इस्लामी मान्यता के अनुसार मुहम्मद साहब को अल्लाह का अंतिम और सबसे प्रिय रसूल माना गया है , इनका इस्लाम में इतना महत्त्व है कि दुनिया के सबसे कुख्यात इस्लामी आतंकी संगठन ने भी अपने काले झंडे पर अल्लाह के साथ मुहम्मद का भी नाम लिखा है , और वह इसी अल्लाह के प्यारे रसूल के नाम पर पूरे विश्व में इस्लामी राज्य कायम करने के सपने देख रहा है ,
इसलिए सवाल उठता है कि अल्लाह के प्यारे रसूल पर ऐसी कौन सी आफत ,समस्या आन पड़ी थी क़ि उन्होंने तीन तीन बार आत्म ह्त्या करने का प्रयास किया था , क्या अल्लाह में उनकी मदद नहीं की थी ? फिर रसूल ने उस समस्या का हल कैसे निकला।
कुरान के इसका रहस्य कुरान के बनने में छुपा है , जिसे मुस्लिम विद्वान कुरान का उतरना या नाजिल होना (Reveal ) कहते हैं , इस शब्द से ऐसा आभास होता है कि किसी ने कुरान आसमान से जमीन पर रसूल के सामने पेश कर दिया हो ,मगर ऐसा नहीं है .कुरान के अध्यायों ( Chapters) को सूरा कहा जाता है , और उनकी पंक्तियों को आयत (Verses ) कहा जाता है , कुरान दुनियां की एकमात्र किताब है जिसके अध्याय कालक्रम या उतरने के मुताबिक (revelation Order ) नहीं है , जैसे कुरान की सबसे पहली सुरा कुरान में 96 वें नंबर पर है .कुरान में कुल 114 सूरा है ,
1-कुरान की पहली सूरा कौन लाया था ?
मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार कुरान की पहली सूरा 22 दिसंबर सन 609 को मक्का में उतरी थी , उस समय मुहम्मद साहब की आयु 38 साल थी , इस सुरा का नाम ” अल अलक – العلق ” है , जिसका अर्थ खून का थक्का (Clot ) है , इस सूरा में 19 आयतें हैं .यह कुरान में 96 नंबर की सुरा है , इसका पहला शब्द “इकराअ – اقْرَأْ ” है , इसका अर्थ है “पढ़ो -Read , लोगों की मान्यता है ,कि अल्लाह ने यह सूरा लिखित रूप में जिब्राइल के हाथों रसूल को दी थी , और उनसे इसे पढने को कहा , था लेकिन अनपढ़ होने के कारण वह नहीं पढ़ पाये , तब जिब्राइल ने बोल कर यह सूरा रसूल को सुनाई जिसे उन्होंने दोहरा दिया था , इसके बारे में हदीस में लिखा है ,
“आयशा ने कहा कि रसूल पर कुरान के उतरने की शुरुआत उस वक्त हुई थी , जब वह नींद में थे ( in the form of good dreams ) , वह आराम करने के लिए “गारे हिरआ – غار حراء ” नामकी गुफा में जाया करते थे , रसूल ने बताया की उस दिन एक फरिश्ता उनके पास आया और बोला इसे पढ़ो , रसूल बोले मुझे पढ़ना नहीं आता , ऐसा तीन बार हुआ ,तब फ़रिश्ते ने रसूल को इतनी जोर से भींचा कि रसूल दर्द नहीं सह सके , फिर फ़रिश्ते ने यह तीन आयतें (96.1, 96.2, 96.3) सुनायीं जिसे रसूल ने दुहरा दिया , फिर घर आकर रसूल ने यह घटना खदीजा को बतायी , खदीजा ने अपने चचेरे भाई वरका बिन नौफल को बुलाया और बोली सुनो तुम्हारा भतीजा क्या कह रहा है , तब रसूल द्वारा दिए गए विवरण को सुन कर नौफल बोला ,
वह नामूस था . “हाजल नामूस – هَذَا النَّامُوسُ ”
अर्थात -“वह नामूस था ”
सही बुखारी – जिल्द 1 किताब 1 हदीस 3
2-नामूस कौन था ?
आयशा द्वारा कही इस हदीस के अनुसार जब मुहम्मद साहब ने ” वरका बिन नौफल ” को गारे हिरा की घटना बताई तो उसने कहा कि जो तुम्हें मिला था वह एक ” नामूस – النَّامُوسُ ” था . मुस्लिम विद्वान चालाकी से इस शब्द का अर्थ ” जिब्राईल (Gabriel ) कर देते हैं . जबकि यह अरबी का नहीं सीरियन -अरामी ( Syriac or Christian-Aramaic language) शब्द है , इसका अर्थ न तो जिब्राइल है और न रहस्यमयी शाक्ति है , इसका असली अर्थ ” भद्र पुरष (noble man है
. (al-nâmûs ), of course, is neither Gabriel nor any other mysterious spirit, but clearly „the most noble man
3-क्या रसूल ने जिब्राईल को देखा था ?
