*सत्य की खोज* *गांधारी के १०० बच्चों का सच*
Dr D K Garg
प्रचलित कथा – महाभारत के अनुसार कौरव 100 भाई और एक बहन थे। प्रचलित कथा में ही इस पर दो भिन्न-भिन्न राय है और दोनों ही अपनी राय को सत्य बताते हैं-
1. पहली राय- गांधारी कुँवारेपन से ही भगवान शिव की भक्त थीं, उसकी शिव भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे 100 पुत्रों की विवाहित होने उपरांत माता होने का आशीर्वाद एवं वरदान दिया था। इसलिए गांधारी को १०० पुत्र और एक पुत्री हुई।
२. दूसरी राय- कुन्ती के पुत्र युधिष्ठिर के जन्म होने पर धृतराष्ट्र की पत्नी गान्धारी के हृदय में भी पुत्रवती होने की लालसा जागी तथा गान्धारी ने वेद व्यास जी से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर लिया।
गर्भ धारण के पश्चात् दो वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी जब पुत्र का जन्म नहीं हुआ तो क्षोभवश गान्धारी ने अपने पेट में मुक्का मार कर अपना गर्भ गिरा दिया। जब इस गिरे हुए गर्भ को वह फेंकने जा रही थी तो योगबल से वेद व्यास ने इस घटना को तत्काल जान लिया। वे गान्धारी के पास आकर बोले, ‘‘गान्धारी तूने बहुत गलत किया। मेरा दिया हुआ वर कभी मिथ्या नहीं जाता अब तुम शीघ्र सौ कुण्ड तैयार करके उनमें घृत भरवा दो।‘‘
गान्धारी ने उनकी आज्ञानुसार सौ कुण्ड बनवा दिये। वेदव्यास ने गान्धारी के गर्भ से निकले मांसपिण्ड पर अभिमन्त्रित जल छिड़का जिससे उस पिण्ड के सौ टुकड़े हो गये। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गान्धारी के बनवाये सौ कुण्डों में रखवा दिया और उन कुण्डों को दो वर्ष पश्चात् खोलने का आदेश दे अपने आश्रम चले गये।
दो वर्ष बाद फिर उन कुण्डों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र एवं दुश्शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ।
३. एक अन्य राय जो आजकल ही शुरू हुई है- उस समय विज्ञानं अपनी तरक्की पर था और १०० पुत्रांे के लिए गांधारी ने टेस्ट ट्यूब तकनीक (प्टथ्) की भांति किसी वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग किया।
विश्लेषण– एक झूठ को बोलने, लिखने के लिए 100 और झूठ और बोलने व लिखने पड़ते हैं ऐसा ही इस कथा में हुआ है और यदि कोई झूठ बार-बार बोला जाये तो लोग उस पर विस्वास कर लेते हैं चाहे कितनी बेहूदी बात क्यों न हो। सच जानने के लिए विज्ञान के साथ-साथ सच्ची महाभारत पढ़ो ,मनन करो और सत्य जानो क्योंकि इन कथाओं का कोई प्रमाण तो होता नहीं है।
वैसे जब मैने ये सुना कि दुर्योधन और उसके 99 भाई मटके से पैदा हुये थे, तब से मेरा भरोसा ऐसे ग्रंथों से पर बिल्कुल ही समाप्त हो गया और पहले सोचा इस विषय पर विश्लेषण करने में अपना समय क्यों बर्बाद करूँ लेकिन रहा नहीं गया और विचार के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि ऐसी गप कथाओं के विरुद्ध जाग्रति लानी चाहिए ताकि कोई भी झूठे साहित्य और झूठ भरे प्रवचनों पर विस्वास ना करे और ऐसे प्रवचन और साहित्य से दूर रहे तो अच्छा है।
प्रचलित कथानक पर विचार- ये दोनों मान्यताऐं ही अलग-अलग और एक दूसरे के विपरीत है और कोई भी प्रामाणिक नहीं है और न ही वैज्ञानिक। आज विज्ञान ने काफी प्रगति की है और शरीर विज्ञान की अधिकांश जटिलताओं को सुलझा दिया है। ईश्वर के नियम अटल हैं उनमें कभी कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। गर्भ धारण, गर्भ का समय और गर्भ में बच्चे का विकास आदि की निश्चित प्रक्रिया है, इसमें तुकबाजी की कहानी नहीं चल सकती।
आशीर्वाद से गर्भ ठहर जाना, 2 साल तक भ्रूण का विकास नहीं होना और मुक्का मारकर गर्भ स्वयं गिरा लेना, फिर गर्भ गिरने के बाद फेंकने जाना, भ्रूण के 100 टुकड़े करके घड़े मंे डाल देना आदि महागप नहीं तो क्या है?
