वीर सावरकर फाउंडेशन ने दिया प्रोफेसर कपिल कुमार को 2023 का वीर सावरकर पुरस्कार
कटक ( विशेष संवाददाता ) यहां पर क्रांति वीर सावरकर जी की जयंती के अवसर पर आयोजित किए गए एक विशेष कार्यक्रम में 28 मई, 2023, को कटक के शहीद भवन में वीर सावरकर फाउंडेशन ने इस बार का वीर सावरकर पुरुस्कार प्रो.कपिल कुमार को दिया गया। ज्ञात रहे कि यह संस्था प्रतिवर्ष किसी ना किसी ऐसी हस्ती को यह सम्मान देती है जो सावरकर वादी विचारधारा के अनुसार राष्ट्र सेवा में बढ़-चढ़कर भाग ले रही होती है।
इस अवसर पर सावरकरवादी नेता श्याम सुंदर पोद्दार ने कहा कि सावरकर जीवन भर राष्ट्र की उन्नति के लिए और हिंदू समाज की सेवा के लिए कार्य करते रहे। उन्होंने हर उस व्यक्ति का विरोध किया जो हिंदी हिंदू हिंदुस्तान का विरोधी था। उन्होंने हिंदू को इस देश की राष्ट्रीयता से जोड़कर प्रस्तुत किया। उनके इस प्रयास का गांधी जैसे लोगों ने विरोध किया परंतु उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारी का निर्माण किया और देश को आजाद कराने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई।
इस संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री विजय खंडेलवाल अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश क्रांतिकारियों के कारण आजाद हुआ था और आज हम अपने इस फाउंडेशन के माध्यम से क्रांतिकारियों की पवित्र भावना का आदर करते हुए कार्य कर रहे हैं। इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर हम उन राष्ट्रवादी प्रतिभाओं को सम्मानित करने का कार्य कर रहे हैं जो सावरकर की विचारधारा में विश्वास रखते हुए देश की उन्नति में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहे हैं।
प्रोफेसर कपिल कुमार ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्र राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता के लिए समर्पित रहे सावरकर हम सब की प्रेरणा के स्रोत हैं । उन्होंने अपने जीवन काल में हिंदी हिंदू हिंदुस्तान का नारा दिया था और उनकी यह स्पष्ट मान्यता थी कि राजनीति का हिंदूकरण और हिंदुओं का सैनिकीकरण किया जाना चाहिए। जिससे प्रत्येक प्रकार के संकट से हिंदू जाति और देश को बचाया जा सके। इस अवसर पर किसन लाल भरतिया,अध्यक्ष,प्रो.कपिल कुमार,इतिहासकार, नथमल चनानी,प्रधान वक्ता,अनिल धार, इंटेक, नंद किशोर जोशी ,कार्यक्रम के संयोजक तथा स्वामीजी ने भी अपने ओजस्वी विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत गौर गोपाल महंती के बीज भाषण से हुई,। भारत के क्रांतिकारी आंदोलन में सावरकर जी की भूमिका पर प्रकाश डाला और बीज रूप में वक्ताओं के लिए एक स्पष्ट लाइन देने का सराहनीय कार्य किया। स्वागत भाषण श्री अनिल के द्वारा प्रस्तुत किया गया। मंचासीन अतिथियों ने दीप जला कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
अनुराधा मोदी ने वंदेमातरम गीत गाया।इसके बाद अतिथियों का स्वागत किया गया।इसके बाद प्रो.कपिल कुमार को इस बार का वीर सावरकर पुरुस्कार नंद किशोर जोशी, कार्यक्रम संयोजक ने प्रदान किया किया। नथमल चनानी ने प्रधान वक्ता के रूप में भाषण देते हुए कहा कि देश क्रांति की पवित्र भावना से आगे बढ़ सकता जाद हुआ था और बलिदानी भावना के कारण हम अपना अस्तित्व बचाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि क्रांति और बलिदान का भारत की हिंदू जाति का यह इतिहास हमारी सबसे बड़ी धरोहर है, जिसे सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।
श्याम सुंदर पोद्दार के सारगर्भित भाषण को जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ। उन्होंने इतिहास पर प्रकाश डालने के साथ-साथ अनेक बिंदुओं को छूने का भी सराहनीय प्रयास किया जो जनसाधारण की नजरों से ओझल किए गए हैं।
अध्यक्षीय वक्तव्य किशन लाल भरतीया, संचालन अनिल अग्रवाल तथा धन्यवाद ज्ञापन उषा लाड़सरिया ने दिया। इस अवसर पर कटक का प्रबुद्ध वर्ग उपस्थित था।