अक्सर मुसलमान दवा करते रहते है कि कुरान मुहमद की रचना नहीं है , बल्कि कुरान की सूरतें या आयतें जिब्राइल नामका फरिश्ता आसमान से या जन्नत से लेकर आता था , और रसूल ने उसे देखा था , इसके प्रमाण में मुसलमान यह आयतें बता देते हैं जबकि इसमें न तो जिब्राइल का उल्लेख है और न किसी और फ़रिश्ते का , आयत देखिये ,
“और उसने ( मुहम्मद ने ) उसे क्षितिज के किनारे साफ़ देखा ”
सूरा -अत तकवीर 81 :23
“وَلَقَدْ رَآهُ بِالْأُفُقِ الْمُبِينِ ”
” व् लक़द राअ हु बिल उफ़क़ अल मुबीन ”
‘surely he beheld him on the clear horizon ”
यह आयत वर्त्तमान कुरान की 81 वीं सूरा की 23 वीं आयत है , जो नुजूल के क्रम से 46 वीं सूरा है ,जो मक्का में उतरी थी , इसमे मुहम्मद साहब द्वारा किसी ” उस ” को क्षितिज के किनारे पर देखने की बात कही है , मुस्लिम विद्वान चालाकी से ” उस ” का आशय जिब्राइल बताते हैं , जो एक फरिश्ता माना जाता है , इस बात से प्रश्न उठता है , मुहम्मद साहब ने फ़रिश्ते की बात उस समय क्यों नहीं बताई जब कुरान की पहली या दूसरी सूरतें नाजिल हुई थी . ? 45 सूरतें हो जाने पर मुहम्मद साहब को अचानक जिब्राइल क्यों याद आ गया ?
वरका बिन नोफ़िल मुहम्मद की पहली पत्नी खदीजा बिन्त ख़ुवैलद का चचेरा भाई था और ईसाई पादरी था जो ईसाई धर्म की किताबें लिखा करता था ,मुहम्मद की इस घटना के तीन महीने बाद ही सन 610 में वरका की मौत हो गयी ,और कुरान आना बंद हो गयी तब तक कुरान की तीन सूरतें आ चुकी थी
4- रसूल पहाड़ से कूद कर मरना चाहते थे
आयशा ने कहा,जैसा कि हमने लोगों से सुना है .कि जब वरका बिन नौफल की मौत हो गयी ,तो कुरान की आयतें भी उतरना बंद हो गयी ,इस से रसूल इतने दुखी हो गए कि , उन्होंने विचार किया कि पहाड़ से गिर कर मर जाऊं , लेकिन जब वह ऐसा करने वाले थे , तभी एक फरिश्ते ने उनको रोक कर कहा कि ” हे मुहम्मद तुम अल्लाह के रसूल हो “और यह सुनते ही रसूल ने आत्महत्या करने का इरादा छोड़ दिया और घर लौट आये
.
Narrated Aisha:
when Waraqa died and the Divine Inspiration was also paused for a while and the Prophet (ﷺ) became so sad as we have heard that he intended several times to throw himself from the tops of high mountains and every time he went up the top of a mountain in order to throw himself down, Gabriel would appear before him and say, “O Muhammad! You are indeed Allah’s Apostle in truth”
“. ثُمَّ لَمْ يَنْشَبْ وَرَقَةُ أَنْ تُوُفِّيَ، وَفَتَرَ الْوَحْىُ فَتْرَةً حَتَّى حَزِنَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم فِيمَا بَلَغَنَا حُزْنًا غَدَا مِنْهُ مِرَارًا كَىْ يَتَرَدَّى مِنْ رُءُوسِ شَوَاهِقِ الْجِبَالِ، فَكُلَّمَا أَوْفَى بِذِرْوَةِ جَبَلٍ لِكَىْ يُلْقِيَ مِنْهُ نَفْسَهُ،
Sahih Bukhari, Volume 9, Book 87, Number 111
Sahih Bukhari Volume 4, Book 53, Number
5-जिब्राईल का हुलिया कैसा था ?
आयशा कहती हैं कि पहले तो रसूल को ऐसा लगता था कि अल्लाह ने उनको त्याग दिया है , क्योंकि उस समय तक वह पक्के मुसलमान नहीं थे , और जब मैंने उनसे पूछा कि क्या अपने जिब्राइल को देखा है , तो उन्होंने कुरआन की 81:23 आयत सूना दी , फिर आयशा ने कहा कि , कई बार तो जिब्राइल मेरे घर मनुष्य की तरह आया करता था , और मैं बड़े गौर से उसकी बातें सुनती थी , और मैंने देखा की जब भी रसूल को कुरान की प्रेरणा मिलती थी उनके माथे पर पसीने की बूंदें छलक जाती थीं .
”
Narrated ‘Aisha:Sometimes the Angel comes in the form of a man and talks to me and I grasp whatever he says.”