1. ये कहना कि शिव के आशीर्वाद से १०० पुत्रांे का जन्म हुआः यह बात तार्किक और वैज्ञानिक तौर पर मानने योग्य नहीं है। साधारणतयः मनुष्य की आयु 100 साल है, जिसको शास्त्रों मे 4 हिस्सों मे बाँटा गया है जिसमें 25 वर्ष की आयु तक ब्रह्मचर्य, फिर 50 तक गृहस्थ, इसके बाद 75 तक वानप्रस्थ और फिर सन्यास।
यद्यपि सभी मनुष्य १०० वर्ष की आयु नहीं प्राप्त कर पाते वैसे योग आदि द्वारा इससे ज्यादा आयु तक जीवित रहने के भी प्रमाण हैं जैसे कि कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण इस धरा पर १२५ वर्ष रहे थे।
अगर गांधारी ने प्रत्येक बच्चा 12 महीने के अन्तराल में पैदा किया तो सौ पुत्र पैदा करने मे 100 साल लगेंगे। एक महिला कम से कम 12 वर्ष की उम्र के बाद ही माँ बनने की क्षमता रखती है तो क्या गांधारी 112 वर्ष की उम्र तक बच्चे पैदा कर रही थी?
2. विज्ञान मानता है कि महिला को कम से कम 10 वर्ष की उम्र में माहवारी शुरू होती है और 50 वर्ष तक सूख जाती है, जब महिला 18 से 35 वर्ष के मध्य होती है तो उसे 5 से 7 दिनों ऋतुकाल रहता है, पर 35 की उम्र पार होते ही 2 से 3 दिन ही रह जाता है। मतलब साफ है कि 40 की उम्र तक ही महिला के गर्भाशय मे अण्डे तैयार होते है, और इसी उम्र तक पैदा हुये बच्चे स्वस्थ और निरोग होते है और 50 वर्ष की उम्र के बाद हार्मोंस क्षीण हो जाते हैं अतः महिला बच्चों को स्तनपान कराने मंे भी सक्षम नही रहती।
अब गांधारी भी एक महिला ही थी, कोई मशीन नही, जिसने अपने जीवन मे 101 बच्चो (एक पुत्री दुश्शाला) को जन्म दिया, जिसे मानना मुश्किल ही है।
3. वैज्ञानिक तथ्य – डॉक्टरों ने इसका कारण लिथोपेडियन बताया है कि जब प्रेग्नेंसी गर्भाश्य के बदले पेट में बनती है। आमतौर पर जब प्रेग्नेंसी में खून की आपूर्ति नहीं होती है तो भ्रूण विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण शरीर के पास भ्रूण को बाहर निकालने का कोई तरीका नहीं होता है, जिसके बाद शरीर उसी प्रतिरक्षा प्रक्रिया का उपयोग करके भ्रूण को धीरे-धीरे पत्थर यानी स्टोन में बदल देता है, इसीलिए महिला के पेट में मिले भ्रूण ठीक से नहीं बढ़ता और इसको ‘स्टोन बेबी‘ कहते हैं।
व्यास जी का आशीर्वाद
1. व्यास ने गांधारी को सौ पुत्रों का आशीर्वाद दिया था: प्रश्न उठता है कि ऐसा आशीर्वाद क्यों दिया? क्या गांधारी कोई मशीन थी? क्या इतिहास में ऐसा कोई अन्य उदाहरण मिलता है? क्या विद्वान व्यास जी विज्ञानं से और प्रकृति से बिल्कुल नाता नहीं रखते थे।
2. दो वर्ष गर्भ रहने के बाद गांधारी ने एक लोहे के पिण्ड को जन्म दिया- मनुष्य के लिए गर्भ काल ९ माह का है। वैसे बच्चा ७ से १० महः तक भी जन्म ले सकता है जो अप्राकृतिक होगा। उस समय जब व्यास जी जैसे विद्वान थे तो २ वर्ष का समय क्यों लगा? ये बिलकुल असंभव है और जब विज्ञान भी चरम सीमा पर बताया जाता है तो चिकित्सा सेवा क्यों नहीं ली? इसका मतलब एक कहानी बनायी गयीं हंै।
