गरीबों के मसीहा बनकर उभरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
संसद के वर्तमान बजट सत्र में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जो उत्तर दिया वह काफी ऐतिहासिक व लम्बा था। राजनैकि हलको मेंकहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन के माध्यम से जहां विपक्ष पर तीखा हमला बोल दिया वहीं दूसरी ओर एक प्रकार से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वहीं से अपने मतदाताओं को कोई संदेश भी दे रहे थे। जबकि कुछ का कहना था कि पीएम मोदी ने मानो लोकसभा में ही एक रैली को संबोंधित कर दिया और सरकार का रिपोर्ट कार्ड तर्को और आंकड़ों के साथ पेश करके विपक्ष की बोलती बंद कर दी।
केंद्रीय मंत्री वैकेया नायडू ने संसदीय दल की बैठक मेंअपने सासदों से कहाकि वे सरकार की उपलब्धियों और संसद में पेश किये गये सरकार के नजरिये को आम आदमी तक लेकर जायें। बैठक में इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित कियागया कि बजट और सरकार सभी की नीतियां गरीबों और सामज के कमजोर तबके की चिंताओं से प्रेरित हैं। पीएम मोदी गरीबों के मसीहा हैं। संसदीय दल की बैठक में वित्तमंत्री अरूण जेतली ने भी अपने विचार रखे तथा डिजिधन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि डिजिटल रूप में भुगतान करने वालों के लिए निकाले गये लकी ड्रा में सरकार द्वारा काराबोरियों समेत साढ़े छह लाख लोगों को पुरस्कार दिया जा चुका है। डिजिधन योजना बेहद लोकप्रिय हो रही है । जगह जगह डिजिधन मेलों का आयोजन किया जा रहा है। शिलांग मेंआयोजित डिजिधन मेले में दस लाखसे अधिक लोग आये हैं।
अब कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इस पर बहस कर सकता है कि क्या पीएम मोदी वाकई में गरीबों के मसीहा हैं? यदि सरकार के कामकाज और फैसलों की गहराई से समीक्षा की जाये तो साफ पता चल रहा है कि केंद्र सरकार की अधिकांश योजनायें गरीबों, दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों ,मजदूरों व महिलाओं तथ युवाओं के कल्याण के लिए ही बनायी जा रही हैं। सरकार के सभी छोटे -बड़े ऐलानों से समाज के इन्हीं वर्गो को लाभ होने जा रहा हैं। आजादी के 70 साल के बाद भी गांव के गरीबों व अनपढ़ लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका जीरो बैंलेस पर बैंक में खाता भी खोला जा सकता है। लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व मेंपूर्ण बहुमत की सरकार एक फैसला लिया गया और गांव के गरीबों के खाते खुलने शुरू हो गये। जो बंैकिंग प्रणाली केवल और केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सिमटी थी तथा लोग साधारण रूप से एकाउंट खुलवाने में डरते थे ऐसे लोगों मेें बंैक जाने का साहस होने लगा और भारी संख्या मेें गरीबों तथा जरूरतमंदों के जनधन एकाउंट खुल गये। बैंकिंग प्रणाली और अधिक पारदर्शी हो गयी तथा उसका व्यापक विस्तार भी संभव हो पाया। साथ ही इससे एक बात और हुयी है कि अब गरीबों ने ईमानदारी के साथ जो धन कमाया है व कमा रहे हैं वह उनके खाते में सुरक्षित रह सकता है। लेकिन अभी सरकार की ओर से नोटबंदी का जो बड़ा कदम उठाया गया है उसके बाद इन जनधन खातों का कालेधन को छुपाने के लिए जिस प्रकार से उपयोग किया गया वह हैरतअंगेज रहा है। जीरो बैलेंस में खोले गये खातों को लेकर पीएम मोदी बेहद संजीदा है तथा अब वह इन खातों में जमा हो रही राशि के लिए ऐसी व्यवस्था करने जा रहे हैं कि जिन लोगों ने धन जमा तो कर दिया है लेकिन अब धन लोग निकाल न सकें।
सरकार बार -बार दावा कर रही है कि अब वह तकनीक के जरिये ऐसी व्यवस्था करने जारही है कि सरकार की सभी योजनाओं व पेंशनरों आदि का लाभ लोगों को सीधे उनके एकाउंट में ही मिल जाये। जिसके बाद प्तभ्रष्टाचार में भारी कमी आयेगी तथा सरकारी कामकाज में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। सरकार सभी योजनाओं को धीरे -धीरे आधार से जोड़ती जा रही है। अब डिजिटल लेन देन को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा हैं। डिजिटल लेनदेन से काफी लाभ होने वाला हैे। यह बात बिलुकल सही है कि भ्रष्टाचार की जड़ में कैश की मात्रा ही हैं । यही नही पीएम मोदी की सरकार ने गावं गरीब और किसानों के एक नहीं अनेकानेक फैसले लिये हैं जिनका अध्ययन करने से पता चल रहा है कि पीएम मोदी वास्तव में गरीबों के असली मसीहा हैं जबकि विपक्ष लगातार आमजनमानस में उनकी बेहद गलत विकृत तस्वीर पेश कर रहा है। सरकार की नीतियां वास्तव में अमीरों से लेकर गरीबों को देने के लिए हो गयी है।