“”، وَأَحْيَانًا يَتَمَثَّلُ لِيَ الْمَلَكُ رَجُلاً فَيُكَلِّمُنِي فَأَعِي مَا يَقُولُ
नोट -इस हदीस में आयशा ने फ़रिश्ते जिबरईल को एक ” रुजु लन – رَجُلاً ” यानी मनुष्य जैसा ( Human ) बताया है
सही बुखारी- जिल्द 1 किताब 1 हदीस 2
6-इन हदीसों की समीक्षा
चूँकि जाकिर नायक जैसे इस्लाम के प्रचारक दावा करते हैं कि कुरान मुहम्मद साहब की रचना नहीं है ,बल्कि अल्लाह ने आसमान से जिब्राइल नामके फ़रिश्ते द्वारा रसूल को भेजी थी , इस बात को सही ठहराने के लिए वह इन्हीं हदीसों का हवाला देते हैं , अतः असलियत पता करने के लिए इन हदीसों में दी गयी घटनाओं का कालक्रम के अनुसार समीक्षा दी जा रही है ,
1-यह तीनों हदीसें रसूल की तीसरी पत्नी ” आयशा – عائشة ” ने शादी के बाद बयांन की हैं , रसूल से इसकी शादी सन 622 -623 के बीच हुयी थी , उस समय रसूल की आयु 54 और आयशा की आयु 9 साल थी , रसूल की मृत्यु सन 632 हुयी थी , इस 9 सालों में आयशा ने 2210 हदीसें बयान की हैं। इसलिए इन हदीसों की सत्यता सदिग्ध है .
2-इन हदीसों का संकलन इमाम बुखारी ने करीब दो साल बाद किया था , बुखारी का काल 810 से 870 ईस्वी तक है , इतने समय तक किसी बात को शब्दशः याद रखना असंभव है , अतः यह हदीसें सदिग्ध है .
3-आयशा ने कहा कि जिब्राईल द्वारा कुरान की पहली सुरा लाने की घट्ना मुझे ख़दीजा से मिली है , जबकि आयशा जा जन्म 613 -612 ई ० के बीच हुआ था ,और कुरान उतरने ,जिब्राईल के आने की घटना सन 609 ई ० की है , उस समय आयशा का जन्म भी नहीं हुआ था , अर्थात जिब्राईल द्वारा कुरान लाने की बात संदिग्ध है .
4-हदीस में कुरान की पहली सूरा लाने वाले के बारेमे खदीजा के चचेरे भाई ” वरका बिन नौफल – ورقه بن نوفل ” ने कहा कि वह कोई ” नामूस -النَّامُوسُ ” होगा , फिर बाद में रसूल ने कुरान ( 81:23 ) में कहा कि मैंने उसे क्षितिज के किनारे साफ़ देखा था , फिर आयशा ने हदीस में कहा कि जब्रील देखने में मनुष्य जैसा था ,और मैंने उस से बात भी की है , इन तीनों बातों में भिन्नता है , इसलिए फ़रिश्ते यानि जिब्राइल का आस्तिव भी संदिग्ध है ,
7-इस्लाम के प्रचारकों से सवाल
जो लोग कुरान को असमानी और अल्लाह की ऐसी किताब बताते हैं , जिसे जिब्राइल लाया करता था , वह लोग उत्तर दें ,
1.वरका बिन नौफल की मौत के बाद कुरान का आना बंद क्यों हो गया ?2.पूरी कुरान एक साथ क्यों नहीं उतरी ?3.कुरान की पहली सूरा जो जिब्राइल लिखित रूप में लाया था , वह कहाँ है ? और मुसलमानों ने उसे क्यों छुपा रखा है ?4.रसूल अपनी 63 साल की आयु में अरबी के 31 अक्षर भी क्यों नहीं सीख पाये ? 5.नुजूल के क्रम से दूसरी और कुरान में 68 वीं सुरा कलम की आयत 10 ,11 और 20 मदीना में क्यों उतरीं ?बाक़ी सब मक्का में क्यों ?
हमें पूरा विश्वास है कि कोई भी व्यक्तिं इन सवालों का सटीक और समाधान पूर्ण उत्तर नहीं दे सकेगा , क्योंकि रसूल ने कुरान को दैवी (Divine) किताब साबित करने के लिए आत्म ह्त्या का नाटक किया था , और अपनी रची हुई कुरान लोगों पर थोपने के लिए यह बात फैला दी कि कुरान की आयतें जीबाईल लाता है , बाद में आयशा भी उनकी योजना में शामिल हो गयी , रसूल कुरान में लिखी जन्नत और जहन्नम की कल्पित सूना कर पहले तो लोगों को जिहादी बना देते थे , फिर उनके सहारे दुनिया पर राज करना चाहते थे ,आज भी विश्व में जितने भी इस्लामी जिहादी संगठन हैं उनको आतंकवाद की प्रेरणा कुरान से ही मिलती है ।
ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार है)
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