अभियान ने देश-विदेश में बहुत कुछ बदला है- आत्मविश्वास से लेकर तकनीकी व ढांचागत विकास तक। इसलिए सत्य की कसौटी पर हमेशा यही कहा जायेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौ साल पहले उठाया हुआ यह कदम उनकी दूरदर्शिता का परिचायक था, है और रहेगा। इससे न केवल देशव्यापी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय खुशी एवं सद्भाव का माहौल बना है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत से हुए कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर आप नजर डालेंगे तो महसूस होगा कि पिछले नौ वर्षों में लोगों की सोच में आमूलचूल परिवर्तन आया है। कहा भी जाता है कि प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति के उन्नायकों में सनातन धर्म, योग और आयुर्वेद की गणना सर्वोपरि रही है।
कुछ गणनीय बदलाव इस प्रकार हैं-
पहला, यदि आप अपने आसपास नजर दौड़ाएंगे तो पाएंगे कि इस दिवस से पूर्व आपके पड़ोसी पार्क की सफाई अवश्य हो जाती है, कहीं कहीं रंग-रोगन भी, वह उस पार्क में आने वाले व्यक्ति की महत्ता और आयोजकगण द्वारा महत्व दिए जाने पर निर्भर करता है।
दूसरा, इस दिवस पर देश के सारे संस्थान सक्रिय नजर आते हैं। जिससे योग मैट, योग साहित्य, योग स्टीकर, झंडा, बैनर आदि की डिमांड बढ़ जाती है। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, टीवी मीडिया, वेब मीडिया एक दिवसीय या साप्ताहिक विज्ञापनों से पट जाते हैं, क्योंकि सरकारी-निजी कम्पनियां और सार्वजनिक लोग अपनी ब्रांडिंग के लिए तरह तरह के विज्ञापन देते हैं।
तीसरा, इस मौके पर खान-पान, परिवहन, संचार आदि का व्यवहारिक कार्य भी बढ़ जाता है। इससे पारिवारिक, सामाजिक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रेम और सद्भाव बढ़ता है।
चौथा, यह दिवस राष्ट्रीय एकता व अखंडता के नजरिए से भी सही है और भारतीय सभ्यता-संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिहाज से भी उपयुक्त। इस अवसर पर योग गुरुओं की डिमांड अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती है। क्योंकि योग गुरु व उनकी टीम कुशलता पूर्वक योग प्रशिक्षण दिया करती है।
इन सभी बातों से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलती है, क्योंकि देश-विदेश में ऐसे आयोजन शानदार तरीके से किए जाते हैं। इस दौरान होने वाले आमद-रफ्त से भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और उपयोगिता भी बढ़ी है। इस कार्यक्रम में जगह जगह पर सौ-दो सौ, पांच सौ-हजार लोग योगाभ्यास करते हैं। ऐसे स्वास्थ्य प्रेमियों एवं योग में दिलचस्पी रखने वाले सभी धर्म के व्यक्तियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
इस मौके पर ‘आसन सीखें’ अभियान भी चलाया जाता है, जिसके तहत मुख्य रूप से कपालभांति, भस्त्रिका, एम-सूक्ष्म व्यायाम, स्ट्रेचिंग वार्मअप के अलावा आसन में ताड़ासन, कोनासन, कटिचक्रासन, उत्कारासन, वीरभद्रासन, अर्ध चक्रासन, भद्रासन, भुजंगासन, मंडूकासन, अर्धत्येन्द्रासन, योग निद्रा, भ्रामरी प्राणायाम, नाड़ी शोधन का अभ्यास व शुद्धि योग क्रिया कराई जाती है। इसकी सम्यक जानकारी दी जाती है।
इसके अलावा आरएसएस और भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर राम ध्यान और प्रार्थना के साथ-साथ आयुर्वेद जीवन शैली चर्चा जगह जगह पर स्थानीय नेतृत्व की मंशा के अनुरूप कराई जाती है, जिससे राष्ट्रवादी पार्टी का जनाधार भी बढ़ता है। इसलिए सभी पार्टियों को इसमें दिलचस्पी लेनी चाहिए, क्योंकि यह देश-समाज दोनों के हित में है।
सच कहूं तो अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर आम लोगों के योग अभ्यास करने से तन-मन के कसाय दूर होते हैं, आत्मा निर्मल होती है और मनुष्य स्वस्थ तथा प्रसन्नचित रहता है। जब आम भारतीय योग अभ्यास करके तन-मन से स्वस्थ रहेगा तो न केवल राष्ट्रीय उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि चिकिसकीय खर्च भी घटेंगे, क्योंकि एलोपैथिक आधारित लम्बा स्वास्थ्य बजट आम आदमी के वश की बात नहीं है। इसलिए मोदी जी ने ठाना है, सभी को योगी बनाना है, ताकि नागरिक स्वस्थ और सुंदर बने रहें और देश की मजबूती में अपना अभिन्न योगदान दें।