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इतिहास के पन्नों से

*ये कैसा अमृत महोत्सव है*

आर्य सागर खारी🖋️

1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश के जिस जनपद में मेरठ के पश्चात सर्वाधिक क्रांति की चिंगारी उठी वह जनपद एकमात्र बुलंदशहर ही था तथा बलिदानीयो ने अपने खून से स्वाधीनता की होली खेली बुलंदशहर में जो गंगा -यमुना के बीच एकमात्र विशाल जनपद था। क्रांति भूमि मेरठ से स्वाधीनता का सूत्रपात होते ही भटनेर के गुर्जर जमीदारों मुखिया क्रांतिकारियों किसानों का एक जत्था बुलंदशहर की ओर कूच कर जाता है पैदल ग्रांड ट्रंक रोड के सहारे। बुलंदशहर के अंग्रेज कलेक्टर के बंगले व उसके कैंप कार्यालय को आग की लपटों के हवाले कर दिया जाता है। महारानी विक्टोरिया को समर्पित मलका पार्क में लगी उसकी प्रतिमा को तोड़ दिया जाता है यहां उल्लेखनीय होगा भारत में यदि प्रथम महारानी विक्टोरिया की मूर्ति यदि किसने तोड़ी तो उसे ध्वस्त करने वाले भटनेर के क्रांतिकारी ही थे। उस पार्क में आज स्वाधीनता के उपरांत महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी हुई है। अंग्रेजों का बनाया हुआ क्लॉक टावर भी वहा बना है। वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार में भारत के स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों क्रांतिकारियों के बलिदान को श्रद्धांजलि स्वरूप सामूहिक आयोजन के क्रम में अमृत महोत्सव का आयोजन व्यापक स्तर पर तमाम केंद्रीय मंत्रालय संबंधित सरकारी संस्थानों में चल रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के प्रशासन को शहीदों के सम्मान शौर्य व अमृत महोत्सव से कुछ भी सरोकार नहीं है बलिदान यू के सम्मान में लेख भाषण गोष्टी के माध्यम उत्कृष्ट प्रस्तुति तो दूर शहीदों के वंशजों का सम्मान तो दूर 18 57 की क्रांति में बुलंदशहर के काला -आम चौराहे जहाँ 100 से अधिक भटनेर व आसपास के क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी जिनमें राव उमराव सिंह दरयाम मजलिस सिह जैसे बलिदानों की श्रंखला में दर्जनों नाम शामिल है। उनको बुलंदशहर प्रशासन अपने डिस्ट्रिक्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपराधी की पदवी से अलंकृत कर रही है कितना शर्मनाक अशोभनीय है यह सब। किसी भी जनपद की डिस्ट्रिक्ट वेबसाइट उस जनपद प्रशासन की का मुख्य आईना होती है सूचना तकनीक के इस युग में । जनपद की वेबसाइट पर अंकित सूचना अपलोड होती है तो हम समझते हैं प्रमाणिकता स्वत: ही सिद्ध हो जाती है ऐसी आम लोक धारणा है। क्रांतिकारियों के अपमान की नौकरशाही में मानसिकता आज की नहीं है यह वही मानसिकता है जो शहीद भगत सिंह को आतंकवादी व 18 57 के क्रांतिकारियों को आज भी अपराधी मानती है अंग्रेज चले गए काले अंग्रेजों को भारत की नौकरशाही में छोड़ गए। मैंने तथ्यों के साथ प्रमुख सचिव सूचना व जनसंपर्क उत्तर प्रदेश जिलाधिकारी बुलंदशहर मंडल आयुक्त मेरठ तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय को अनुरोध पत्र ई-मेल आदि माध्यमों से अवगत कराया है तत्काल इस अशोभनीय कार्य के लिए पब्लिक डोमेन में माफी मांगी जाए बुलंदशहर जनपद की ऑफिशियल वेबसाइट को तुरंत दुरुस्त कराया जाए शहीदों के सम्मान में अतिशय सम्मानजनक शब्दावली का प्रयोग किया जाए।

आर्य सागर खारी🖋️

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