करोड़ों मुसलमानों के निकाह अवैध हैं !

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करोड़ों मुसलमानों के निकाह अवैध हैं !
पाठकों से निवेदन है कि इस लेख को ध्यान से पढ़ें , क्योंकि यह लेख सभी पाठकों खासकर कानून जानने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है ,और इस लेख का विषय मुस्लिमों में प्रचलित अपनी रिश्ते की बहिनों के साथ निकाह करना , और इसके बारे कुरान आदेश है , यह लेख इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि इसी सप्ताह गुजरात है हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि मुस्लिमों द्वारा कुरान की गलत व्याख्या की जाती है .वास्तव में कुरान में ऎसी कई आयतें मौजूद है ,जिनका जाकिर नायक जैसे धूर्त ऐसी व्याख्या कर देते हैं ,जो उस आयत के आशय के विपरीत और भ्रामक होती है ,जिस से अरबी से अनभिज्ञ मुसलमान ऐसे काम कर बैठते हैं , जो कुरान के आदेश के उलट और रसूल के अधिकारों में अतिक्रम होता है .

अधिकांश मुस्लिम नहीं जानते हैं कि कुरान में एक ऐसी आयात मौजूद है , मुल्ले मौलवी लोगों को उसका जानबूझ कर सही अर्थ नहीं बताते , क्योंकि सही अर्थ प्रकट करने से लाखों मुसलामानों के निकाह अवैध हो जायेंगे , और ऐसी शादियों से पैदा हुए बच्चे नाजायज संतान माने जायेंगे.

मुख्य विषय पर आने से पहले हमें अन्य लोगों में रसूल का स्थान ( Status) है , यह जानना जरुरी है , इसके बारे में यह हदीस बताती है।

1-रसूल का स्थान सर्वोपरि है !

“जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि रसूल ने कहा है मैं नबियों का ” कायद ( leader )यह शेखी की बात नहीं , मैं सभी नबियों पर मुहर (seal ) यह शेखी की बात नहीं ,मैं पहला ऐसा सिफारिश करने वाला हूँ , जिसकी सिफारिश मंजूर हो जाएगी ,यह भी शेखी की बात नहीं है ,”

رواه جابر بن عبد الله قال النبي (ص):أنا قائد من المرسلين، وهذا ليس التباهي، وأنا خاتم النبيين، وهذا ليس التباهي، وسأكون أول من يشفع ويتم قبول الشفاعة الأولى التي، وهذا ليس التباهي “.

Narrated by Jabir ibn Abdullah

The Prophet (saws) said, “I am the leader (Qa’id) of the Messengers, and this is no boast; I am the Seal of the Prophets, and this is no boast; and I shall be the first to make intercession and the first whose intercession is accepted, and this is no boast.

.” Al-Tirmidhi Hadith 5764

2-औरतों के बारे में विशेषाधिकार

“हे नबी हमने तुम्हारे लिए ( वह ) पत्नियां हलाल कर दी हैं ,जिनके मह्र तुमने दे दिए हैं , और वह दासियाँ जो अल्लाह ने ” फ़ाय ” के रूपमे नियानुसार दी हैं , और चाचा की बेटियां , तुम्हारी फुफियों की बेटियां ,तुम्हारे मामूँ की बेटियां ,और तुम्हारी खालाओं की बेटियां , जिन्होंने तुम्हारे साथ हिजरत की है , और वह ईमान वाली स्त्री जो अपने आपको नबी के लिए ” हिबा ” कर दे . और यदि नबी उस से विवाह करना चाहे, हेनबी यह अधिकार केवल तुम्हारे लिए है , दूसरे ईमान वालों के लिए नहीं है ” सूरा -अहजाब 33:50

يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ إِنَّا أَحْلَلْنَا لَكَ أَزْوَاجَكَ اللَّاتِي آتَيْتَ أُجُورَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ مِمَّا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَيْكَ وَبَنَاتِ عَمِّكَ وَبَنَاتِ عَمَّاتِكَ وَبَنَاتِ خَالِكَ وَبَنَاتِ خَالَاتِكَ اللَّاتِي هَاجَرْنَ مَعَكَ وَامْرَأَةً مُؤْمِنَةً إِنْ وَهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ إِنْ أَرَادَ النَّبِيُّ أَنْ يَسْتَنْكِحَهَا خَالِصَةً لَكَ مِنْ دُونِ الْمُؤْمِنِينَ

