गांधी मुस्लिम समर्थक क्यों थे?* (प्रो. के एस नारायणाचार्य ने अपने पुस्तक में कुछ संकेत दिए हैं।)
सभी जानते हैं कि नेहरू और इंदिरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे। लेकिन कम ही लोग गांधीजी की जातिगत जड़ों को जानते हैं।
आइए यहां एक नजर डालते हैं कि वे क्या कारण देते हैं।
1. मोहनदास गांधी करमचंद गांधी की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे।
पुतलीबाई मूल रूप से प्रणामी संप्रदाय की थीं। यह प्रणामी संप्रदाय हिंदू भेष में एक इस्लामी संगठन है।
2. घोष की पुस्तक “द कुरान एंड द काफिर” में भी गांधी की उत्पत्ति का उल्लेख है।
गांधीजी के पिता करमचंद एक मुस्लिम जमींदार के अधीन काम करते थे। एक बार उसने अपने जमींदार के घर से पैसे चुराए और भाग गया। फिर मुस्लिम जमींदार करमचंद की चौथी पत्नी पुतलीबाई को अपने घर ले गया और उसे अपनी पत्नी बना लिया। मोहनदास के जन्म के समय करमचंद तीन साल तक छिपे रहे।
- गांधीजी का जन्म और पालन- पोषण गुजराती मुसलमानों के बीच हुआ था।
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कॉलेज (लंदन लॉ कॉलेज) तक की उनकी स्कूली शिक्षा का सारा खर्च उनके मुस्लिम पिता ने उठाया !!
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दक्षिण अफ्रीका में गांधी की कानूनी प्रक्टिस ओर वकालत करवाने वाले भी मुसलमान थे !!
- लंदन में गांधी अंजुमन-ए- इस्लामिया संस्थान के भागीदार थे
इसलिए, यह नोट करना आश्चर्यजनक नहीं है कि गांधीजी का झुकाव मुस्लिम समर्थक था।
उनका आखिरी स्टैंड था:✒️
“भले ही हिंदुओं को मुसलमानों द्वारा मार दिया जाए, हिंदु चुप रहें उनसे नाराज न हों। हमें मौत से नहीं डरना चाहिए। आइए हम एक वीर मौत मरें।” इसका क्या मतलब है?
स्वतंत्रता संग्राम के किसी भी चरण में गांधीजी ने हिंदुत्ववादी रुख नहीं अपनाया। वह मुसलमानों के पक्ष में बोलते रहे।
जब भगत सिंह और अन्य देशभक्तों को फाँसी दी गई तो गांधीजी ने उन्हें फांसी न देने की याचिका पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
हमें ध्यान देना चाहिए कि ऐनी बेसेंट ने खुद इसकी निंदा की थी..:
- स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल रशीद का बचाव किया…
- तुर्की में मुस्लिम खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया था जिससे डा हेगड़ेवार ने गांधी से नाता तोड़ लिया और आर.एस.एस. की स्थापना की..!
- सरदार वल्लभभाई पटेल के पास पूर्ण बहुमत होने पर भी गांधी ने मुस्लिम नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया..!!!
- पाकिस्तान को 55 करोड़ देने के लिए अनशन किया..!
- हमेशा मुसलमानों का तुष्टीकरण किया ओर हिंदुओं का अपमान किया और हिन्दुओं को छोटे दर्जे का नागरिक माना.. जो आज भी उसके गांधीवादी राजनीतिज्ञों द्वारा जारी रखा जा रहा है…!
मोहनदास करमचंद और जवाहर लाल और ऊनका परिवार,वंशावली देखे शुद्ध सनातनी हिन्दू नही है,मुस्लिम है,अलतकिया भी हो सकता है ईनके हिन्दू नाम व स्वयं को प्रचारित करने का कारण,जानकारी होती जाएगी तो और स्पष्ट होगा।
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