कमलेश पांडे
चुनाव आयोग ने वर्ष 2023 के पूर्वार्द्ध में ही अपनी राष्ट्रीय पार्टी की लिस्ट को अद्यतन/अपडेट किया है जिसमें दिल्ली-एनसीआर की नवोदित पार्टी आप (आम आदमी पार्टी) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस पार्टी के सर्वेसर्वा हैं।
किसी भी लोकतांत्रिक देश में सत्ता और व्यवस्था के सम्यक संचालन में राजनीतिक दलों की अग्रणी और महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सुचारू सिस्टम के लिए राजनीतिक दल और उनका गठबंधन इंजन के समान होते हैं। वैसे तो कहीं एक दलीय व्यवस्था होती है तो कहीं द्विदलीय व्यवस्था, लेकिन भारत जैसे बड़े और अपेक्षाकृत सफल लोकतांत्रिक देश में बहुदलीय व्यवस्था कायम है, जिसके अपने गुण-दोष हैं। इसलिए यहां पर हम आपको बताएंगे कि किसी पार्टी को कैसे मिलता है राष्ट्रीय या राज्य पार्टी का दर्जा और फिर किस किस तरह की सहूलियतें उन्हें मिलती हैं, ताकि भारतीय लोकतंत्र को और अधिक कारगर बनाने में वो अपने हिस्से का योगदान दे सकें।
यहां की संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक, भारत का चुनाव आयोग कतिपय वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों और राज्य स्तर के राजनीतिक पार्टियों को सम्बन्धित स्तरीय दल की मान्यता प्रदान करता है। जानकार बताते हैं कि एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को एक आरक्षित पार्टी प्रतीक (चुनाव सिंबल), राज्य द्वारा संचालित टेलीविजन और रेडियो पर मुफ्त प्रसारण समय, चुनाव की तारीखों की सेटिंग/निर्धारण में परामर्श और चुनावी नियमों तथा विनियमों को स्थापित करने में इनपुट देने जैसे विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।
बहरहाल, चुनाव आयोग ने वर्ष 2023 के पूर्वार्द्ध में ही अपनी राष्ट्रीय पार्टी की लिस्ट को अद्यतन/अपडेट किया है जिसमें दिल्ली-एनसीआर की नवोदित पार्टी आप (आम आदमी पार्टी) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस पार्टी के सर्वेसर्वा हैं। वहीं निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करने के चलते कुछ राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय पार्टी होने का तगमा/तमगा छिन भी गया है। सरल शब्दों में कहें तो चुनाव आयोग ने बीते महीनों में राष्ट्रीय पार्टी की अपनी सूची/लिस्ट को अपडेट करते हुए जहां दिल्ली के मुख्ममंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया है। वहीं, कुछ पार्टियों से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है, क्योंकि उनका चुनावी प्रदर्शन निर्धारित मानदंडों से कमतर रहा।
इसलिए हमलोग यहां पर विस्तार पूर्वक यह जानने/समझने का प्रयत्न करेंगे कि आखिर किस प्रकार से कोई राजनीतिक पार्टी, अपने देश की राष्ट्रीय पार्टी बनती है और किस किस प्रकार की शर्तों को उन्हें पूरा करना पड़ता है। वहीं, राष्ट्रीय पार्टी बनने पर एक पार्टी को किस किस तरह की सुविधाएं मिलती हैं। साथ ही, राज्य स्तर की पार्टी बनने के लिए जरूरी शर्तों के बारे में भी अद्यतन जानकारी हासिल करेंगे।
किसी भी राजनीतिक दल को ऐसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
भारत चुनाव आयोग के चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक, किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा तभी मिल सकता है, जब वह विभिन्न तीन शर्तों में से किसी भी एक शर्त को पूरा करती हो। वो शर्तें यहां उल्लिखित हैं- पहली शर्त यह कि पार्टी के पास कम से कम छह फीसदी मतदान होना चाहिए और चार या इससे अधिक राज्यों में विधानसभा या लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए वोटिंग हुई हो। इसके साथ ही पार्टी के कम से कम चार सदस्य लोकसभा में होने चाहिए। दूसरी शर्त यह कि पार्टी के पास लोकसभा में दो फीसदी सीटें होनी चाहिए। वहीं, पार्टी के सांसद तीन या इससे अधिक राज्यों से होने चाहिए। तीसरी शर्त यह कि राजनीतिक पार्टी का कम से कम चार राज्य में स्टेट पार्टी का दर्जा होना चाहिए।
किसी भी राजनीतिक दल को ऐसे मिलता है राज्य पार्टी का दर्जा
वहीं, किसी भी पार्टी को राज्य स्तर का दर्जा तभी मिल सकता है, जब वह विभिन्न पांच शर्तों में से किसी भी एक शर्त को पूरा करती हो। वो शर्तें यहां उल्लिखित हैं-
पहली शर्त यह कि पार्टी को कम से कम छह फीसदी मतदान मिला हो यानी मत हासिल हुआ हो। साथ ही, सम्बन्धित राज्य की विधानसभा में कम से कम दो सीटें हो। दूसरी शर्त यह कि पार्टी को छह फीसदी वोट मिला हो और लोकसभा में एक सांसद यानी लोकसभा सदस्य हो। तीसरी शर्त यह कि विधानसभा में कम से कम तीन फीसदी वोट हो और कम से कम तीन विधायक होने चाहिए। चौथी शर्त यह कि 25 विधायकों पर कम से कम एक लोकसभा सदस्य हो। पांचवी शर्त यह कि राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव में कम से कम 8 फीसदी मतदान उसे हासिल होना चाहिए।
जानिए किसी भी दल के राष्ट्रीय पार्टी बनने पर मिलती हैं ये-ये सुविधाएं
जब भी किसी दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है, वैसे ही पूरे देश के लिए उसका एक कॉमन चुनाव चिन्ह हो जाता है, जिसे किसी भी राज्य में कोई दूसरी पार्टी इस्तेमाल नहीं कर सकती है। इसके अलावा, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने पर राजनीतिक पार्टी को नई दिल्ली में पार्टी कार्यालय स्थापित करने के लिए भूमि आवंटन होता है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न लोकसभा या विधानसभा चुनाव यानी राज्य और राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में उस पार्टी के द्वारा 40 स्टार प्रचाकर को रखा जा सकता है, जबकि राज्य स्तर की बाकी पार्टियां महज 20 स्टार प्रचारक को ही अपने चुनाव अभियान में रख सकती हैं। खास बात यह कि चुनाव के दौरान स्टार प्रचारक की यात्रा का खर्च पार्टी के अन्य उम्मीदवारों के खर्च में नहीं जुड़ता है। वहीं, चुनाव से पहले पार्टी को रेडियो और टेलीविजन पर फ्री एयर टाइम मिल जाता है, जिससे पार्टी की बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। इन सुविधाओं के लाभ उठाकर ही कोई भी राष्ट्रीय पार्टी या राज्यीय पार्टी अन्य निबंधित दलों पर चुनावी रणनीति में भारी पड़ती है और चुनावी बाजी मार ले जाती है।