क्या ब्राम्हण लोगों को लड़ाते हैं /* *क्या ब्राम्हण विदेशी हैं* परशुराम के नाम पर यूनियनबाजी का दुष्परिणाम देखिये

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ब्राम्हणों की कथित यूनियनबाजी के खिलाफ अब धीरे-धीरे हिन्दुत्व की अन्य जातियों का गुस्सा सामने आ रहा है। राजद के वरिष्ठ नेता और राष्टीय सचिव यदुवंश यादव ने ब्राम्हणों के खिलाफ जमकर भड़ास निकाला, उसने ब्राम्हणों को विदेशी कहा, इतना ही नहीं बल्कि ब्राम्हणों को लड़ाने वाला भी कहा। उसने ब्राम्हणों से दूर रहने और ब्राम्हणो को अलग-थलग करने की भी बात की है।
वास्तव में ब्राम्हणों ने जब से परशुराम को भगवान बनाया है और परशुराम के नाम पर सेना बनायी है तब से ब्राम्हणों के खिलाफ हिन्दुत्व की अन्य जातियों का गुस्सा टूट रहा है। निश्चित तौर पर परशुराम सेना और ब्राम्हण सभा के नाम पर यूनियनबाजी हो रही है और कथित तौर पर गुंडागर्दी भी हो रही है। दो लोगों के बीच में हुए विवाद में परशुराम सेना के लोग पहुंच कर सरेआम गुंडागर्दी करते हैं। इस तरह के प्रकरण बढ रहे हैं।
ब्राम्हणों को परशुराम के नाम पर यूनियनबाजी से बचने की जरूरत है। इससे ब्राम्हण अलग-थलग पड़ जायेंगे, ब्राम्हणों का सम्मान घटेगा। ब्राम्हणों का राजनीतिक वर्चस्व भी घटेगा। ब्राम्हणों को हिन्दुत्व की अन्य जातियां वोट देना बंद करेगी, समर्थन करना बंद कर देगी। जातिवाद बहुत ही बूरी चीज है। मायावती आज जातिवाद के कारण निरर्थक साबित हो रही है। कोई एक जाति पर राजनीतिक स्थिति मजबूत नहीं बना सकता है।
ब्राम्हणों सोचो, सकरात्मक मंथन करो और परशुराम के नाम और ब्राम्हण महासभा के नाम पर अगर कहीं भी गुंडागर्दी हो रही है तो फिर रोको। ब्राम्हणों को पूरे हिन्दुत्व की बात करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर अनेक यदुवंश यादव इसी तरह की बात करते हुए आपको अपना शिकार बनायेगे और अलग-थलग कर देंगे।

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आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

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