सरकार का लगभग हर कदम गरीबों व किसानों के हित मेंही है तथा यदि विपक्ष बेवजह और अनुचित विरोध न करें तथा अवरोध न डाले तो इन योजनाओं के माध्यम से गरीबों के पास अपने आप ही 5 साल होते- होते 15 लाख रूपये एकाउंट में जमा हो जायेंगे। आज की तारीख में पूरा विपक्ष एकजुट होकर सरकार पर इसलिए हमला बोल रहा है क्योंकि यदि कीे पीएम मोदी की कोई भी योजना सफल हो गयी तो वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस व विपक्ष के पास एक भी राज्य नहीं रह जायेगा। पीएम मोदी ने किसानों के हित में एक फसल बीमा योजना पेश की है जिसका दायरा बढ़ाया गया है तथा सरकार किसानों की आय को 2019 तक किसी न किसी प्रकार से दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए काम कर रही है। यह पीएम मोदी की सरकार है जो ग्रामोदय से लेकर भारत उदय का कार्यक्रम लेकर आयी तथा डां. अबेंडकर के विचारों को आमजन तक पहुंचाने के लिए लगातार कार्यरत है। पीएम मोदी की ही सरकार ने उनके पांचतीर्थ विकसित किये तथा उनको सम्मान दिलाया।
केंद्र सरकार निर्णय तो बहुत छोटे छोटे ले रही है लेकिन उनका व्यापक अर्थो में भविष्य मेें प्रभाव पढऩे जा रहा है। जनधन खातों की तरह ही सरकार ने देश की सभी गरीब महिलाओं को नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन दे रही है। जिसका लाभ गांव की उन गरीब महिलाओं को होन जा रहा है जो अब तक चूलहे के धुये से परेशान व बीमार होती रहती थीं। यहीं नहीं चूल्हे में खाना पकाने के कारण महिलाओं की आंखों की रोशनी भी जल्दी कम हो जाती है। कभी किसी ने सपने में नहीं सोचा था कि गरीबों को नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन भी मिल सकता है। यही कारण है कि मोदी सरकार निशुल्क एलपीजी योजना के प्रभाव से घबराये समाजवादी दल के नये मुखिया अखिलेश यादव ने आगामी चुनावों में सरकार बनने के बाद नि:शुल्क प्रेशर कुकर देने का चारा फेंका है।
सरकार की सबसे बड़ी बात यह हुई है कि जिस मनरेगा को लेकर कांग्रेसी अपनी महान उपलब्धि बताकर अपनी ढोल लगातार पीट रहे थे तथा जनता के बीच यह प्रचार कर रहे थे कि केंद्र सरकार मनरेगा को ध्वस्त करने का प्रयास कर रही है लेकिन इसके विपरीत मोदी सरकार मनरेगा को बहुत ही अच्छे से चलाने का लगातार प्रयास कर रही है। वर्तमान सरकार का दावा है कि यूपीए सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में मनरेगा पर केवल 600 करोड़ आवंटित था जिसे बढ़ाकर अब 11 हजार करोड़ रूप्ये कर दिया गया है तथा मजदूरो का वेतन सीधे उनके एकाउंट मेें जाने की व्यवस्था भी की गयी है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में बताया कि जब यूपीए की सरकार थी तब मनरेगा के नियमों में 1035 बार परिवर्तन किये गये आखिर क्यों? पीएम मोदी की लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है तथा इस लड़ाई से अंतत: गरीबा,ें किसानों तथा मध्यम आयवर्ग को ही लाभ ही होगा। अभी की परेशानी से भविष्य सुखद होगा इसलिए भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ इस लड़ाई में पीएम मोदी व सरकार का साथ अवश्य देना चाहिये। नोटबंदी एक ऐतिहासिक व सर्जिकल स्ट्राइक देश की सेना व सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक कदम थे। नोटबंदी से महंगाई व जमाखोरी पर असपर पड़ा है। आज अरहर की दाल समेत खाद्य वस्तुओं, सब्जियों तथा फलों की कीमतों में सीधी गिरावट दर्ज की जा रही है। कुछ सेक्टरर्स में मंदी तो अवश्य आयी है लेकिन उसके दूरगामी लाभ होने जा रहे हैें। उप्र के विधानसभा चुनावों में आजनमानस को बहुत ही सोच समझकर वोट देना चाहिये यदि इन चुनावों में किन्ही कारणवश पीएम मोदी की हार हो गयी तो इस पराजय के बाद कोई भी भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग नहीं छेड़ पायेगा। बेनामी संपत्ति रखने वाले , कालाधन रखने वाले तथा भ्रष्टाचारी व देश के खिलाफ लगातार साजिश रचने वाली ताकतें जीत जायेंगी। आगामी मतदान तारीखो में जनता के पास एक अच्छज्ञ व सराहनीय निर्णरू लेने का सही समय है। यदि जनता ने जरा सा भी गलत निर्णरू दे दिया तो फिर उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ भाई भतीजावाद के खिलाफ और सरकारी संरक्षण पर पल रहे संगठित अपराधों तथा भ्रष्टाचार पर बोलने का कोई नैतिक आधार नहीं रह जायेगा। साथ सबसे अध्किा तो महिलाओं व युवको को ही यह काम करना है कि अबकी बार सही मतदान हो और अच्छी सरकारें आयें तथ जिससे केंद्र मजबूत हो सके और खासकर महिलाओं और बच्चियों की अस्मिता की सुरक्षा हो सके। यदि एक बार फिर घिसा पिटा गठबंधन सरकार बनाने में सफल हो गया तो महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा के हक में आवाज उठाने का कोई नैतिक अध्किार नहीं रह जायेगा।
वहीं सबसे बड़ी बाकत यह है कि बीजेपी सांसद व कार्यकर्ता अभी भी सरकार की योजनाओं को जनता के बीच अच्छे से नहीं पहुचा पा रहे हैं। अब भाजपा को इस बात पर ही विशेष बल देना है कि पीएम मोदी की छवि को जनता क बीच किस प्रकार से गरीबों के मसीहा के रूप मेंपेश किया जाये तथा उसका लाभ उठाया जाये। योजनाओं का भंडार अपार है।