मान्यवर,
गडकरी जी, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में आप केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री के जिस महत्वपूर्ण मंत्रालय को देख रहे हैं वह सीधे जनता से जुड़ा हुआ मंत्रालय है। प्रधानमंत्री मोदी और आप जैसे उनके विश्वसनीय मंत्री इस समय भ्रष्टाचार के समूलोच्छेदन के लिए कमर कसे हुए हैं। उसके कुछ अच्छे परिणाम आ भी रहे हैं। अनेकों कष्ट झेलकर भी जनता को अभी केन्द्र की मोदी सरकार के प्रति विश्वास है कि ‘अच्छे दिन’ आएंगे। देर हो सकती है पर आएंगे अवश्य।
इस समय जिस नब्ज पर हाथ रखकर प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार का उपचार कर रहे हैं, उससे निश्चय ही एक अच्छी प्रतिक्रिया समाज में हो रही है। इस उपचार से कुछ लोगों को परेशानी अवश्य हो रही है-पर उनकी तड़प को लोग अनदेखा कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि इनकी तड़प किसी यातना के कारण नहीं हो रही है, अपितु इस तड़प के पीछे इनके ‘पाप’ कर्म हैं, अब वह जैसे-जैसे उन्हें भर रहे हैं वैसे वैसे ही इनकी तड़प बढ़ रही है।
इस सबको जनता मौन होकर इसलिए देख रही है कि वह अच्छे परिणाम देखना चाहती है। वह नहीं चाहती कि माफियाराज अनंतकाल तक देश में चलता रहे, वह नहीं चाहती कि गुण्डा तत्वों को राजकीय संरक्षण प्राप्त हो वह नहीं चाहती कि भ्रष्टाचार की दलदल में नेता, अधिकारी और उद्योगपति का ‘ठगबंधन’ देश में यथावत चलता रहे और वह यह भी नहीं चाहती कि देश की सार्वजनिक संपत्ति पर जिन लोगों ने अवैध कब्जे कर लिये हैं, उन्हें सरकार क्षमादान देकर और लोगों को ऐसे ही अवैध कार्य करने की छूट प्रदान कर दे।
आपसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि देश की सडक़ों के दोनों ओर जिन लोगों ने अवैध कब्जा करके अपने मकान दुकान बना लिये हैं, आप उनके विरूद्घ कार्यवाही करेंगे। ‘रोड साइड लैंड कंट्रोल एण्ट 1945’ की अपेक्षित धाराओं के अनुसार आप देश की सडक़ों को उसी के अनुसार चौड़ी करा दें और उन्हें उसी रूप में मौके पर छुड़वा दें जिस रूप में उन्हें छुड़वाया जाना कानूनी रूप से अनिवार्य है, तो यह बहुत बड़ा काम होगा। इस देश में वोटों की राजनीति ने ऐसे अवैध अतिक्रमणकत्र्ताओं को अतिक्रमण करने की खुली छूट दी है। ये कार्य उन लोगों ने किया है जो वोटों के ठेकेदार रहे हैं और जिन्होंने अपने ‘आका’ को प्रसन्न करने के लिए निम्न वर्ग की वोटों को थोक के भाव उसे दिलवाया है। इनका खेल ‘ले’ और ‘दे’ का रहा है। अर्थात इस हाथ वोट दिलवाओ और उस हाथ अवैध अतिक्रमण करो। इस खेल की ओर किसी का ध्यान नहीं गया, यद्यपि ऐसे अवैध ‘ठगबंधन’ इस देश में सत्ताधीशों और समाज के धनाधीशों के मध्य हर क्षेत्र में हुए हैं और हो रहे हैं। ऐसे ‘ठगबंधनों’ ने ही इस देश लोकतंत्र का उपहास उड़ाया है और जनसाधारण का लोकतंत्र से विश्वास भंग किया है।
