आंखें फड़कना: इससे जुड़े अंधविश्वास
डॉ डी के गर्ग
प्राचलित अंधविस्वास :
ज्योतिषि कहते है कि महिलाओं की बाईं आंख फड़कना शुभ है।ये कुछ अच्छा होने की तरफ इशारा करता है। जैसे कि उस महिला को धन लाभ होने वाला है।
इसके विपरीत फलित ज्योतिष के अनुसार महिलाओं की दाईं आंख का फड़कना शुभ संकेत नहीं माना जाता है। दाईं आंख फड़कने का मतलब होता है कि घर परिवार में कोई विवाद उत्पन्न हो सकता है या फिर किसी काम में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
और यदि किसी महिला की दोनों आंखें एक साथ फड़क रही हैं, तो इसका अर्थ है कि आपकी अपने किसी पुराने मित्र या संबंधी से मुलाकात होने वाली है। दोनों आंखों का एक साथ फड़कना महिला और पुरुष दोनों के लिए ही एक जैसे संकेत देता है।
पुरुषों की बाईं आंख फड़कने का अर्थ हैं कि किसी दुश्मन से लड़ाई हो सकती है या फिर दुश्मनी और बढ़ सकती है। और दाई आंख किसी शुभ घटना का संकेत है।
वास्तविकता का विष्लेषण :
शारीरिक अंगों के साथ होने वाली हर छोटी से छोटी एक्टिविटी को
अंधविश्वास के साथ जोड़कर नही देखा जाना चाहिए। इंसान की आंख फड़कना चाहे दाई हो या बाई या दोनो इसका वैज्ञानिक कारण समझना चाहिए ।
आइए आपको बताते हैं कि आखिर इंसान की आंख क्यों फड़कती है और कब डॉक्टर से इसकी जांच करवानी चाहिए.
*आंख फड़ने की असल वजह- डॉक्टर्स के अनुसार ब्रेन या नर्व डिसॉर्डर के चलते भी इंसान की आंख फड़क सकती है. इसमें बैन पल्सी, डिस्टोनिया, सर्विकलडिस्टोनिया, मल्टीपल सेलोरोसिस और पार्किन्सन जैसे विकार शामिल हैं.जबकि लाइफस्टाइल में कुछ खामियों की वजह से भी लोगों को ऐसी दिक्कतें हो सकती हैं. जिनमे तनाव , अनिंद्रा ,आंखो की कमजोरी आदि प्रमुख है ।
अगर आपकी आंख भी लगातार फड़कती है तो इसका मुख्य कारण
पलक की मांसपेशियों में ऐंठन की वजह से है। आमतौर पर इंसान की ऊपरी पलक पर ही इसका असर दिखाई देता है. हालांकि ये नीचे और ऊपर दोनों पलकों में हो सकता है. मेडिकल में इसकी तीन अलग-अलग कंडीशन होती हैं- मायोकेमिया, ब्लेफेरोस्पाज्म और हेमीफेशियल स्पाज्म.
मायोकेमिया- आंख फड़कने का यह सबसे सामान्य कारण है जो कि हमारे लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ है. मायोकेमिया मांसपेशियों की सामान्य सिकुड़न के कारण होता है.इससे आंख की नीचे वाली पलक पर ज्यादा असर पड़ता है.ये बहुत थोड़े समय के लिए होता है और लाइफस्टाइल में बदलाव से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.
ब्लेफेरोस्पाज्म और हेमीफेशियल स्पाज्म- ब्लेफेरोस्पाज्म और हेमीफेशियल स्पाज्म दोनों बेहद गंभीर मेडिकल कंडीशन्स में से एक हैं जो अनुवांशिक कारणों से भी भी जुड़ी हो सकती है. इस कंडीशन में मरीज को डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है.
इस मामले में ब्लेफेरोस्पाज्म तो और भी ज्यादा गंभीर है, जिसमें इंसान की आंख पर कुछ सेकंड, मिनट या कुछ घंटों तक फर्क पड़ सकता है. इसमें ऐंठन इतनी ज्यादा तेज होती है कि इंसान की आंख तक बंद हो सकती है. इसमें लोग चाहकर भी आंख फड़कने की एक्टिविटी को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं.
नींद की कमी-आई स्ट्रेन- अगर आपके शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पा रहा है तो ये भी आंख फड़कने की बड़ी वजह हो सकता है. डॉक्टर्स कहते हैं कि सेहतमंद रहने के लिए इंसान को कम से कम रोजाना 7-9 घंटे सोना चाहिए. इसलिए दिन के 24 घंटे में से 7-9 घंटे अपनी बॉडी को स्विच ऑफ मोड पर ही रखें.
आप विज्ञान पर विश्वास करे ज्यादा तत्व ज्ञानी ना बने आंखो की पर्याप्त देखभाल जरूरी है,आयुर्वेद में नेत्र तर्पण इसका सबसे अच्छा उपचार है।