18 57 की क्रांति के प्रेरणा स्रोत थे धन सिंह कोतवाल : डॉ यतींद्र कटारिया

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मेरठ। डॉ यतीन्द्र कटारिया विद्यालंकार का कहना है कि क्रांतिकारी महापुरुष कोतवाल धन सिंह गुर्जर 18 57 की क्रांति के प्रेरणा स्रोत थे। 10 मई 1857 को मेरठ से इस क्रांति का जब बिगुल बजा तो इस स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी पूरे भारतवर्ष में बहुत ही शीघ्रता के साथ फैल गई और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के ये वीर रणबांकुरे सैनिक 11 मई 1857 को तत्कालीन मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से मिले और उन्होंने बहादुर शाह जफर को नेतृत्व संभालने के लिए आग्रह किया । श्री कटारिया ने कहा कि तत्समय भारत पर शासन करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी पराजय के बाद शीघ्रता से कार्यवाही कर क्रांतिकारियों का दमन करते हुए सत्ता पर अपनी पकड़ बनाने का प्रयास किया। जिसे इतिहास में प्रति क्रांति के नाम से जाना जाता है ।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में अंग्रेज अपने आपको बचाने के लिए कोलकाता गेट पर पहुंच गए । यमुना किनारे बनी चुंगी चौकी में आग लगाए जाने और टोल कलेक्टर की हत्या की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली में तैनात लगभग सभी प्रमुख अंग्रेज तथा अधिकारी अपने नौकरों सहित कोलकाता गेट पहुंच गए। कोलकाता गेट यमुना पार कर दिल्ली आने वालों के लिए सबसे नजदीकी गेट था । 11 मई को सुबह मेरठ से क्रांतिकारी सैनिकों के दिल्ली में प्रवेश करने के बाद अंग्रेज इस बात को सोचने के लिए विवश हो गए कि क्रांतिकारी फिर इसी गेट से दिल्ली में घुसने का प्रयास करेंगे । इसलिए यहां अतिरिक्त फौजी तैनाती का हुक्म दिया गया । आज के यमुना बाजार के निकट कोलकाता गेट हुआ करता था ।
श्री कटारिया ने कहा कि 11 मई 1857 को दिल्ली के ज्वाइंट कमिश्नर थियोफिलस मैटकॉफ जान बचाकर भागा था । कोलकाता गेट के पास क्रांतिकारी सिपाहियों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद कैप्टन डग्लस और उसके सहयोगी भागते हुए लालकिले के लाहौरी गेट तक पहुंचे थे । उसके बाद दिल्ली में जो स्थितियां पैदा हुईं उसमें अंग्रेजों को जान के लाले पड़ गए ।
इस अवसर पर गौरव चौधरी ,डॉ मामराज सिंह, नरेंद्र गुर्जर, हरिओम बैंसला, प्रोफेसर नवीन चंद्र गुप्ता , डॉ यतेंद्र कटारिया, डॉ मामराज सिंह, श्रीमती सिम्मी भाटी प्रवक्ता डॉ पूनम चौधरी नरेश पाल सिंह श्री देवेश चंद्र शर्मा, सिम्मी भाटी, डॉ पूनम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने जहां धन सिंह कोतवाल के राष्ट्रवादी व्यक्तित्व और कृतित्व का जमकर गुणगान किया वहीं सरकार से यह मांग भी की कि आने वाली पीढ़ी को धन सिंह कोतवाल के बारे में विशेष जानकारी देने के लिए पाठ्यक्रम में उन्हें सम्मिलित किया जाए। शोध संस्थान के चेयरमैन तस्वीर चपराना ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया जबकि श्री जगत सिंह एडवोकेट द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता की गई।

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