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इसलाम और शाकाहार

काबा की तरफ मूतने वाले रसूल !

काबा की तरफ मूतने वाले रसूल !

मुसलमानों की मान्यता है कि मुहम्मद साहब अल्लाह के अंतिम रसूल हैं ,और उनको अल्लाह इतना चाहते थे कि बिना किसी योग्यता के और अनपढ़ होने पर भी उनको रसूल नियुक्त कर दिया , इसी विशेषता के कारण हर जिहादी संगठन अपने झंडे में अल्लाह के साथ मुहम्मद का नाम जरूर लिखता है ,इसलिए हर मुसलमान के लिए उनके कहे हुए वचनों का पालन करना और उनके द्वारा किये गए कामों का अनुसरण करना धार्मिक कर्तव्य अनिवार्य माना गया है , इसे रसूल की सुन्नत कहा जाता है ,
लेकिन मुहम्मद साहब इतने महान थे कि वह लोगों से जो काम करने को कहते थे , खुद उस से उल्टा काम किया करते थे। उनके इस उलटे व्यवहार पर उर्दू की यह कहावत सटीक बैठती है ,
“खुद मियाँ फजीहत दीगरां नसीहत ”

क्योंकि मुहम्मद साहब एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो लोगों से अल्लाह के घर यानी किबला का अदब रखने की नसीहत दिया करते थे लेकिन किबला का इतना निरादर किया करते थे , जितना कोई काफिर तो क्या शैतान भी नहीं करेगा .इस बात को ठीक से समझने के लिए क़िबला के बारे में जानना जरुरी है ,
1-क़िबला क्या है ?
अरबी शब्द ” किबला – قبلة‎‎‎” का अर्थ दिशा (direction ) होता है , मुसलमान दुनिया में कहीं भी रहते हों वह हमेशा मक्का स्थित काबा की तरफ मुंह करके ही नमाज पढ़ते हैं , दुनियां के हर स्थान से काबा जिस दिशा में पड़ता है ,उस दिशा को क़िबला कहते हैं , चूँकि अल्लाह काबा में रहता है , इसलिए मुसलमान क़िबले तरफ पैर करके नहीं सोते , ऐसा करना अल्लाह का अनादर करना है ,

2-रसूल के क़िब्ले का अनादर किया

मुहम्मद साहब लोगों से तो क़िब्ले की तरफ पेशाब करने को मना करते थे। लेकिन मरने के अंतिम साल तक काबा की तरफ पेशाब करते रहे , यह हदीस इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि हदीस की तीन किताबों में ज्यों की त्यों मौजूद है , पहले पूरी हदीस फिर उनके सन्दर्भ दिए जा रहे हैं ,

1-Jami` at-Tirmidhi -جامع الترمذي

“जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि रसूल ने हमें क़िब्ले की तरफ पेशाब करने से मना किया था , लेकिन मैंने देखा की वह अपनी मौत की आखिरी साल तक ऐसा करते रहे ”

Jabir bin Abdullah said:
“The Prophet prohibited us from facing the Qiblah while urinating. Then i saw him facing it a year before he died.”

“، عَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ، قَالَ نَهَى النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم أَنْ نَسْتَقْبِلَ الْقِبْلَةَ بِبَوْلٍ فَرَأَيْتُهُ قَبْلَ أَنْ يُقْبَضَ بِعَامٍ يَسْتَقْبِلُهَا ”

Reference : Jami` at-Tirmidhi 9
In-book reference Book 1, Hadith 9
English translation : Vol. 1, Book 1, Hadith 9

https://sunnah.com/tirmidhi:9

अर्थात जानबूझ कर हमेशा काबा की तरफ पेशाब किया करते थे ,

इसके बाद दौनों हदीसें ज्यों की त्यों हैं

2-Sunan Abi Dawud -سنن أبي داود

Reference: Sunan Abi Dawud 13
In-book reference : Book 1, Hadith 13
English translation: Book 1, Hadith 13

https://sunnah.com/abudawud/1

3-Ibn Majah-سنن ابن ماجه

English reference : Vol. 1, Book 1, Hadith 325
Arabic reference : Book 1, Hadith 348
https://sunnah.com/ibnmajah:325

इस पुख्ता सबूत से यही निष्कर्ष निकलता है कि मुहम्मद साहब जानते थे कि अल्लाह एक कल्पित चरित्र है ,इसलिए उसके घर यानी काबा का आदर करना बेकार है , और उसकी दिशा में पेशाब करना कोई गुनाह नहीं है ,
इसलिए हमारा उन सभी लोगों से अनुरोध है जो हर बात में रसूल की सुन्नत की दुहाई देते रहते हैं , वह रसूल की इस सुन्नत पर अमल किया करें ,सोचिये जब खुद रसूल अपने बनाये नियमों के विरुद्ध काम करते थे ,तो मुसलमान क्यों कहते हैं कि सुन्नत में बदलाव नहीं हो सकता

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ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)

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