यदि आप एक प्रयास करते हुए देश के हर आंचल की सडक़ पर हो रहे अवैध अतिक्रमण का सर्वेक्षण कराएंगे तो निश्चय ही आप भी दंग रह जाएंगे, घोटालों और दलालों की सरकारों ने इस क्षेत्र में जितने कीत्र्तिमान स्थापित किये हैं हम चाहते हैं कि वे जनता के सामने आने ही चाहिएं। इन अवैध अतिक्रमणों के होने से देश की सडक़ों की कीमती भूमि तो हड़पी ही जाती है साथ ही कितने ही शहरों व कस्बों में जब अवैध अतिक्रमण की शिकार सडक़ें संकरी हो जाती हैं तो उन पर जाम लगने लगता है, तब उस जाम को खुलवाने के लिए भ्रष्ट अधिकारी अवैध अतिक्रमणकर्ताओं के विरूद्घ कोई कार्यवाही न करते हुए उस शहर या कस्बे के बाहर से ‘बाईपास’ निकालने की तैयारी कर लेते हैं। जिससे उन्हें कमीशन मिलता है व अवैध अतिक्रमणकर्ताओं का सारा अवैध कार्य वैध हो जाता है। वे लोगों के सामने दम ठोंककर कह देते हैं कि हमारी ऊंची पहुंच है-इसलिए हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उनके ऐसे बयानों से लोकतंत्र से जनता का विश्वास उठता है और उसे लगता है कि देश के नेताओं के संरक्षण से ही ऐसा सब कुछ हो रहा है। यदि आप इस अवैध अतिक्रमण से हुई देश की आर्थिक क्षति का अनुमान लगाने के लिए एक सर्वेक्षण कराने हेतु कोई आयोग गठित करेंगे तो परिणाम देखकर आप स्वयं भी दंग रह जाएंगे क्योंकि परिणाम बताएगा कि यह आज तक सबसे बड़ा घोटाला है।
आज जब आप जैसे नेता भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनने की दिशा में कार्य करने हेतु संकल्पबद्घ हैं-तब जनता अपेक्षा करती है कि आप सही दिशा में और सही स्थान पर चोट करें। चोरों को आप जितना ही उजागर करेंगे और उन्हें नंगा करके जनता के बीच ला पटकेंगे जनता का आपकी सरकार और लोकतंत्र में उतना ही विश्वास होगा। मोदीजी को देश का प्रधानमंत्री लोगों ेने इसी अपेक्षा से बनाया था कि वह साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर उन लोगों के विरूद्घ कठोर-कार्यवाही करेंगे जिन्होंने इस सनातन देश की सर्व समन्वयी संस्कृति को किसी भी प्रकार से आहत किया है। जिन लोगों ने देश की सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध अतिक्रमण कर उसे कब्जाया है-उन लोगों ने भारत की सर्व समन्वयी संस्कृति को क्षतिग्रस्त किया है, क्योंकि यह संस्कृति देना सिखाती है, यह यज्ञमयी संस्कृति है जो किसी के अधिकारों का अतिक्रमण करना नहीं सिखाती। इसलिए सार्वजनिक संपत्ति को कब्जाना राष्ट्र के विरूद्घ किया गया एक अक्षम्य अपराध घोषित किया जाना अपेक्षित है। यह कैसे हो सकता है कि देश के करोड़ों लोग सार्वजनिक मार्गों के निर्माण व रख-रखाव के लिए कर दें और कुछ मुट्ठी भर लोग उन मार्गों को अवैध रूप से कब्जायें या उन पर अतिक्रमण कर उन्हें बाधित करें। बहुमत पर अल्पमत का शासन इस देश में चलता रहा है और अल्पमत की मुठमर्दी को ही देश के नेताओं ने लोकतंत्र कहा है, पर अब यह परम्परा बदलनी चाहिए।
आशा है कि आप देश के विवेकशील और राष्ट्र भक्त लोगों की पीड़ा को समझेंगे और सडक़ों को अतिक्रमण मुक्त कराने की दिशा में ठोस कार्यवाही कराएंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो हम निश्चय ही आपके आभारी रहेंगे।
मुख्य संपादक, उगता भारत