3. गांधारी घबराकर पिण्ड को फंेकने जा रही थी तभी व्यास जी ने आकर उसे रोका और उस पिण्ड के सौ टुकड़े करवा कर सौ मटको मे रखवा दिया- क्या व्यास जी गांधारी के महल के सामने रहते थे जो तुरंत पहुँच गए और गांधारी खेतों तक फेंकने नहीं जा पायी। क्या महारानी अकेली रहती थीं कि कोई इस घटना का प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। ऐसा कोई योग नहीं सुना कभी किसी भी शास्त्र में की गांधारी का आभास हो जाये और तुरंत कई किलोमीटर की यात्रा करके खाली बैठे व्यास जी वह पहुँच जायंे।
यदि व्यास जी इतने महान संत थे तो गांधारी के भ्रूण से ही सन्तान को जन्म क्यों नहीं कराया? गर्भ गिराने की नौबत नहीं आती।
4. दो वर्ष बाद उन्ही मटको मे से गांधारी के सौ पुत्र पैदा हुऐ- माना पहले भी विज्ञानं था और पूर्वज विद्वान थे लेकिन आज भी विज्ञानं ने मानव रचना का सार ढूँढ लिया है। भ्रूण गर्भ में ही पनप सकता है और उसके बाहर तो समाप्त हो जाता है, सड़ जाता है। यहाँ महागप का प्रयोग हुआ है कि उन्ही मटकों मे से गांधारी के सौ पुत्र पैदा हुऐ।
5. एक और प्रश्न १०० बच्चों को माँ का दूध कैसे मिला होगा, माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत और जीवन है और माँ ने कैसे लालन पालन किया होगा?
इस तथ्यों पर काल्पनिक कथा लिखने वाले ने ध्यान नहीं दिया यहाँ झूठ पकडा गया कि इस बात पर तो कोई भी विश्वास नही करेगा, स्पष्ट है कि गांधारी के सौ पुत्रो वाली कहानी सिर्फ गढ़ी गयी है। वैसे भी द्वैपायन व्यास ने पूर्वकाल में महाभारत में 8 हजार श्लोक ही लिखे थे, जो आज बढ़कर लाखों हो गये हैं, तो सम्भव है कि ये बात भी झूठी ही हो।
3. नियोग द्वारा संतान उत्पन्न करना– आजकल एक अन्य तर्क दिया जाता है कि हो सकता है गांधारी ने नियोग या प्टथ् से बच्चे पैदा किये हो। लेकिन ये तर्क किसी भी पौराणिक शास्त्र में नहीं है। केवल नियोग का उल्लेख है। नियोग द्वारा संतान पैदा करने के लिए कुछ नियम भी है और इसके द्वारा १-२ बच्चो के जन्म का नियम है ,लेकिन १०० बच्चो की बात संभव नहीं क्योकि इसके लिए १०० वर्ष तक बच्चे पैदा करने होंगे। जैसा की ऊपर समझाया है की किसी भी महिला के लिए असंभव है।
किसी भी वैदिक या पौराणिक साहित्य में उपरोक्त प्रचलित कथा के अतिरिक्त अन्य विधि द्वारा १०० बच्चे पैदा करने की बात नहीं मिलती। अतः ये भी गलत है कि १०० बच्चे प्टथ् से या नियोग द्वारा पैदा हुए हो
वास्तविकता क्या है?: कहते है कि कुछ तो बात रही होगी जो ये कथानक सामने आया है। हाँ बिल्कुल गांधारी के १०० बच्चे थे। जैसे हमारे समाज में, परिवारों में मॉसी, ताई, मामी, चाची यहाँ तक की भाभी को भी माँ सामान माना गया है इसीलिए गर्व से संयुक्त परिवारों में ये कहा जाता है जैसे की हम २३ भाई और १२ बहिने है। ऐसी तर्ज पर गांधारी के भी १०० पुत्र थे, की बात कही जा सकती है जो उसको माँ सामान , मॉसी के रूप में देखते हो अथवा ये भी हो सकता है की गांधारी की बच्चो में विशेष रूचि रहती हो और राजपथ से आँखे बंदकर वह बच्चो को प्यार देने ,उनके साथ समय व्यतीत करने में ज्यादा रूचि लेती हो इसलिए उसे सैकड़ो बच्चो की माँ कहा गया , आज भी ऐसा होता है जैसे मदर टेर्रेसा ,और गुरुकुलों ,अनाथालयो में बच्चे केयर टेकर को माँ कहकर बुलाते है तो इसका मतलब ये नहीं की वह उनकी वास्तविक जेनेटिक माँ है। गांधारी के विषय में ये अलंकारिक भाषा का प्रयोग हुआ है। ये तर्क विश्वास करने योग्य है।