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भारतीय संस्कृति

ईश्वर का एक अन्य नाम विश्वनाथ*

सत्य की खोज

Dr DK Garg

एक प्रश्न सामने है की क्या बाबा विश्वनाथ भगवान है ?
बिलकुल है जी,
दूसरा प्रश्न क्या ये कोई अन्य दूसरे भगवान है जो गणेश,लक्ष्मी , शनि, ब्रहस्पति,शंकर आदि से अलग ईश्वर है?तो उत्तर है कि बिलकुल नहीं,
क्या विश्वनाथ और शिव एक ही है ?हा बिलकुल,
तो फिर विश्वनाथ और गणेश ,सूर्य ,शनि आदि तो अलग किस्म के भगवान हुए?
उत्तर है कि ये समझ का फर्क है क्योंकि ये सब ईश्वर एक ही है और एक नही भी,
एक इसलिए कि ईश्वर एक है ,जो सर्वशक्तिशाली है, निराकार, सर्वाधार , सर्वव्यापक है ,परमपिता है और अलग अलग इसलिए की ईश्वर के अनेकों अलग अलग प्रकार के कार्य है जिसके कारण ईश्वर को अलग नाम से पुकारा गया है , और यदि इन कार्यों को समझने के लिए चित्रकारी को जाए तो कार्यों के आधार पर एक ही ईश्वर अलग अलग रूपों में नजर आएगा , इन्ही में ईश्वर का एक नाम विश्वनाथ भी है।
आइये इस पर और अधिक विचार करते है।
ईश्वर पूरे ब्रह्मांड का रचने वाला है और वही ईश्वर सृष्टि को बनाने , चलाने और प्रलय करने वाला है इस कारण से ईश्वर का एक नाम विश्वनाथ भी है। जैसा काम वैसा ही नाम।
शास्त्र क्या कहते है?
निर् और आङ्पूर्वक (डुकृञ् करणे) इस धातु से ‘निराकार’ शब्द सिद्ध होता है। ‘निर्गत आकारात्स निराकारः’ जिस का आकार कोई भी नहीं और न कभी शरीर-धारण करता है, इसलिए परमेश्वर का नाम ‘निराकार’ है।
हमारे धर्म साहित्य कार्यों के आधार पर ईश्वर को क्या कहते है ?
१ (विश प्रवेशने) इस धातु से ‘विश्व’ शब्द सिद्ध होता है। ‘विशन्ति प्रविष्टानि सर्वाण्याकाशादीनि भूतानि यस्मिन् । यो वाऽऽकाशादिषु सर्वेषु भूतेषु प्रविष्टः स विश्व ईश्वरः’ जिस में आकाशादि सब भूत प्रवेश कर रहे हैं अथवा जो इन में व्याप्त होके प्रविष्ट हो रहा है, इसलिए उस परमेश्वर का नाम ‘विश्व’ है, इत्यादि नामों का ग्रहण अकारमात्र से होता है।
२ (बृह बृहि वृद्धौ) इन धातुओं से ‘ब्रह्मा’ शब्द सिद्ध होता है। ‘योऽखिलं जगन्निर्माणेन बर्हति वर्द्धयति स ब्रह्मा’ जो सम्पूर्ण जगत् को रच के बढ़ाता है, इसलिए परमेश्वर का नाम ‘ब्रह्मा’ है।
३ ‘यो विश्वमीष्टे स विश्वेश्वरः’ जो संसार का अधिष्ठाता है, इससे उस परमेश्वर का नाम ‘विश्वेश्वर’ है।
४ (डुकृञ् करणे) ‘शम्’ पूर्वक इस धातु से ‘शंकर’ शब्द सिद्ध हुआ है। ‘यः शंकल्याणं सुखं करोति स शंकरः’ जो कल्याण अर्थात् सुख का करनेहारा है, इससे उस ईश्वर का नाम ‘शंकर’ है।
५ ‘महत्’ शब्द पूर्वक ‘देव’ शब्द से ‘महादेव’ सिद्ध होता है। ‘यो महतां देवः स महादेवः’ जो महान् देवों का देव अर्थात् विद्वानों का भी विद्वान्, सूर्यादि पदार्थों का प्रकाशक है, इसलिए उस परमात्मा का नाम ‘महादेव’ है।
६ (शिवु कल्याणे) इस धातु से ‘शिव’ शब्द सिद्ध होता है। ‘बहुलमेतन्निदर्शनम्।’ इससे शिवु धातु माना जाता है, जो कल्याणस्वरूप और कल्याण का करनेहारा है, इसलिए उस परमेश्वर का नाम ‘शिव’ है।

परमेश्वर को बाबा विश्वनाथ क्यों कहा है ?

वेद में ईश्वर को पिता ,पितामह और बाबा भी कहा है -देखिये
१ (पा रक्षणे) इस धातु से ‘पिता’ शब्द सिद्ध हुआ है। ‘यः पाति सर्वान् स पिता’ जो सब का रक्षक जैसा पिता अपने सन्तानों पर सदा कृपालु होकर उन की उन्नति चाहता है, वैसे ही परमेश्वर सब जीवों की उन्नति चाहता है, इस से उसका नाम ‘पिता’ है

2 ‘यः पितृणां पिता स पितामहः’ जो पिताओं का भी पिता है, इससे उस परमेश्वर का नाम ‘पितामहः’ है।

३ ‘यः पितामहानां पिता स प्रपितामहः’ जो पिताओं के पितरों का पिता है इससे परमेश्वर का नाम ‘प्रपितामह’ है।

उपरोक्त के आलोक में आपको बाबा विश्वनाथ का भावार्थ स्पष्ट हो जायेगा। समझदार को इशारा काफी है।

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