O PROPHET! Behold, We have made lawful to thee thy wives unto whom thou hast paid their wages, as well as those whom thy right hand has come to possess from among the captives of war whom God has bestowed upon thee. And [We have made lawful to thee] the daughters of thy paternal uncles and aunts, and the daughters of thy maternal uncles and aunts, who have migrated with thee [to Yathrib]; and any believing woman who offers herself freely to the Prophet and whom the Prophet might be willing to wed: this is a privilege for thee, and not for other believers –

sura-ahzab 33:50

(this verse has 43 words)

3-आयत का विश्लेषण

इस आयात में अरबी के कुल 43 शब्दों का प्रयोग किया गया है , सुविधा के लिए उनके नंबर दिए जा रहे हैं , ताकि सही अर्थ समझने में आसानी हो ,

1.इस आयात के शब्द संख्या 3 ,4 और 5 में अरबी में कहा है “इन्ना अहललना लक (أَحْلَلْنَا لَكَ ) अर्थात हमने तुझ पर वैध किया (We have made lawful to thee ) . इस से स्पष्ट होता है ,कि कुरान का यह आदेश केवल नबी के लिए है , मुसलमानों के लिए नहीं ,

2.इसके बाद शब्द संख्या 6 ,7 ,8 और 9 में अरबी कहा है , “अजवाजक अल्लती अतयत उजूरहुन्न (أَزْوَاجَكَ اللَّاتِي آتَيْتَ أُجُورَهُنَّ) अर्थात वह पत्नियां जिनका मूल्य ( मेहर ) चूका दिया हो ( whom thou hast paid their wage ).अरबी में “उजूर – أُجُورَ ” का अर्थ मजदूरी का वेतन(wage ) होता है ‘दूसरे शब्दों में पत्नियों को शादी के समय दिए जाने वाला मेहर उनकी योनि की कीमत मानी जाती है , और यदि पत्नी को मेहर नहीं दिया गया हो तो शादी अवैध हो जाती है. इस लिए इस आयत में नबी की उन्हीं पत्नियों को हलाल माना है मुहम्मद ने जिनकी मजदूरी यानि मेहर चूका दिया हो.

इसके बाद वैध पत्नियों के अतिरिक्त नबी को जिन स्त्रियों से शादी करने को हलाल यानि वैध किया गया वह बताया गया है ,

3.इसके बाद नबी को अपनी वैध पत्नियों के आलावा जिन स्त्रियों से शादी को हलाल किया गया उन्हें शब्द संख्या 11 और 12 में अरबी में “मलकत यमीनुक ( مَلَكَتْ يَمِينُكَ ) कहा गया है ,चालाक मुल्ले अंगरेजी में इसका अर्थ (possess from among the captives of war) यानी युद्ध में पकड़ी गयी रखैलें जिन्हे कुरान के हिंदी अनुवाद में “लौंडियाँ ” कहा गया है , ज़ाकिर नायक इसका अर्थ “right hand posesed ” करता है और ऐसी औरतों को माले ” गनीमत – غنيمة”यानी युद्ध में लूटा हुआ माल बताता है , यही कारण है कि मुस्लिम शासक युद्ध में धन के साथ औरतें भी लूट लेते थे , लेकिन ऐसे मुल्ले इस आयत के 14 वें शब्द “अफाअ ( أَفَاءَ) को दबा देते है , यह शब्द अरबी के ” फाअ (فاء ) से बना है , फाअ युद्ध किये बिना ही अल्लाह की कृपा से मिलने वाली वास्तु को कहा जाता है , यह शब्द गनीमत के बिल्कुल विपरीत है ,

  1. इसके बाद शब्द संख्या 17 से लेकर 38 तक नबी को रिश्ते की बहिनों और हिजरत करने वाली स्त्रिओं से शादी हलाल कर दी , इनका हिंदी अनुवाद सरल शब्दों में दिया गया है ,

