परम पिता परमात्मा को पाना है, तो उसे खोजो मत,उसमें खो जाओ :-
परम पिता परमात्मा को पाना है, तो उसे खोजो मत,उसमें खो जाओ :-
चराचर में हरि रम रहा,
चिन्तन कर तू रोज।
खो-जा उसके ध्यान में,
मत कर उसकी खोज॥2320॥
वह कौन है? जिसे ‘वेद’ वे रसो वै सः कहा:-
माया- जीव का अधिपति,
जग में है भगवान।
रसों का रस वह ब्रह्म है,
लगा उसी में ध्यान॥2321॥
चेहरे पर सौम्यता कब आती है :-
अकड़ से पकड़ छूटती,
कीमत घटती जाय।
यजन-भजन और नमन से,
सौम्यता आती जाय॥2423॥
विपत्तियाँ कभी ऐसा भी करती हैं : –
कभी-कभी तूफान भी,
मार्ग प्रशस्त कर जाय।
ध्रुव और प्रहलाद को,
हरि से दिया मिलाय॥2323॥
आन्तरिक और वाह् य शक्तियाँ ही मनुष्य की रक्षा करती हैं:-
आन्तरिक – वाह् य शक्तियों,
से नर रक्षित होय।
स्रष्टा की सौगात ये,
मत इन्हें वृथा खोया॥2324॥
भक्त को बृह्यानन्द की रसानुभूति कब होती है :-
आत्मज्ञान तो सहज है,
मुश्किल ब्रह्मानन्द।
प्रभु-कृपा से ही मिले,
भक्त को ब्रह्यानन्द॥2325॥
वो कौन हैं, जो बिना गुरु के आविष्कार करते हैं :
प्रभु-प्रेरणा से उठे,
मन में नए विचार ।
बिना गुरु के कर गए,
जगहित आविष्कार॥2326॥
उदाहणार्थ :- मंत्र – दृष्टा ऋषि, कवि, लेखक, साहित्यकार संगीतकार जो नई-नई धुन निकालते है। वास्तुकार जिन्होंने विश्व के सात आश्चर्यों को डिजाइन किया, जैसे एफिल टावर को डिजाइन करने वाला गुस्ताख एफ़िल,नई दुनियाँ की खोज करने वाला कोलम्बस वास्कोडिगामा, चाँद पर पहुँचने वाला नील आर्म स्ट्रांग, इसके अतिरिक्त रूसी अन्तरिक्ष यात्री यूरी गगारिन, हिमालम शिखर पर पहुँचने वाला प्रथम पर्वतारोही एडमन्ड हिलेरी,ऐसे भी साहसी व्यक्ति हुए हैं, जो सागर की पैंदी में पहुँचे और ज्वालामुखी के गर्मी में उतरे, महर्षि भारद्वाज को विमान विद्या का किसने ज्ञान दिया, अति आधुनिक वायुयान,जलयान,पनडुब्बी,अन्तरिक्ष- यान बनाने वाले, मोटर-कार, बुल्ट ट्रेन का द्रुतगामी इंजिन बनाने वाले, समस्त सृष्टि का विनाश करने वाले परमाणु बम हाईड्रोजन बम,
चिकित्सा के क्षेत्र में क्षेत्र में ह्रदय, मस्तिष्क का किडनी, लीवर का प्रत्यारोपण करने वाले चिकित्सक अथवा वैज्ञानिक,आयुर्वेद के जनक धनवन्तरि ,शल्य चिकित्सा के जनक अश्विनी कुमारों को किसने ज्ञान दिया था ?
समय-समय पर धर्म प्रचारक, समाज सुधारक,युगप्रवर्तक का प्रादुर्भाव हुआ जैसे- जगद्गुरु शंकराचार्य,कुमारिल भट्ट, महर्षि देव दयानन्द, गुरू बिरजानन्द, चेतन्य महाप्रभु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, गुरु नानक, सन्त रविदास, कबीरदास मीरा बाई, शहजोबाई इत्यादि । कहने का तात्पर्य यह है कि इस संसार में लोकोपकार करने अनेकों महान विभूतियों का आविर्भाव हुआ, जो प्रभु-प्रेरणा से अप्रतिम अद्भुत और अद्भुत कार्य कर गए।
क्रमशः