5.इसके बाद आयत के शब्द संख्या 39 से 43 तक अत्यंत महत्वपूर्ण बात कही गयी है , जिसे मुसलमान जानबूझ कर अनदेखी कर देते हैं ,इस आयत अंतिम शब्दों में अरबी में ” कहा गया है “खालिसतन लक मिन दूनिल मोमिनीन (خَالِصَةً لَكَ مِنْ دُونِ الْمُؤْمِنِينَ )अर्थात खासकर तेरे लिए , ईमान वालों को छोड़ कर .(Purely for thee excluding other believers)

इस आयत से साफ़ साफ़ चलता है कि अल्लाह ने केवल नबी को ही रक्तसंबधी बहिनों से विवाह करने का विशेष अधिकार दिया था , मुसलमानों को नहीं , इसी लिए कुरान की सूरा -निसा 4:23 में रक्तसंबधी बहिनों से निकाह करने की साफ मनाही की गयी है ,

4-मुसलमानों में बहिनों से विवाह

निकट सम्बन्ध की बहिनों से शादी को अंग्रजी में “consanguinity” कहा जाता है ,

कुरान की इस आयत दिए गए स्पष्ट आदेश होने पर भी दुनिया के सभी देशों के मुस्लिम रसूल के विशेषाधिकार को छीन कर धड़ल्ले से अपनी रिश्ते की बहिनों को ही अपनी पत्नी बना लेते हैं , ऐसे लोगों की बहुत बड़ी संख्या है , विकी इस्लाम के अनुसार यह जानकारी ली गयी है .

1–Pakistan, 70 percent 2-Turkey 25-30 percent3- Arabic countries 34 percent 4- Algiers 46 percent 5–Bahrain, 33 percent 6– Egypt, 80 percent 7–Nubia (southern area in Egypt), 60 percent 8- Iraq, 64 percent 9-Jordan, 64 percent 10– Kuwait, 42 percent 11– Lebanon, 48 percent 12–Libya, 47 percent 13-Mauritania, 54 percent 14-Qatar, 67 percent 15-Saudi Arabia, 63 percent 16- Sudan, 40 percent 17-Syria, 39 percent 18-Tunisia, 54 percent 19-United Arabic Emirates and 45 percent20-Yeman 47percent

5-मुसलमान ही कुरान के विरोधी है

मुसलमानों का स्वभाव है कि जब कोई गैर मुस्लिम , रसूल , या कुरान के बारे में कोई प्रश्न उठाता है , या टिप्पणी कर देता है ,तो मुस्लमान जमीन आसमान एक कर दते हैं , और लडने पर आमादा हो जाते हैं , लेकिन जब निजी स्वार्थ का मामला होता है , उसी कुरान के आदेशों की धज्जियाँ उड़ा देने में कोई कसर नहीं छोड़ते . यह कुरान का गलत अर्थ , या व्याख्या करने का मामला नहीं है , जैसे गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है , यह तो खुले आम कुरान ( अल्लाह ) के आदेशों का उललंघन और रसूल के अधिकारों में अतिक्रमण है . जो गुनाहे अजीम है ,

6-हम क्या करें ?

इसलिए इस लेख के माध्यम से हमारी मांग है कि अदालत मुसलमानों के ऐसे रक्तसंबधी सभी निकाहों को अवैध घोषित करके अमान्य कर दे , और ऐसे अवैध निकाहों से पैदा हुए बच्चो को हरामी होने से पिता की संपत्ति का वारिस नहीं माना जाये , और बच्चों के माँ बाप की जायदाद सरकार के खजाने में जमा करा दी जाये , कानून के जानकर इस मुद्दे पर जनहित याचिका जरूर लगाएं , हमने तो सन्दर्भ सहित पुरे सबूत उपलब्ध कर दिए , इनका कोई भी खंडन नहीं कर सकेगा , चाहे जाकिर नायक की पूरी गैंग क्यों न आ जाए

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ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

प्रस्तुतकर्ता सत्यवादी पर 10:29 am

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